1 राजा 8:1-11
1 तब सुलैमान ने इस्राएली पुरनियों को और गोत्रों के सब मुख्य पुरुषों को भी जो इस्राएलियों के पूर्वजों के घरानों के प्रधान थे, यरूशलेम में अपने पास इस मनसा से इकट्ठा किया, कि वे यहोवा की वाचा का सन्दूक दाऊदपुर अर्थात् सिय्योन से ऊपर ले आएँ। (प्रका. 11:19)
2 अतः सब इस्राएली पुरुष एतानीम नामक सातवें महीने के पर्व* के समय राजा सुलैमान के पास इकट्ठे हुए।
3 जब सब इस्राएली पुरनिये आए, तब याजकों ने सन्दूक को उठा लिया।
4 और यहोवा का सन्दूक, और मिलापवाले तम्बू, और जितने पवित्र पात्र उस तम्बू में थे, उन सभी को याजक और लेवीय लोग ऊपर ले गए।
5 और राजा सुलैमान और समस्त इस्राएली मंडली, जो उसके पास इकट्ठी हुई थी, वे सब सन्दूक के सामने इतने भेड़ और बैल बलि कर रहे थे, जिनकी गिनती किसी रीति से नहीं हो सकती थी।
6 तब याजकों ने यहोवा की वाचा का सन्दूक उसके स्थान को अर्थात् भवन के पवित्र-स्थान में, जो परमपवित्र स्थान है, पहुँचाकर करूबों के पंखों के तले रख दिया। (प्रका. 11:19)
7 करूब सन्दूक के स्थान के ऊपर पंख ऐसे फैलाए हुए थे, कि वे ऊपर से सन्दूक और उसके डंडों को ढाँके थे।
8 डंडे तो ऐसे लम्बे थे, कि उनके सिरे उस पवित्रस्थान से जो पवित्र-स्थान के सामने था दिखाई पड़ते थे परन्तु बाहर से वे दिखाई नहीं पड़ते थे। वे आज के दिन तक यहीं वर्तमान हैं।
9 सन्दूक में कुछ नहीं था, उन दो पटियाओं को छोड़ जो मूसा ने होरेब में उसके भीतर उस समय रखीं, जब यहोवा ने इस्राएलियों के मिस्र से निकलने पर उनके साथ वाचा बाँधी थी।
10 जब याजक पवित्रस्थान से निकले, तब यहोवा के भवन में बादल भर आया*।
11 और बादल के कारण याजक सेवा टहल करने को खड़े न रह सके, क्योंकि यहोवा का तेज यहोवा के भवन में भर गया था। (प्रका. 15:8)
बाइबिल की कहानी इस बारे में है कि किस प्रकार पुरुष और महिलाएं परमेश्वर की उपस्थिति में रह सकते हैं। मनुष्य के पाप और अवज्ञा के चुनाव की वजह से परमेश्वर की उपस्थिति खो गई थी, और उनकी उपस्थिति को परमेश्वर के अनुग्रह की पहल के द्वारा पुनः स्थापित किया गया था। इन पहलों में अब्राहम और मूसा को परमेश्वर का प्रकट होना, सिनाई पर्वत पर परमेश्वर की उपस्थिति जहाँ उन्होंने व्यवस्था विवर्ण दिया था, और वाचा के सन्दूक पर जहाँ परमेश्वर ने नीचे आने और महायाजक से मिलने का वादा किया था, शामिल थे।
परमेश्वर ने कहा था कि जब उनके लोग प्रतिज्ञात देश में आएंगे, तो वे एक ऐसी जगह का चुनाव करेंगे जहाँ वे उनसे मिलेंगे (व्यवस्थाविवरण 12:5)। दाऊद ने पहचाना कि यरूशलेम ही वह स्थान है, और वह एक मंदिर बनाकर परमेश्वर का सम्मान करना चाहता था, जिसमें वाचा का सन्दूक रखा जाएगा। परन्तु परमेश्वर ने दाऊद से कहा, “[तेरा पुत्र] मेरे नाम का घर वही बनवाएगा” (2 शमूएल 7:13), और मंदिर बनाने का विशेषाधिकार सुलैमान को मिला।
