उत्पत्ति 12:1-9
1 यहोवा ने अब्राम से कहा, “अपने देश और अपने लोगों को छोड़ दो। अपने पिता के परिवार को छोड़ दो और उस देश जाओ जिसे मै तुम्हें दिखाऊँगा।
2 “मैं तुम्हें आशीर्वाद दूँगा। मैं तुझसे एक महान राष्ट्र बनाऊँगा। मैं तुम्हारे नाम को प्रसिद्ध करूँगा। लोग तुम्हारे नाम का प्रयोग दूसरों के कल्यान के लिए करेंगे।
3 मैं उन लोगों को आशीर्वाद दूँगा, जो तुम्हारा भला करेंगे। किन्तु उनको दण्ड दूँगा जो तुम्हारा बुरा करेंगे। पृथ्वी के सारे मनुष्यों को आशीर्वाद देने के लिए मैं तुम्हारा उपयोग करूँगा।”
4 अब्राम ने यहोवा की आज्ञा मानी। उसने हारान को छोड़ दिया और लूत उसके साथ गया। इस समय अब्राम पच्हत्तर वर्ष का था।
5 अब्राम ने जब हारान छोड़ा तो वह अकेला नहीं था। अब्राम अपनी पत्नी सारै, भतीजे लूत और हारान में उनके पास जो कुछ था, सबको साथ लाया। हारान में जो दास अब्राम को मिले थे वे भी उनके साथ गए। अब्राम और उसके दल ने हारान को छोड़ा और कनान देश तक यात्रा की।
6 अब्राम ने कनान देश में शकेम के नगर और मोरे के बड़े पेड़ तक यात्रा की। उस समय कनानी लोग उस देश में रहते थे।
7 यहोव अब्राम के सामने आया यहोवा ने कहा, “मैं यह देश तुम्हारे वंशजों को दूँगा।” यहोवा अब्राम के सामने जिस जगह पर प्रकट हुआ उस जगह पर अब्राम ने एक वेदी यहोवा की उपासना के लिए बनाया।
8 तब अब्राम ने उस जगह को छोड़ा और बेतेल के पूर्व पहाड़ों तक यात्रा की। अब्राम ने वहाँ अपना तम्बू लगाया। बेतेल नगर पश्चिम में था। ये नगर पूर्व में था। उस जगह अब्राम ने यहोवा के लिए दूसरी वेदी बनाई और अब्राम ने वहाँ यहोवा की उपासना की।
9 इसके बाद अब्राम ने फिर यात्रा आरम्भ की। उसने नेगव की ओर यात्रा की।
शुरू से ही बाइबल आशा की कहानी है। जब पाप ने संसार में प्रवेश किया, तो परमेश्वर ने वादा किया कि पाप यहाँ टिक नहीं सकेगा। एक स्त्री की सन्तान के द्वारा परमेश्वर एक उद्धारकर्ता को भेजेंगे जो सर्प के सिर को कुचल देगा। परमेश्वर अपने वचन को कैसे पूरा करेंगे इसकी कहानी उत्पत्ति 12 में शुरू होती है।
अब्राम जिसे बाद में अब्राहम का नाम दिया गया था, उसका जन्म यीशु मसीह से लगभग 2000 साल पहलेयूफ्रेट्स नदी के पूर्व में हुआ था जहां वह और उसका परिवार मूर्तियों की पूजा करते थे, अब्राहम परमेश्वर के बारे में कुछ भी नहीं जानता था परन्तु एक दिन परमेश्वर उनके सामने प्रकट हुए, ठीक वैसे ही जैसे वे बगीचे में आदम और हव्वा के सामने प्रकट हुए थे (प्रेरितों के काम 7:2)। परमेश्वर ने कहा, “मैं तुझे आशीष दूंगा, और
