यहेजकेल 1: 1-28
1 तीसवें वर्ष के चौथे महीने के पाँचवें दिन, मैं बन्दियों के बीच कबार नदी के तट पर था, तब स्वर्ग खुल गया, और मैंने परमेश्वर के दर्शन पाए। (यहे. 3:23)
2 यहोयाकीन राजा की बँधुआई के पाँचवें वर्ष के चौथे महीने के पाँचवें दिन को, कसदियों के देश में कबार नदी के तट पर,
3 यहोवा का वचन बूजी के पुत्र यहेजकेल याजक के पास पहुँचा; और यहोवा की शक्ति उस पर वहीं प्रगट हुई।
4 जब मैं देखने लगा, तो क्या देखता हूँ कि उत्तर दिशा से बड़ी घटा, और लहराती हुई आग सहित बड़ी आँधी आ रही है; और घटा के चारों ओर प्रकाश और आग के बीचों-बीच से झलकाया हुआ पीतल सा कुछ दिखाई देता है।
5 फिर उसके बीच से चार जीवधारियों के समान कुछ निकले। और उनका रूप मनुष्य के समान था,
6 परन्तु उनमें से हर एक के चार-चार मुख और चार-चार पंख थे।
7 उनके पाँव सीधे थे, और उनके पाँवों के तलवे बछड़ों के खुरों के से थे; और वे झलकाए हुए पीतल के समान चमकते थे।
8 उनके चारों ओर पर पंखों के नीचे मनुष्य के से हाथ थे। और उन चारों के मुख और पंख इस प्रकार के थे:
9 उनके पंख एक दूसरे से परस्पर मिले हुए थे; वे अपने-अपने सामने सीधे ही चलते हुए मुड़ते नहीं थे।
10 उनके सामने के मुखों का रूप मनुष्य का सा था; और उन चारों के दाहिनी ओर के मुख सिंह के से, बाईं ओर के मुख बैल के से थे, और चारों के पीछे के मुख उकाब पक्षी के से थे। (प्रका. 4:7)
11 उनके चेहरे ऐसे थे और उनके मुख और पंख ऊपर की ओर अलग-अलग थे; हर एक जीवधारी के दो-दो पंख थे, जो एक दूसरे के पंखों से मिले हुए थे, और दो-दो पंखों से उनका शरीर ढपा हुआ था।
12 वे सीधे अपने-अपने सामने ही चलते थे; जिधर आत्मा जाना चाहता था, वे उधर ही जाते थे, और चलते समय मुड़ते नहीं थे।
13 जीवधारियों के रूप अंगारों और जलते हुए मशालों के समान दिखाई देते थे, और वह आग जीवधारियों के बीच इधर-उधर चलती-फिरती हुई बड़ा प्रकाश देती रही; और उस आग से बिजली निकलती थी। (प्रका. 4:5, प्रका. 11:1)
14 जीवधारियों का चलना-फिरना बिजली का सा था।
15 जब मैं जीवधारियों को देख ही रहा था, तो क्या देखा कि भूमि पर उनके पास चारों मुखों की गिनती के अनुसार, एक-एक पहिया था।
16 पहियों का रूप और बनावट फीरोजे की सी थी, और चारों का एक ही रूप था; और उनका रूप और बनावट ऐसी थी जैसे एक पहिये के बीच दूसरा पहिया हो।
17 चलते समय वे अपनी चारों ओर चल सकते थे*, और चलने में मुड़ते नहीं थे।
18 उन चारों पहियों के घेरे बहुत बड़े और डरावने थे, और उनके घेरों में चारों ओर आँखें ही आँखें भरी हुई थीं। (प्रका. 4:6)
19 जब जीवधारी चलते थे, तब पहिये भी उनके साथ चलते थे; और जब जीवधारी भूमि पर से उठते थे, तब पहिये भी उठते थे।
20 जिधर आत्मा जाना चाहती थी, उधर ही वे जाते, और पहिये जीवधारियों के साथ उठते थे; क्योंकि उनकी आत्मा पहियों में थी।
21 जब वे चलते थे तब ये भी चलते थे; और जब-जब वे खड़े होते थे तब ये भी खड़े होते थे; और जब वे भूमि पर से उठते थे तब पहिये भी उनके साथ उठते थे; क्योंकि जीवधारियों की आत्मा पहियों में थी।
