उत्पत्ति 11:1-9
1 री पृथ्वी पर एक ही भाषा, और एक ही बोली थी।
2 उस समय लोग पूर्व की और चलते चलते शिनार देश में एक मैदान पाकर उस में बस गए।
3 तब वे आपस में कहने लगे, कि आओ; हम ईंटें बना बना के भली भाँति आग में पकाएं, और उन्होंने पत्थर के स्थान में ईंट से, और चूने के स्थान में मिट्टी के गारे से काम लिया।
4 फिर उन्होंने कहा, आओ, हम एक नगर और एक गुम्मट बना लें, जिसकी चोटी आकाश से बातें करे, इस प्रकार से हम अपना नाम करें ऐसा न हो कि हम को सारी पृथ्वी पर फैलना पड़े।
5 जब लोग नगर और गुम्मट बनाने लगे; तब इन्हें देखने के लिये यहोवा उतर आया।
6 और यहोवा ने कहा, मैं क्या देखता हूं, कि सब एक ही दल के हैं और भाषा भी उन सब की एक ही है, और उन्होंने ऐसा ही काम भी आरम्भ किया; और अब जितना वे करने का यत्न करेंगे, उस में से कुछ उनके लिये अनहोना न होगा।
7 इसलिये आओ, हम उतर के उनकी भाषा में बड़ी गड़बड़ी डालें, कि वे एक दूसरे की बोली को न समझ सकें।
8 इस प्रकार यहोवा ने उन को, वहां से सारी पृथ्वी के ऊपर फैला दिया; और उन्होंने उस नगर का बनाना छोड़ दिया।
9 इस कारण उस नगर को नाम बाबुल पड़ा; क्योंकि सारी पृथ्वी की भाषा में जो गड़बड़ी है, सो यहोवा ने वहीं डाली, और वहीं से यहोवा ने मनुष्यों को सारी पृथ्वी के ऊपर फैला दिया॥
उत्पत्ति के शुरुआती अध्याय दुनिया में पाप की बढ़ती शक्ति को दर्शाते हैं। बुराई का यह ज्ञान जो शुरुआत में इतना आकर्षक लग रहा था, वह एक नष्ट करने वाली शक्ति और एक कड़वा दुश्मन निकला। आदम और हव्वा के पाप उनसे खुद जुड़ गए थे, और जब कैन दुनिया का पहला बच्चा पैदा हुआ, तो यह पाप पहले से ही उससे जुड़ा हुआ था।
बस एक और धक्का और वह बाहर था। और स्थल पे एक पल बाद शोर शुरू हो जाता है जैसे ही दुनिया के पहले बच्चे के आगमन की घोषणा होती है। उसकी मां के पास कोई दाई नहीं थी। उसके पास उसकी मदत के लिए सिर्फ़ उसका पति था, और उसको ज़रा भी अंदाज़ा नहीं था कि उसे क्या करना है। इसके बारे में ज़रा सोचें, न ही हव्वा को कोई अंदाज़ा था; परन्तु किसी तरह परमेश्वर की दया से, वे दोनों इसे कर पाए। और अब वह अपने नन्हे पुत्र, कैन, को अपनी बाहों में ले सकती थी।
हव्वा ने अपने पुत्र के जन्म में परमेश्वर की आशीष को देखा होगा। आखिरकार, परमेश्वर ने कहा था कि स्त्री की संतान के माध्यम से ही सर्प के सिर को कुचला जाएगा। शायद उसने अपने पुत्र की आंखों में देख कर विचार किया होगा कि वह किस प्रकार बुराई की धारा को उल्टा सकता है और स्वर्ग में उनकी वापसी करा सकता है।
यदि उसके विचार वह थे, तब वो बहुत निराश हुयी होगी, क्योंकि जिस पुत्र की मासूम प्रतीत होती आँखों में वह देख रही थी वह दुनिया का पहला हत्यारा निकला। परिवार को बुराई से छुड़ाने वाला होना तो दूर, कैन वह था जिसने दुनिया को बुराई की एक नई गहराई और अपने माता पिता के दिलों को दुखाने की एक नई गहराई का परिचय दिया।