तेरा नाम बड़ा करूंगा, ताकि तू आशीष का मूल होगा। तुझ में पृथ्वी के सभी परिवार धन्य होंगे” (उत्पत्ति 12:2-3)। इसलिए अब्राहम से किया गया वादा हमारे लिए भी एक वादा है। यही कारण है कि, उत्पत्ति 12 से, बाइबिल की कहानी अब्राहम के वंश और उसकी परिवार रेखा के ऊपर चलती है।
परमेश्वर का वचन अनुग्रह का उपहार है
अब्राहम को आशीष देने की परमेश्वर की प्रतिज्ञा में दो विशिष्टताएँ हैं । पहला, एक धन्य लोग:
“मैं तुमसे एक महान राष्ट्र बनाऊंगा” (12:2)। दूसरा, एक धन्य जगह: ” यहोवा ने अब्राम से कहा, ‘अपने देश, और अपने कुटुम्बियों, और अपने पिता के घर को छोड़कर उस देश में चला जा जो मैं तुझे दिखाऊँगा‘ ” (12:1)। अब्राहम जब उस स्थान पर पहुँचा, परमेश्वर ने कहा, “यह देश मैं तेरे वंश को दूँगा” (12:7)।
संक्षेप में बाइबल की कहानी इस बारे में है कि, किस प्रकार परमेश्वर इस पतित संसार में कदम रखते हैं, एक धन्य लोगों को इकट्ठा करने के लिए और उंहें एक धन्य जगह पर लाने के लिए। इसीलिए कहानी के अंत में हम परमेश्वर की उपसतिथी में इकट्ठे हुए हर एक गोत्र और जाति के लोगों को उनके सानिध्य का आनन्द लेते हुये देखते हैं (प्रकाशित वाक्य 7:9)।
परन्तु दो समस्याएं थीं। पहली, परमेश्वर ने अब्राहम को एक महान राष्ट्र बनाने का वचन दिया था, परन्तु अब्राहम की कोई सन्तान नहीं थी। वह पचहत्तर साल का था, और सारा उससे सिर्फ दस साल पीछे थी, इसलिए वे दोनों वृद्धावस्था पेंशन के पात्र थे और बच्चे पैदा करने की उम्मीद से काफी दूर थे। दूसरी समस्या यह थी कि जब अब्राहम ईश्वर द्वारा प्रतिश्रुत देश में पहुँचा, तो उसने पाया कि वह स्थान पहले से ही कब्जा कर लिया गया था: “उस देश में कनानी लोग रहते थे” (उत्पत्ति 12:6)। केवल परमेश्वर ही ऐसा वादा को पूरा कर सकते थे। आशीष का वचन परमेश्वर से आता है और यह परमेश्वर पर निर्भर करता है। यह अनुग्रह का उपहार है।
परमेश्वर का वचन विश्वास से प्राप्त होता है
सन्तान के आने या कनानी लोगों के जाने के कोई संकेत के बिना साल बीतते गए। परन्तु अब्राहम ने “यहोवा पर विश्वास किया; और यहोवा ने इस बात को उसके लेखे में धर्म गिना“(15:6)। यह पुराने नियम में सबसे महत्वपूर्ण छंदों में से एक है क्योंकि यह हमें बताता है कि हम परमेश्वर के साथ एक सही रिश्ते में कैसे आ सकते हैं।
बाइबल यह नहीं कहती है कि परमेश्वर ने अब्राहम को धर्मी माना क्योंकि उसने आज्ञा का पालन किया या इसलिए कि उसने प्रार्थना की। अब्राहम धर्मी गिना गया क्योंकि उसने विश्वास किया। तो अब्राहम ने क्या विश्वास किया जिसके कारण परमेश्वर ने उसे धर्मी के रूप में गिना?