22 जीवधारियों के सिरों के ऊपर आकाशमण्डल सा कुछ था जो बर्फ के समान भयानक रीति से चमकता था, और वह उनके सिरों के ऊपर फैला हुआ था। (यहे. 10:1)
23 आकाशमण्डल के नीचे, उनके पंख एक दूसरे की ओर सीधे फैले हुए थे; और हर एक जीवधारी के दो-दो और पंख थे जिनसे उनके शरीर ढँपे हुए थे।
24 उनके चलते समय उनके पंखों की फड़फड़ाहट की आहट मुझे बहुत से जल, या सर्वशक्तिमान की वाणी, या सेना के हलचल की सी सुनाई पड़ती थी; और जब वे खड़े होते थे, तब अपने पंख लटका लेते थे। (यहे. 10:5)
25 फिर उनके सिरों के ऊपर जो आकाशमण्डल था, उसके ऊपर से एक शब्द सुनाई पड़ता था; और जब वे खड़े होते थे, तब अपने पंख लटका लेते थे।
26 जो आकाशमण्डल उनके सिरों के ऊपर था, उसके ऊपर मानो कुछ नीलम का बना हुआ सिंहासन था; इस सिंहासन के ऊपर मनुष्य के समान* कोई दिखाई देता था। (प्रका. 1:13)
27 उसकी मानो कमर से लेकर ऊपर की ओर मुझे झलकाया हुआ पीतल सा दिखाई पड़ा, और उसके भीतर और चारों ओर आग सी दिखाई पड़ती थी; फिर उस मनुष्य की कमर से लेकर नीचे की ओर भी मुझे कुछ आग सी दिखाई पड़ती थी; और उसके चारों ओर प्रकाश था।
28 जैसे वर्षा के दिन बादल में धनुष दिखाई पड़ता है, वैसे ही चारों ओर का प्रकाश दिखाई देता था। यहोवा के तेज का रूप ऐसा ही था। और उसे देखकर, मैं मुँह के बल गिरा, तब मैंने एक शब्द सुना जैसे कोई बातें करता है। (यहे. 3:23)
यहेजकेल वह व्यक्ति था जिसकी आशाएँ कुचली जा चुकी थी और उसके सपने टूट चुके थे। काश वह किसी अन्य समय में रहता । काश वह किसी अन्य स्थान पर होता । काश! ऐसा प्रतीत हो रहा था कि परिस्थितियों ने उसकी सेवकाई के मार्ग को अवरोधित कर दिया था, और उसने खुद को बेबीलोन के करीब एक बांध के पास भ्रमित और निराश लोगों के बीच पाया।
शायद आप यहेजकेल से अपने आप को संबंधित कर सकते हैं। शायद आपकी ऊँची आशाएँ और बड़े सपने थे, और आपने कभी यह कल्पना नहीं की थी कि आप वहाँ होंगे जहाँ आप आज हैं।
परमेश्वर के लोग दो स्थानों में
यहेजकेल के समय, परमेश्वर के लोग दो स्थानों पर थे। उनमें से दस हजार बेबीलोन के कबार नहर पर थे, और बाकी यरुशलेम में थे जहाँ राजा सिंदकिय्याह बहुत मुश्किल से अपनी सत्ता को कायम रखा हुआ था।
बन्दियों को परमेश्वर का वचन सुनाने के लिए यहेजकेल को बुलाया गया था और उसी समय, यिर्मयाह यरुशलेम में शेष समुदाय को परमेश्वर का वचन सुना रहा था।
परिवार बंटे हुए थे और हर कोई सोच रहा था कि आगे क्या होगा। क्या यरुशलेम में संकटग्रस्त समुदाय जीवित रहेगा? बँधुआई से लोग कब वापस लौट सकेंगे? अगले महीने ? अगले वर्ष ? क्या कभी नहीं ?
परमेश्वर का वचन बोलने का दावा करने वाले लोगों के पास उत्तरों की कोई कमी नहीं थी । झूठे भविष्यवक्ता लोगों को आश्वस्त करने के लिए उत्सुक थे कि जो कुछ हुआ था वह केवल एक अस्थायी झटका था: “परमेश्वर अपने मंदिर को कभी नहीं छोड़ेंगे। बँधुआई से जल्द ही घर वापस आ जाएंगे। यरुशलेम कभी कैसे गिर सकता है?”