उत्पत्ति 4 बताती है कि किस प्रकार से कैन एक क्रोधित युवा बन गया। परमेश्वर के खिलाफ लड़ने का एक आवेग पहले से ही उसके अंदर था, और अपने भाई को परमेश्वर के आशीर्वाद का आनंद लेते देख उसका क्रोध और भी बदतर हो गया। कैन ने अपने भाई से कहा, “चलो बाहर मैदान में जाते हैं।” वे दोनों बाहर चले गए, और जब वे वहां अकेले थे, “तब कैन ने अपने भाई हाबिल पर चढ़ कर उसे घात किया” (उत्पत्ति 4:8)। बुराई एक नई गहराई तक पहुंच गई थी, और पहली दफा हिंसा भड़क उठी ।
हमारे लिए यह सोचना स्वाभाविक है कि यदि हम अपने बच्चों के लिए एक प्यार भरा माहौल प्रदान करते हैं, उन्हें एक अच्छी शिक्षा देते हैं, और उन्हें गिरजा लाते हैं, तो परिणाम ईश्वरीय बच्चे होंगे। परन्तु, जैसा कि दुनिया के पहले माता-पिता ने पाया, यह हमेशा ऐसा नहीं होता। जब आदम और हव्वा ने अंत में समझा कि बुराई एक बढ़ती हुई शक्ति है, तब वे यहोवा से प्रार्थना करने लगे (4:26)। यह पहली प्रार्थना थी। शायद आप अपने दर्द में भी प्रार्थना की वास्तविकता को खोज पाएंगे।
इसके आगे की पीढ़ियों में, पाप प्रचंड हो गया। पृथ्वी पर मनुष्य की बुराई महान हो गई, और “उनके मन के विचार में जो कुछ उत्पन्न होता है सो निरन्तर बुरा ही होता है” (6:5)। पृथ्वी “उपद्रव से भर गई थी”- (6:11)। थोड़े ही समय में, हम बगीचे में अवज्ञा के एक कार्य से हिंसा के ज्वार तक गिर गए जो पृथ्वी को बहा ले गया। हमें यह बताना तो दूर वि मानव स्वभाव बेहतर हो जाता है (जैसा कि हमारी संस्कृति विश्वास करना पसंद करती है), बाइबल हमें बताती है कि जैसे-जैसे हम परमेश्वर से दूर होते जाते हैं, वैसे-वैसे हम और भी बुरे हो जाते हैं।
परमेश्वर पाप को काटते हैं
परमेश्वर ने बुराई की व्यापक शक्ति पर लगाम लगाने के लिए बाढ़ भेजी। यह बाढ़ एक विनाशकारी प्रलय थी जिसमें परमेश्वर ने वापस से पूरी मानव आबादी को काट कर सिर्फ एक परिवार के आठ लोगों में कर दिया, जिन्हें जहाज़ के माध्यम से बचाया गया था (7:23)।
नूह के पास एक अद्भुत अवसर था जैसे ही वह जहाज़ से एक नए आरंभ में निकला, एक नए वातावरण में, जिसमे ना तो कोई पुराना हिसाब बराबर करना था और ना कोई दुश्मन लड़ने के लिए था। परन्तु नूह पाप के बीज को अपने साथ नई दुनिया में लेके आया। और थोडे ही समय में वह नशे में था, और कुटिलता का बीज उसकी एक संतान में बढ़ रहा था (9:20-23)।
जब एक पादरी और उनकी पत्नी लंदन में रहते थे, तो उन्होने अपने बगीचे में लता से लड़ते हुए सोलह साल बिताए, जो एक तेजी से बढ़ती हुई, बेल की तरह जंगली घास होती है जो उनके गुलाबों के चारों ओर घाव कर देती थी। ये जंगली घास उनके बगीचे की मिट्टी में गहराई से जमी हुई थी, और चूंकि वह उनके पौधों की जड़ों से जुड़ी हुयी थी, तो इसे हटाना असंभव था। सबसे अच्छा वह यह कर सकते थे कि इसे वापस काट दे और इसे नियंत्रण में रखने की कोशिश की करें।