बाइबल हमारे लिए ईश्वर द्वारा दी गई एक कहानी है, जिसे एक जगह पर समझना मुश्किल है उसे अक्सर दूसरे स्थान में समझाया गया है। हम शास्त्र के प्रकाश में शास्त्र की व्याख्या करते हैं।
बाइबल की कहानी को यीशु के समय तक आगे बढ़ाएँ, और आप हमारे प्रभु को अब्राहम के बारे में बातचीत करते हुये पाएंगे: “तुम्हारा पिता अब्राहम
मेरा दिन देखने की आशा से बहुत मगन था; और उसने देखा और आनन्द किया”।” (यूहन्ना 8:56)|
ईसा के जन्म से दो हजार साल पहले, अब्राहम को ईसा मसीह की एक झलक दी गई थी। वह समझ गया था कि परमेश्वर उसे एक वंशज देंगे जिसके माध्यम से दुनिया को आशीष देने का परमेश्वर का वचन पूरा होगा। यह वंशज ईसा है, परमेश्वर का पुत्र, जो अब्राहम की वंशज, मरियम के द्वारा जगत में आए |
बाइबल की पहली पुस्तक हमें बताती है कि हम विश्वास के द्वारा किस प्रकार परमेश्वर के साथ सही हो सकते हैं। अब्राहम उसी तरीके से बचाया गया था जिस तरेके से हुमे बचाया गया है, प्रभु ईसा मसीह में विश्वास करके । उसने दूर से मसीह का दिन देखा, और उसने विश्वास किया।
हालाँकि वह यीशु का नाम या क्रूस का विवरण नहीं जानता था, अब्राहम यह देखने के इंतज़ार में था कि मसीह आगे क्या पूरा करेंगे, जैसे हम विश्वास में पीछे मुड़कर देखते हैं। प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास करके ही हम परमेश्वर के साथ सही बने हैं।
महत्वपूर्ण सवाल केवल यह नहीं है कि “क्या आप विश्वास करते है?” परन्तु “क्या आप प्रभु ईसा मसीह में विश्वास करते हैं?” क्या आप अब्राहम की तरह विश्वास करते हैं?
मसीह में विश्वास हमें परमेश्वर के साथ कैसे सही बनाता है? मान लीजिए कि आपके पास कोई बैंक खाता है जो घाटे में है, और एक दोस्त आपकी मदद करने का फैसला करता है। वह आपसे पूछता है कि आप पर कितना बकाया है। “यह १० लाख है,” आप कहते हैं।
आपका दोस्त आपकी मदद करने के लिए सहमत होता है और जब उसका पैसा आपके खाते में जमा हो जाता है, तो आपका कर्ज उतर जाता है।
आपका लाभ उसका नुकसान है। जो आपके हक़ में गिना जाता है, वही उसके खिलाफ गिना जाता है। यही यहां की भाषा है। अब्राहम ने ” यहोवा पर विश्वास किया; और यहोवा ने इस बात को उसके लेखे में धर्म गिना” (उत्पत्ति 15:6)।
यदि मसीह को हमें धार्मिकता का श्रेय देना है, तो उन्हे खुद पर भारी कर्ज लेना पड़ेगा, और उन्होने क्रूस पर ऐसा ही किया। हमारा सारा कर्ज मसीह पर लाद दिया गया था, और जब आप उन पर विश्वास करते हैं, तो पिता अपनी धार्मिकता का श्रेय आपको देते हैं।
परमेश्वर का वचन अकल्पनीय कीमत पर आता है
“इन बातों के पश्चात् ऐसा हुआ कि परमेश्वर ने अब्राहम से यह कहकर उसकी परीक्षा की, “हे अब्राहम!” उसने कहा, “देख, मैं यहाँ हूँ।” उसने कहा,
“अपने पुत्र को अर्थात् अपने एकलौते पुत्र इसहाक को, जिस से तू प्रेम रखता है, संग लेकर मोरिय्याह देश में चला जा; और वहाँ उसको एक पहाड़ के ऊपर जो मैं तुझे बताऊँगा होमबलि करके चढ़ा ” (उत्पत्ति 22:1-2 )। आप इन छंदों को पढ़ते हैं और आपको आश्चर्य होता है, “दुनिया में यह सब क्या है? परमेश्वर अब्राहम से ऐसा करने के लिए क्यों कहेगें?”