भविष्यवक्ता यिर्मयाह का संदेश अलग था, और यह अच्छी खबर नहीं थी। बन्दियों को एक पत्र में, उन्होंने बताया किं दस हजार निवासित लोगों को सत्तर वर्ष बीतने के बाद ही परमेश्वर वापस लौटने की अनुमति देंगे। उनका पूरा जीवन एक अजीब और विदेशी भूमि में व्यतीत होगा (यिर्मयाह 29 ) | उन्हें प्रोत्साहन की आवश्यकता थी और परमेश्वर ने उसे यहेजकेल के माध्यम से दिया।
महिमा प्रकट होती है
यहेजकेल के परमेश्वर की महिमा के दर्शन के सात तत्व हैं।
पहला कांच से बना एक विशाल मंच था जो सूरज की रोशनी में चमकता था (यहेजकेल 1:22 ) | मंच को जीवित प्राणियों ने पकड़ रखा था, प्रत्येक कोने पर एक-एक प्राणी था। ये प्राणी देवदूत थे (1:20)। और उन्होंने मंच को अपने पंखों पर टिका रखा था, परन्तु उनके पास एक से अधिक जोड़ी पंख थे, इसलिए वे उड़ भी सकते थे। मंच सीधे ऊपर उड़ सकता था, बिल्कुल एक हेलीकॉप्टर की तरह । (1:19)
तब यहेजकेल ने पहिए देखे: “जब मैं जीवधारियों को देख ही रहा था, तो क्या देखा कि भूमि पर उनके पास चारों मुखों की गिनती के अनुसार, एक एक पहिया था… और उनका रूप और बनावट ऐसी थी जैसे एक पहिये के बीच दूसरा पहिया हो” (1:15-16) | कल्पना कीजिए कि एक पहिया उत्तर से दक्षिण की ओर मुख कर रहा हो, जिसे पूर्व से पश्चिम की ओर जाने वाला एक अन्य पहिया काट रहा है। ये पहिये चार दिशाओं में से किसी भी दिशा में घूम सकते हैं, जो तब उपयोगी होगा जब आपको अपनी गाड़ी को किसी तंग जगह में समानांतर रूप से पार्क करने की आवश्यकता हो। आप बस गाड़ी का गियर बदल सकते हैं और अंदर गाड़ी को सरका सकते हैं!
ये पहिये मंच को गतिशीलता प्रदान करते थे । यहाँ हमें यह बताया जा रहा है कि परमेश्वर की उपस्थिति को किसी एक स्थान से निश्चित या सीमित नहीं किया जा सकता है। परमेश्वर जहाँ चाहे और किसी भी दिशा में जाने के लिए स्वतंत्र है। पृथ्वी पर ऐसी कोई जगह नहीं है जहाँ परमेश्वर का कोई व्यक्ति उसकी पहुँच से परे हो।
मंच, स्वर्गदूतों और पहियों के ऊपर “कुछ नीलम का बना हुआ सिंहासन था” (1:26)| “समान ” शब्द पर ध्यान दें। यहेजकेल जो देख रहा है उसे भाषा में वर्णन करने के लिए संघर्ष कर रहा है, और वह जितना ऊपर देखता है, उसे व्यक्त करना उसके लिए उतना ही कठिन होता है।
और फिर सिंहासन के ऊपर यहेजकेल ने देखा “मानो झलकाया हुआ पीतल, और उसके भीतर और चारों ओर आग-सी” (1:27)। और इसके साथ ही, कुछ और भी जिसे आप एक ही समय में देखने की उम्मीद नहीं करेंगे: “जैसे वर्षा के दिन बादल में धनुष दिखाई पड़ता है, वैसे ही चारों ओर का प्रकाश दिखाई देता था (1:28)। यहेजकेल ने आग और बिजली देखी जो परमेश्वर के प्रलय को दर्शाता है, और साथ ही, बादल में धनुष भी देखा जो परमेश्वर की अनुग्रह को दर्शाता है। और दोनों ही सिंहासन से बाहर आ रहे थे।
जैसे ही यहेजकेल ने इस दृश्य को देखा, वह और ज़्यादा ऊपर की ओर देखते जा रहा था। प्राणियों के ऊपर, मंच था। मंच के ऊपर, उसने “एक सिंहासन की समानता” देखी (1:26)। और सिंहासन के ऊपर उसने एक महान व्यक्ति को देखा, “मनुष्य के समान ” जिसके चारों ओर प्रकाश था (1:26-27)।
यहेजकेल को उस चीज़ को देखने की सबसे अधिक आवश्यकता थी जब वह उस स्थान से बहुत दूर था जहाँ वह होना चाहता था, किं परमेश्वर सिंहासन पर थे और परमेश्वर की उपस्थिति उसके साथ थी। जब आप वहाँ से दूर होते हैं जहाँ आप होना चाहते हैं, तो आपको परमेश्वर की महिमा के एक नए नज़रिये की सबसे अधिक आवश्यकता होती है।