पाप ऐसा ही है। जब आप परमेश्वर की आज्ञाओं में से किसी एक का उल्लंघन करना चुनते हैं, तो आप जीवित बीज बोते हैं और वह बढ़ता है। शैतान आपको बताता है कि अनुभव आपके क्षितिज को व्यापक करेगा, परन्तु वास्तविकता यह है कि पाप आपकी आत्मा में भयानक युद्धों को स्थापित कर देगा |
पहली बात बाइबिल हमें पाप के बारे में यह कहती है, “वहां मत जाओ”। बुराई से दूर भाग जाओ। इससे जितना हो सके उतना दूर भाग जाओ क्योंकि यह एक बढ़ती हुयी शक्ति है। अपने आप को उन घावों और निशानों और लडाइयों के लिए तैयार न करें जो शायद वर्षों से आपके साथ हैं।
शायद तुम सोच रहे हो, “काश मैंने इसके बारे में सालों पहले सोचा होता, क्योंकि मैंने अपने जीवन में कुछ चीजें की आदतें डाल ली है और अब वे मेरी आत्मा के भीतर युद्ध की तरह हैं।” यह एक महान प्रतिक्रिया है। आप उस जंगली घास के बारे में ईमानदार है जिसे आपने बढ़ने की अनुमति दी है, और आप नहीं चाहते कि वे आपके जीवन पर हावी हो जाएँ। अब वो समय है कि आप वापस उनसे लड़े, और आप कर सकते हैं उस शक्ति के द्वारा जो परमेश्वर ने आपको दी है (फिलिप्पियों 4:13)।
परमेश्वर उस जंगली घास को अपने बगीचे पर काबू करने की अनुमति नहीं देंगे, इसलिए वह उसे वापस काट देते हैं। यदि परमेश्वर ने इस तरह से न्याय नहीं किया, तो पाप हर अच्छी चीज़ को नष्ट कर देगा। इसलिए परमेश्वर इसे वापस काटते रहते हैं। आदम और हव्वा ने परमेश्वर की अवज्ञा की, इसलिए परमेश्वर उन्हें बगीचे से निष्कासित करके उनके पाप की प्रगति की जाँच करते हैं। कैन पहला कातिल बना, इसलिए परमेश्वर ने उसे अपने परिवार से अलग कर दिया। नूह के समय में, बुराई बहुत अधिक बढ़ गयी, तो परमेश्वर ने इसे वापस बाढ़ के माध्यम से काट दिया। परन्तु पाप निरंतर बढ़ता रहा, और बहुत समय नहीं हुआ था कि बाबेल के लोगों के एक समुदाय ने परमेश्वर के प्रति अपनी अवज्ञा व्यक्त करने का एक नया तरीका ढूंढा ।
बाईस्वी मंजिल पर भ्रम
वक्त के साथ, एक नई तकनीकी विकसित की गई थी जिसने संभावनाओं की दुनिया खोल दी। ईंटों द्वारा एक शानदार परियोजना बैठाई: “आओ, हम एक नगर और एक गुम्मट बना लें, जिसकी चोटी आकाश से बातें करे, और इस प्रकार से हम अपना नाम करें, ऐसा न हो कि हम को सारी पृथ्वी पर फैलना पड़े” (उत्पत्ति 11:4)।
इस इमारत के साथ समस्या इसकी ऊंचाई नहीं बल्कि इसका उद्देश्य था, जो मानव महानता का प्रचार करना था। लोग अपने लिए नाम बनाना चाहते थे और अपनी सुरक्षा के लिए व्यवस्था करना चाहते थे। एक बार फिर, हम परमेश्वर के सिंहासन के लिए लोभी थे।