परमेश्वर ने वचन दिया था कि उनकी आशीष अब्राहम के वंशज के माध्यम से दुनिया में आएगी, परन्तु उसकी कोई संतान नहीं थी। तब कृपा के चमत्कार में, परमेश्वर ने संतान दी। और अब परमेश्वर कहते हैं कि इस धन्य संतान को त्याग देना होगा !
इसहाक और उसके वंशजों के माध्यम से मसीहा को दुनिया में आना था। इसलिए इसहाक को जीना था; उसे शादी करनी थी और उसे बच्चे पैदा करने थे। अगर इसहाक की बलि दे दी जाती तो वचन कैसे पूरा किया जा सकता था?
अब्राहम ने बलिदान की आवश्यकता पर सवाल नहीं उठाया। यह आश्चर्यजनक है क्योंकि परमेश्वर ने जब अब्राहम को सदोम पर न्याय के बारे में बताया, तो अब्राहम प्रभु के सामने खड़ा हो गया और उसने शहर को बख्शने का निवेदन किया (18:22-23)। परन्तु जब परमेश्वर कहतें है कि इसहाक का बलिदान होना चाहिए, तो अब्राहम कोई आपत्ति नहीं उठाता है।
अब्राहम यह समझने लगता है कि अगर परमेश्वर की आशीष दुनिया में प्रवाहित करनी है, तो बलिदान किया जाना अव्यशक है। शायद उसकी अंतरात्मा ने उसे यह बताया। परमेश्वर ने कहा था, “मेरी उपस्थिति में चल और सिद्ध होता जा ” (171) | अब्राहम निर्दोष होने से बहुत दूर था। एक समय में उसने अपनी पत्नी के बारे में झूठ बोला था, और दूसरे समय पर वह परमेश्वर के वचन पर हंस पड़ा था। अधिक से अधिक, अब्राहम ने हिस्सों में परमेश्वर की आज्ञा का पालन किया था। वह सिर उठा के नहीं कह सकता था कि, “मैंने वह सब किया है जो परमेश्वर मुझे करने के लिए
कहा था”। वह निर्दोष नहीं था, और न ही हम हैं ।
तो दुनिया को आशीष देने का जो परमेश्वर ने वचन दिया था वह कैसे पूरा हो सकता था यदि अब्राहम ने उन शर्तों को पूरा नहीं किया होता? एक
बलिदान होना अव्यशक था, और अब्राहम यह जानता था।
परमेश्वर बलिदान प्रदान करता है।
जैसे-जैसे अब्राहम अपने बेटे के साथ पहाड़ पर चढ़ता है, एक मार्मिक क्षण आता है: “इसहाक ने अपने पिता अब्राहम से कहा, हे मेरे पिता; उसने कहा, हे मेरे पुत्र, क्या बात है उसने कहा, देख, आग और लकड़ी तो हैं; पर होमबलि के लिये भेड़ कहां है?’ अब्राहम ने कहा, हे मेरे पुत्र, परमेश्वर होमबलि की भेड़ का उपाय आप ही करेगा‘ (उत्पत्ति 22:7-8)।
जब वे पहाड़ की चोटी पर पहुँचते हैं, तो ऐसा प्रतीत होता है कि इसहाक ही बलिदान होगा। उसे बांधकर वेदी पर रखा जाता है। इसहाक उस समय पर एक जवान युवा रहा होगा, इसलिए किसी भी कलात्मक छाप को भूल जाइए जो आपने कल्पना में देखि होगी कि एक छोटा बच्चा वेदी पर असहाय पड़ा हुआ है। इसहाक ने लकड़ी को अपने कंधों पर लादा था ( 22:7 ) । वह जीवन के प्रमुख पड़ाव में था और यदि वह चाहता तो अब्राहम को आसानी से पराजित कर सकता था, जो कि सौ वर्ष से अधिक था।