मंदिर के लिए समय
आम तौर पर, निर्माण स्थल, काटने, हथौड़े और चिल्लाने की आवाज़ से गूंजते हैं, परन्तु यह मंदिर पूर्ण शांति में स्थापित हुआ। प्रत्येक पत्थर को काटकर खदान में तैयार किया गया और फिर उसको जोड़ कर तैयार करने के लिए निर्माण स्थल पर लाया गया।
जब सारी सामग्रियां तैयार हो गईं, तो निर्माण करने की आज्ञा दी गई, और मंदिर शान्ति से बनाया गया: “और भवन के बनते समय हथौड़े बसूली या और किसी प्रकार के लोहे के औजार का शब्द कभी सुनाई नहीं पड़ा” ( 1 राजा 6:7) |
यह चित्र नए नियम में दर्शाया गया है, जहाँ परमेश्वर के लोगों को “जीवित पत्थरों” के रूप में वर्णित किया गया है (1 पतरस 2:5)। परमेश्वर आपके जीवन में जो कुछ भी कर रहे हैं वह आपको आपके शाश्वत भाग्य के लिए आकार दे रहे हैं। आपका दर्द और पीड़ा हथौड़े और छेनी की तरह है, जो आपको परमेश्वर के मंदिर में एक जीवित पत्थर के रूप में आकार देता है। जब यीशु मसीह लौटेंगे, तो यह तैयारी पूरी हो जाएगी, और परमेश्वर के लोग एक महिमामय मंदिर होंगे जिसमें उनकी उपस्थिति वास करेगी।
परमेश्वर के पत्थर तराशने वाले
पादरी कहते हैं की कुछ साल पहले, उन्हें रोमानियाई पादरी, जोसेफ टन का कुछ दिनों तक अपने घर में स्वागत करने का अवसर मिला। उन्हें उनके विश्वास के लिए जेल में कैद किया गया था, और जब उन्होंने मसीह के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की कीमत के बारे में बात की तो पादरी ने उसे ध्यान से सुना ।
उन्होंने वर्णन दिया कि किस प्रकार कैदी पहरेदारों से उनकी क्रूरता के कारण नफरत करते थे, परन्तु यूसुफ उनके लिए और उनके परिवारों के लिए प्रार्थना करते थे। जब उन पहरेदारों में से एक ने उनसे पूछा, “तुम हमारे प्रति कड़वाहट से क्यों नहीं भरे हो?”
यूसुफ ने उत्तर दिया, कि मेरी दृष्टि में तू परमेश्वर का पत्थर तराशने वाला है।
आपके जीवन में परमेश्वर का पत्थर तराशने वाले कौन हैं? हो सकता है कि वे आपके लिए पीड़ा लेकर आए हों, परन्तु परमेश्वर उस पीड़ा का उपयोग आपको मसीह की समानता में ढालने के लिए करेंगे। परमेश्वर आपको आकार देने के लिए आपके स्वास्थ्य, परिवार, नौकरी या वित्त के साथ कठिन परिस्थितियों का भी उपयोग कर सकते हैं। प्रक्रिया हमेशा दर्दनाक होती है, परन्तु जब मसीह वापस आएंगे तो आप वह सब होंगे जो वह आपको होने के लिए कहते हैं। और आप स्वर्ग में अपना स्थान पाएंगे जहाँ आप परमेश्वर की उपस्थिति को जानेंगे और उसका आनंद हमेशा के लिए पाएंगे।
समर्पण की आराधना