परमेश्वर ने मनुष्य के शहर के निर्माण को देखा और उसे एक निश्चित स्थिति तक आगे बढ़ने दिया, और फिर उन्होंने इसे वापस काट दिया। यहोवा ने कहा, “मैं क्या देखता हूं, कि सब एक ही दल के हैं और भाषा भी उन सब की एक ही है, और यह केवल शुरुआत है कि वे क्या करेंगे। और जो कुछ भी वे करने का प्रस्ताव करेंगे वह अब उनके लिए असंभव नहीं होगा। आओ, हम उतर के उनकी भाषा में बड़ी गड़बड़ी डालें, कि वे एक दूसरे की बोली को न समझ सकें (11:6-7)।
कल्पना कीजिए कि आप पिछले दो महीनों से बाबुल की इमारत की इक्कीसवीं मंजिल पर एक ही आदमी के साथ काम कर रहे हैं। एक दिन जब आप उसके पास पहुंचते हैं और उसे नमस्कार करते हैं, तो वह आपके न समझ में आने वाली आवाज़ के साथ आपको जवाब देता है। इस आदमी को क्या हो गया है? आप जल्द ही जान जाते है की आपके दल के अन्य साथी भी अस्पष्ट भाषा में बात कर रहे हैं, और आपको आश्चर्य होता है की जैसे यह किसी तरह का मजाक है।
आखिरकार, आपकी राहत के लिए, आपको इमारत स्थल पर कोई और मिलता है जो आपकी तरह बोलता है। तो आप उस्से कहते हैं, “ये बाकी के लोग पागल हैं। चलो यहां से चलते हैं। तो आप दोनों को कुछ और लोग मिल जाते है जो आपकी तरह बात करते हैं. और आप एक साथ एक नए समुदाय की स्थापना करने के लिए निकल जाते हैं जहां हर कोइ एक ही भाषा में बात करते हैं।
परमेश्वर ने मानव भाषा को भ्रमित करके मनुष्य की बगावत को वापस काट दिया, और इस तरह, “यहोवा ने मनुष्यों को सारी पृथ्वी के ऊपर फैला दिया” (11.:9)। बाबुल को छोटे परिवारों के समूहों द्वारा छोड़ दिया गया था, जो हर दिशा में आगे बढ़ रहे थे और उनके दिलों में भविष्य के संघर्ष के बीज पहले से ही बोए जा चुके थे। विडंबना यह है कि, जितना मनुष्य ने बिखरने से बचने का प्रयास किया, वही चीज़ परमेश्वर ने उनके साथ करी, और उन्होने यह बुराई के अग्रिम को नियंत्रित करने के लिए किया।
परमेश्वर के अनुग्रह के लिए अक्सर
जब परमेश्वर पाप को काटतें है, तो वह हमेशा अपने अनुग्रह के लिए जगह बिातें है। आदम और हव्वा को बगीचे से बाहर निकाल दिया गया था, परन्तु परमेश्वर ने एक उद्धारक का वादा किया। कैन ने अपने भाई की हत्या करी, परन्तु परमेश्वर ने एक और पुत्र दिया, शेत, जिसने आशा का एक नया मार्ग शुरू किया। बाढ़ ने सभी मानव जीवन को नष्ट कर दिया, परन्तु परमेश्वर ने नूह और उसके परिवार को जहाज में सुरक्षित रखा। इसलिए, जब परमेश्वर ने बाबुल इमारत पर प्रलय लायी, तो हम यह जानने के लिए उत्सुक हो जाते हैं कि किस प्रकार परमेश्वर अपने अनुग्रह की पहल करेंगे।
बाबुल की इमारत कि कहानी के अंत में, हमने वंशावली पढ़ी जो शेम के साथ शुरू हुई और तेराह, अब्राहीम के पिता के साथ समाप्त हुई (11:10-26)। परमेश्वर अब्राहीम के सामने प्रकट हुये, ठीक उसी तरह जिस प्रकार उन्होंने आदम को बगीचे में दर्शन दिया था (प्रेरितों के काम 7:2)। उस समय तक, अब्राहीम परमेश्वर के बारे में कुछ भी नहीं जानता था। उसका परिवार दूसरे देवताओं कि आराधना करता था (यहोशू 24:2)। परन्तु परमेश्वर ने इब्राहीम और उसके वंशजों को आशीर्वाद देने का वचन दिया, और उन्होने वचन दिया कि उसके वंश के माध्यम से पृथ्वी के चेहरे पर हर राष्ट्र धन्य हो जाएगा (उत्पत्ति 12:1-3)।