महिमा चली जाती है
कुछ समय बाद यहेजकेल को एक बहुत ही अलग दर्शन दिया गया जिसमें उसने परमेश्वर के मंदिर में एक विशाल मूर्ति देखी। उसने देखा कि चारों ओर की दीवार पर विचित्र मूर्तियों के चित्र खिंचे हुए हैं ( 8:7-10)। मंदिर में भी अश्लील चीजें गुप्त रूप में घटित हो रही थी, और लोग कह रहे थे “यहोवा हम को नहीं देखता ” ( 8:12)।
तब यहेजकेल ने परमेश्वर की वही महिमा देखी जो उसने अपने पहले दर्शन में देखी थी (8:2-4)। ऐसा लग रहा था मानों परमेश्वर मूर्तियों को टक्कर दे रहे हों। परमेश्वर उस झूठी पूजा को नष्ट करने के लिए तैयार हो रहे थे जिसने उनके मंदिर को अपवित्र किया था।
जब यहेजकेल ने फिर से परमेश्वर की महिमा का दर्शन देखा, तो उसने भूमि, पहियों और परमेश्वर के सिहासन को दरवाजे की ओर बढ़ते देखा । परमेश्वर अपने मंदिर और अपने शहर को छोड़ने वाले थे (यहेजकेल 10:4,18; 11:22-23)|
परमेश्वर की उपस्थिति, जो उड़ते मंच का प्रतीक है, यरुशलेम छोड़ रही थी, परन्तु परमेश्वर ने अपने लोगों को या अपने वादों को नहीं छोड़ा था। उनके मुक्ति कार्य का केंद्र यरुशलेम से दूर जा रहा था। परमेश्वर मंदिर छोड़ रहे थे, परन्तु उनकी उपस्थिति अब कबार नदी के किनारे बन्दियों के बीच प्रकट की जाएगी। यहेजकेल अपने घर से दूर और मंदिर से दूर था, परन्तु वह परमेश्वर की इच्छा के केंद्र में था।
हो सकता है कि आप वहाँ न हों जहाँ आप होना चाहते हैं, परन्तु परमेश्वर ने आपको किसी कारण से उस जगह पर रखा है। और आपको यीशु मसीह की समानता के अनुरूप बनाने का उनका महान शाश्वत उद्देश्य आश्चर्यजनक रूप से आगे बढ़ेगा, चाहे आप कहीं भी हों।
महिमा वापस आती है
यहेजकेल के पहले दर्शन के बीस साल बाद, परमेश्वर ने उससे फिर से बात की। और यहेजकेल ने जो देखा उससे उसके हृदय को खुशी हुई होगी: “तब यहोवा का तेज उस फाटक से होकर जो पूर्वमुखी था, भवन में आ गया…. और यहोवा का तेज भवन में भर गया था” ( 43:4-5)। परमेश्वर की महिमा एक दिन मंदिर को भर देगी जो हर जनजाति और राष्ट्र के लोगों के लिए आराधना के केंद्र के रूप में काम करेगी।
यह यीशु की कहानी है
यहेजकेल ने “यहोवा की महिमा का स्वरूप” देखा (1:28)। इब्रानियों की पुस्तक हमें बताती है कि यीशु “परमेश्वर की महिमा का प्रकाश है” (इब्रानियों 1:3)। परमेश्वर की महिमा हमारे बीच में उतरी “और अनुग्रह और सच्चाई से परिपूर्ण होकर हमारे बीच में डेरा किया, और हम ने उसकी ऐसी महिमा देखी, जैसी पिता के एक लौते की महिमा ” (यूहन्ना 1:14 ) ।
इसे इस तरह से सोचें: परमेश्वर अपने मंच से उतर आए। शाश्वत सृष्टिकर्ता, महिमा के स्वामी, अपने सिंहासन से नीचे आए। बादल में धनुष, आग और बिजली से घिरे इस अवर्णनीय गौरवशाली व्यक्ति ने मानव शरीर धारण किया, और बेथलेहम में पैदा हुए। वह जो स्वर्गदूतों के द्वारा संभाले हुए सिंहासन पर बैठे थे, चरनी में पड़े थे, और स्वर्गदूतों ने उनकी तरफ नीचे देखा ।
न केवल महिमा के स्वामी मंच से नीचे आये, वे अपने मन्दिर में आये और परमेश्वर का वचन बोले। और महिमा के स्वामी, जो नीचे आये थे, मंदिर को छोड़ गए, किसी मंच पर नहीं, बल्कि एक क्रूस उठाकर।
परन्तु जो महिमा प्रकट हुई और चली गई वह एक दिन वापस आएगी। सारा इतिहास इसी ओर जाता है। हम उस दिन की उत्सुकता से प्रतीक्षा कर रहे हैं जब महिमा के परमेश्वर स्वर्ग से उतरेंगे। हम उन्हें देखेंगे, हम उनके जैसे बनेंगे, और हम हमेशा उनके साथ रहेंगे !