भवन का निर्माण पूरा हो जाने के बाद, लोग समर्पण की आराधना के लिए एकत्रित हुए जो परमेश्वर के लोगों के इतिहास में सबसे महान अवसरों में से एक साबित हुआ। जब पुरोहित वाचा के सन्दूक को मन्दिर के मध्य में परम पवित्र स्थान में ले आए, तब परमेश्वर की उपस्थिति उतरी: “यहोवा के भवन में बादल भर गया, और बादल के कारण याजक सेवा टहल करने को खड़े न रह सके, क्योंकि यहोवा का तेज यहोवा के भवन में भर गया था” (1 राजा 8:10-11)|
इन लोगों ने कभी भी परमेश्वर की साक्षात उपस्थिति का अनुभव नहीं किया था। पिछली बार जब परमेश्वर की महिमा इस तरह दिखाई दी थी, वह चार सौ साल से भी पहले रेगिस्तान में हुयी थी। इसलिए सुलैमान को लोगों को समझाना पड़ा कि क्या हो रहा था: “यहोवा ने कहा था कि मैं घोर अंधकार में वास किए रहूँगा” ( 8:12)।
मंदिर के केंद्र में सबसे पवित्र स्थान एक अँधेरा कमरा था जिसे वाचा के सन्दूक को रखने के लिए बनाया गया था। सन्दूक के ढक्कन पर करूबों की सुनहरी आकृतियाँ थीं, जो परमेश्वर के न्याय का प्रतिनिधित्व करती थीं। इसलिए जब परमेश्वर की उपस्थिति नीचे आई, तो वह इन आकृतियों द्वारा दर्शाए गए अलगाव को तोड़कर अपने लोगों के बीच आई।
आराधना के द्वारा प्रतिक्रिया
परमेश्वर की उपस्थिति के प्रति सुलैमान की पहली प्रतिक्रिया आराधना करना था ! “धन्य है इस्राएल का परमेश्वर यहोवा! जिसने अपने मुँह से मेरे पिता दाऊद को यह वचन दिया था, और अपने हाथ से उसे पूरा किया है” ( 8:15)।
परन्तु सुलैमान जानता था कि कोई भी भवन परमेश्वर को कभी नहीं समा सकता, और यह कि परमेश्वर की उपस्थिति का बादल जितनी जल्दी आया है वह उतनी ही जल्दी जा सकता है। वह परमेश्वर की उपस्थिति के एक संयोग के अनुभव से अधिक की चाहत रखता था । वह चाहता था कि मंदिर वह स्थान हो जहाँ परमेश्वर की उपस्थिति हमेशा पाई जा सकती हो, इसलिए उसने यह अनुरोध किया: “कि तेरी आँख इस भवन की ओर….. रात दिन खुली रहें: और जो प्रार्थना तेरा दास इस स्थान की ओर करे, उसे तू सुन ले” ( 8:29) |
सुलैमान ने यह भी पूछा कि परमेश्वर यरूशलेम से कई मील दूर रहने वाले लोगों की प्रार्थना सुनेगा: ” और तू अपने दास, और अपनी प्रजा इस्राएल की प्रार्थना जिसको वे इस स्थान की ओर गिड़गिड़ा के करें उसे सुनना, वरन् स्वर्ग में से जो तेरा निवास-स्थान है सुन लेना, और सुनकर क्षमा करना” ( 8:30)।
परमेश्वर की उपस्थिति से आशीषित भविष्य की आशा करते हुए सुलैमान का हृदय आनन्द से भर गया: “धन्य है यहोवा, जिसने ठीक अपने कथन के अनुसार अपनी प्रजा इस्राएल को विश्राम दिया है ….. हमारा परमेश्वर यहोवा जैसे हमारे पुरखाओं के संग रहता था, वैसे ही हमारे संग भी रहे, वह हम को त्याग न दे और न हम को छोड़ दे ” (8:56-57)।
मंदिर की दुखद कहानी