बाकी का पुरान नियम इस परिवार के वंश का अनुसरण करता है जो हमें मसीह तक ले जाता है. जो क्रूस पर चढ़ाये गए और तीसरे दिन जी उठे। चालीस दिन बाद, वह स्वर्ग में चढ़ गए। फिर पेंटिकोस्ट के दिन, परमेश्वर ने बाबुल को औंधा दिया। जब परमेश्वर की आत्मा आयी, तो प्रेरितों ने खुद को उन भाषाओं में अनायास बोलते हुए पाया जिन्हें उन्होंने कभी नहीं सीखा था, ताकि दुनिया भर के लोग यीशु मसीह के सुसमाचार को अपनी भाषा में सुन और समझ सकें (प्रेरितों के कार्य 25-8.11)।
क्या आप इसका अंतर देखते हैं? बाबुल में, भाषा परमेश्वर का न्याय था जिससे भ्रम पैदा हुआ और लोग बिखर गए। पेंटिकोस्ट के ददि में, भाषा परमेश्वर की एक आशीष थी जिससे समझ पैदा हुयी और लोग इकट्ठे हुए।
परमेश्वर द्वारा अपने लोगों को इकट्ठा करने की कहानी प्रकाशित वाक्य, बाइबल की अंतिम पुस्तक में समाप्त होती है, जहाँ हर जनजाति और राष्ट्र और भाषा के लोगों की एक विशाल भीड़ पायी जाति है (प्रकाशित वाक्य 7:9), जो एकजुट हो जाते हैं, जैसे वे मसीह की आराधना करते हैं जिन्होंने उन्हे मुक्ति दिलाई और उन्हें एक साथ लाया: “उद्धार हमारे परमेश्वर का है जो सिंहासन पर बैठा है, और मेमने का है” (7:10)।
परमेश्वर ने मनुष्यके बढ़ते विद्रोह पर रोक लगाने के लिए मानवजाति को विभिन्न भाषाई समूहों में विभाजित किया। यह रोक उल्लेखनीय रूप से प्रभावी रही है। मानव इतिहास के दौरान राष्ट्रों को एक साथ लाने के लिए कई प्रयास किए गए हैं, परंतु कोई भी सफलता हमेशा सीमित और अल्पकालिक रही है।
परन्तु परमेश्वर यीशु मसीह के माध्यम से सभी देशों के लोगों को एक साथ ला रहा है। स्वर्ग में उन सभी बाधाए जिसने पूरे इतिहास मे लोगो को विभाजित किया है वर्ग, जाती और भाषा पूरी तरह से हटा दिया जाएगा, और परमेश्वर अपने लोगों को पुकारता है ताकि वे अब गिरजा में एकता को व्यक्त करना शुरू करे दे।
परमेश्वर के वचन के साथ और अधिक जुड़ने के लिए इन प्रश्नों का प्रयोग करें। किसी अन्य व्यक्ति के साथ इन प्रश्नों पर विचार विमर्श करें या इन प्रश्नों को आत्म विश्लेषण के लिए प्रयोग करें।
1. आज हमारी संस्कृति में सामान्य भावना के बारे में आप क्या सोचते हैं कि क्या आम तौर पर लोग अच्छे होते हैं? उत्पत्ति के शुरुआती अध्यायों के साथ यह वर्ग कैसे करता है?
2. आपने अपने ही जीवन में पाप की शक्ति की वास्तविकता को कहां देखा है?
3. क्या आप ऐसे समय के बारे में सोच सकते हैं जब आपने अनुभव किया हो की परमेश्वर ने आपके जीवन से पाप को हटाया?
4. इस पर प्रतिक्रिया दें: जब परमेश्वर पाप की कटौती करते हैं, तो वे हमेशा अपनी कृपा के लिए जगह बनाते हैं।
5. क्या आपने कभी सोचा है कि आज हमारी दुनिया में कई भाषाएं क्यों हैं?