यह आपकी कहानी हो सकती है
यहेजकेल अपने जीवन के शुरुआती दिनों में एक प्रतिभाशाली व्यक्ति था, फिर भी उसने खुद को बेबील के एक अज्ञात स्थान में पाया। उसकी संभावनाएं धूमिल लग रही थीं, भविष्य के लिए उसकी व्यक्तिगत आशाएं टूट गई थी। शायद आपको भी ऐसा महसूस हुआ होगा। आपके जीवन में कुछ घटित होता है और आप स्वयं को यह कहते हुए पाते हैं, “यह ऐसा नहीं होना चाहिए था !” या शायद परमेश्वर ने आपको ऐसी जगह से उठा लिया है जहाँ आप खुश थे और आपको कहीं और ले गए हैं।
यहेजकेल का उड़ता मंच हमें याद दिलाता है कि परमेश्वर की उपस्थिति एक स्थान तक सीमित नहीं है। यदि परमेश्वर आपको आगे बढ़ाते हैं, तो उनकी उपस्थिति आपके साथ चलेगी। वे कहते हैं, “मैं तुझे कभी न छोडूंगा, और न कभी तुझे त्यागूंगा । ” ( इब्रानियों 13:5) | पृथ्वी पर ऐसी कोई जगह नहीं है जहाँ उनकी उपस्थिति न पहुँच सके।
यहेजकेल यह समझ गया था कि परमेश्वर की उपस्थिति के साथ बेबिलोन में रहना यरुशलेम में बिना उनकी उपस्थिति के रहने से बेहतर है !
परमेश्वर की गौरवशाली उपस्थिति यीशु मसीह में हमारे बीच आई । महिमा के परमेश्वर अपने मंदिर में आए, परन्तु लोगों ने उन्हें अस्वीकार कर दिया और यीशु ने क्रूस उठाकर यरुशलेम छोड़ दिया। महिमा प्रकट हुई और महिमा चली गई, परन्तु परमेश्वर का धन्यवाद, महिमा वापस आएगी। यीशु मसीह मृतकों में से जी उठे, और एक दिन वें सामर्थ्य और महिमा के साथ वापस आएंगे। बाइबल की कहानी उस समय की ओर इशारा करती है जब मानव इतिहास की महान बँधुआई समाप्त हो जाएगी और जब परमेश्वर के लोगों को हमेशा के लिए उनका आनंद लेने के लिए उनकी उपस्थिति में लाया जाएगा।
परमेश्वर के वचन के साथ और जुड़ने के लिए इन प्रश्नों का उपयोग करें। उन पर किसी अन्य व्यक्ति के साथ चर्चा करें या उन्हें व्यक्तिगत प्रतिबिंब प्रश्नों के रूप में उपयोग करें।
1. क्या आपने कभी कहा (या सोचा है, “ऐसा नहीं होना चाहिए! “?
2. यहेजकेल घर से दूर और मंदिर से दूर है, परन्तु फिर भी वह परमेश्वर की इच्छा के ठीक बीच में है, इस पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है?
3. यहेजकेल की दृष्टि लघु रूप में संपूर्ण बाइबल की कहानी के समान कैसे है?
4. इस कथन को अपने शब्दों में स्पष्ट करें: “परमेश्वर की उपस्थिति के साथ बेबिलोन में रहना जेरूसलम में बिना उनकी उपस्थिति के रहने से बेहतर है।” क्या आपको लगता है यह सच है?
5. परमेश्वर की महिमा के बारे में यहेजकेल का दृष्टिकोण आपके सामान्य रूप से परमेश्वर के बारे में सोचने के तरीके से किस प्रकार मेल खाता है?