परन्तु खुशी टिकी नहीं। सुलैमान के समय के बाद, मनश्शे के नाम से एक और राजा ने अन्य देवताओं की पूजा को बढ़ावा दिया और ज्योतिष को परमेश्वर के मंदिर में पेश किया (2 राजा 21:5)। यह मूर्तिपूजा परमेश्वर के लिए इतनी अप्रिय थी कि उन्होंने अपने लोगों को उनके शत्रुओं के हाथों में सौंप दिया। बेबीलोन की सेना ने यरूशलेम को घेर लिया, शहर गिर गया, और मंदिर नष्ट हो गया।
यरूशलेम मलबे के ढेर में तब्दील हो गया था। इस प्रक्रिया में, वाचा का सन्दूक खो गया था, और (किसी मशहूर जासूस के असीम प्रयासों के बावजूद!) वह कभी नहीं मिला। इस तथ्य का बहुत बड़ा महत्व है। सन्दूक के बिना, मंदिर वह स्थान नहीं रह सकता जहाँ परमेश्वर अपने लोगों से मिलते हैं।
एज्रा और नहेमायाह के नेतृत्व में मंदिर का पुनर्निर्माण किया गया था, परन्तु यह केवल सुलैमान द्वारा बनाए गए मंदिर की छाया थी। लोग आराधना के लिए एकत्र होते थे, परन्तु परमेश्वर की उपस्थिति का बादल कभी नीचे नहीं आया। और हमारे प्रभु यीशु मसीह के समय तक, मंदिर “लुटेरों का अड्डा ” बन चुका था (मत्ती 21:13)।
हमारे साथ मंदिर
यीशु के जन्म का वर्णन करते हुए, यूहन्ना ने कहा, “और वचन देहधारी हुआ; और हमारे बीच में डेरा किया” (यूहन्ना 1:14)। हमारे बीच में डेरा किया का शाब्दिक अर्थ है ” तम्बू में होना,” या “अपना तम्बू खड़ा करना”, इसलिए यूहन्ना बता रहे हैं कि जब यीशु का जन्म हुआ था तो परमेश्वर की उपस्थिति उनके लोगों के बीच उतरी थी।
अपनी सेवकाई के आरंभ में, यीशु मंदिर में आए, और कहा, “इस मन्दिर को ढा दो, और मैं इसे तीन दिन में खड़ा कर दूँगा” (यूहन्ना 2:19)। जिन लोगों ने उन्हें सुना, उन्होंने सोचा कि वह इमारत की बात कर रहे थे, परन्तु यीशु अपने शरीर की बात कर रहे थे, वह यह दर्शा रहे थे कि वे स्वयं वह स्थान है जहाँ हम परमेश्वर से मिलते हैं: “यदि आप परमेश्वर से मिलना चाहते हैं, ” वह कह रहे थे, “मेरे पास आओ।”
वह स्थान जहाँ पुरुष और स्त्री परमेश्वर से मिल सकते हैं, यरूशलेम या कहीं और कोई इमारत नहीं है। वह स्थान जहाँ आप परमेश्वर से मिल सकते हैं वह यीशु मसीह के माध्यम से है। सुलैमान ने पूछा कि परमेश्वर के मंदिर की ओर निर्देशित प्रार्थनाओं को सुनेंगे, परन्तु यीशु ने वादा किया है कि परमेश्वर उनके नाम पर की जाने वाली प्रार्थनाओं को सुनेंगे: “जो कुछ तुम मेरे नाम से पिता से मांगोगे, वह तुम्हें देगा” (यूहन्ना 16:23)।
हम में आत्मा
जब शिष्य यीशु के साथ थे, तो उनके पास परमेश्वर की उपस्थिति में होने की खुली छूट थी । यीशु के रूप में परमेश्वर उनके साथ थे, इसलिए जब यीशु ने जाने की बात शुरू की, तो चेले परेशान हो गए।
परन्तु यीशु ने कहा, “मैं पिता से विनती करूँगा, और वह तुम्हें एक और सहायक देगा कि वह सर्वदा तुम्हारे साथ रहे। अर्थात् सत्य का आत्मा… क्योंकि वह तुम्हारे साथ रहता है, और वह तुम में होगा । “मैं तुम्हें अनाथ नहीं छोड़ूँगा; मैं तुम्हारे पास आता हूँ” (यूहन्ना 14:16-18)। चेलों ने यीशु में उनके साथ परमेश्वर की उपस्थिति को जान लिया था, परन्तु अब वे पवित्र आत्मा के द्वारा खुद में परमेश्वर की उपस्थिति को जानेंगे।
एक विश्वासी के जीवन में पवित्र आत्मा का उपहार इतना आश्चर्यजनक है कि पौलुस पूछते हैं, “क्या तुम नहीं जानते कि तुम्हारी देह पवित्रात्मा का मन्दिर है?” (1 कुरिन्थियों 6:19)। इसे समझने का प्रयास करें: आपका शरीर पवित्र आत्मा का मंदिर है। जिस प्रकार परमेश्वर की महिमामयी उपस्थिति सुलैमान के मंदिर के समर्पित होने के समय उतर आई थी, उसी प्रकार परमेश्वर की उपस्थिति उन लोगों के जीवन को भर देती है जो उनमें समर्पित हैं। इसलिए पौलुस प्रार्थना करते है कि विश्वासी “मसीह के उस प्रेम को जान सको जो ज्ञान से परे है कि तुम परमेश्वर की सारी भरपूरी तक परिपूर्ण हो जाओ” (इफिसियों 3:19)।
संपूर्ण मानव इतिहास उस दिन की ओर ले जा रहा है जब यीशु मसीह अपने लोगों को परमेश्वर की तत्काल उपस्थिति में ले जायेंगे। यह कैसा होगा, उसकी एक झलक प्रेरित यूहन्ना को दी गई थी। उन्होंने एक बड़ा शहर और लोगों की एक बड़ी भीड़ देखी । फिर उन्होंने ऊँचे शब्द से यह कहते हुए सुना, “देख, परमेश्वर का डेरा मनुष्यों के बीच में है। वह उनके साथ डेरा करेगा, और वे उसके लोग होंगे, और परमेश्वर आप उनके साथ रहेगा और उनका परमेश्वर होगा” (प्रकाशितवाक्य 21:3 )।
मंदिर में परमेश्वर की उपस्थिति के बादल ने संकेत दिया कि परमेश्वर मसीह में क्या करेंगे। परमेश्वर ने मानव शरीर धारण किया और यीशु के रूप में हमारे बीच उतर आए। जब हम उन पर विश्वास करते हैं, तो पवित्र आत्मा के द्वारा परमेश्वर की उपस्थिति हमारे जीवन में प्रवेश करती है, जो हमें आगे आने वाली खुशियों का स्वाद देती है जब हम उनके साथ हमेशा के लिए रहेंगे।
इन प्रश्नों का उपयोग परमेश्वर के वचन के साथ आगे जुड़ने के लिए करें। किसी अन्य व्यक्ति के साथ उनकी चर्चा करें या व्यक्तिगत प्रतिबिंब प्रश्नों के रूप में उनका उपयोग करें।
1. क्या आपको लगता है कि आप परमेश्वर की उपस्थिति में रहना चाहेंगे? क्यों या क्यों नहीं?
2. अभी आपके जीवन में परमेश्वर के पत्थर तराशने वाले कौन हैं? दर्द के बारे में बात करें। आप क्या सोचते हैं कि परमेश्वर आपको मसीह के समान बनाने के लिए इसका किस प्रकार उपयोग करना चाहेंगे?
3. मानव इतिहास में, परमेश्वर अपने लोगों के बीच कब आए? यदि हम आज परमेश्वर से मिलना चाहते हैं, तो हमें कहाँ जाना होगा?
4. प्रेरित पौलुस का क्या अर्थ था जब उन्होंने विश्वासियों से कहा, “तुम्हारा शरीर पवित्र आत्मा का मंदिर है” ?
5. हम अभी कैसे अनुभव कर सकते हैं कि स्वर्ग में जीवन कैसा होगा?