परन्तु इसहाक ने ऐसा नहीं किया। वह अपनी जान देने को तैयार था। तो यहाँ आपके पास यह है कि एक पिता है जो अपने पुत्र को त्यागने को तैयार है, और एक पुत्र है जो अपने आप को त्यागने को तैयार है। और वे दुनिया को आशीष दिलाने के लिए जो कुछ कर रहे हैं उसमें एक मन के हैं।
फिर महत्वपूर्ण क्षण में, प्रभु का दूत स्वर्ग से कहता है: ” उस लड़के पर हाथ मत बढ़ा, और न उससे कुछ कर” ( 22:12)।
तब परमेश्वर बलिदान प्रदान करतें हैं: “तब अब्राहम ने आँखें उठाईं, और क्या देखा कि उसके पीछे एक मेढ़ा अपने सींगों से एक झाड़ी में फँसा हुआ है; अत: अब्राहम ने जाके उस मेढ़े को लिया, और अपने पुत्र के स्थान पर उसे होमबलि करके चढ़ाया” ( 22:13)।
मुझे उम्मीद है कि आप इस कहानी का जवाब दो तरह से देंगे। पहला, मुझे लगता है कि आप डर से पीछे हटेंगे। आप इस कहानी को पढ़ के यह मतलब निकालेंगे और कहेंगे की, “किस तरह की अकल्पनीय कीमत है यह? दूसरा, मुझे आशा है कि आप आश्चर्य से उस वास्तविकता को देखेंगे जिसकी ओर यह कहानी इशारा करती है। परमेश्वर का कभी यह इरादा नहीं था कि अब्राहम को इसहाक का बलिदान करना चाहिए। परन्तु यह
दर्दनाक कहानी, जहां अपने पुत्र को छोड़ने के लिए तैयार पिता की और अपनी जान देने के लिए तैयार पुत्र हमें यह दिखाने के लिए है कि परमेश्वर के वचन को पूरा करने और दुनिया में उनकी आशीष लाने की क्या कीमत है।
परमेश्वर ने वह किया जिसका अब्राहम और इसहाक केवल वर्णन कर सकते थे। परमेश्वर पिता ने अपने पुत्र को त्याग दिया। परमेश्वर पुत्र ने हमारे लिए स्वयं को खुशी से दे दिया। जैसे इसहाक ने लकड़ी को अपनी पीठ पर ढोया था, वैसे ही यीशु ने क्रूस को अपने कंधों पर ढोया था। वह बलिदान बन गए। उन्होने परमेश्वर के न्याय की आग में हमारा स्थान ले लिया ।
परमेश्वर पिता और परमेश्वर पुत्र आपके और मेरे लिए आत्म-दान में एक थे। कौन सा कठिन है, अपना जीवन देना या जिसे आप प्यार करते हैं उसे त्याग देना? परमेश्वर ने एक ही समय में दोनों पीड़ाओं का अनुभव किया। पिता ने अपने ही बेटे को नहीं बख्शा बल्कि खुशी से उसे हम सभी के लिए त्याग दिया (रोमियो 8:32)। परमेश्वर का पुत्र “मुझ से प्रेम किया और मेरे लिए खुद को दे दिया” (गलातियों 2:20 ) । परमेश्वर की आशीष का
वचन एक अकल्पनीय कीमत पर आया जो स्वयं परमेश्वर ने हमारे लिए वहन किया।
अब्राहम के वंशज के माध्यम से दुनिया को आशिषित करने का परमेश्वर का वचन यीशु मसीह में पूरा होता है। यहोवा पिता अपने पुत्र को संसार में भेजकर प्रसन्न हुए, जहां उन्होने हमारे पापों को क्रूस पर चढ़ा दिया और बलिदान के रूप में अपना जीवन दे दिया, ताकि उनकी धार्मिकता का
श्रेय उन सभी को दिया जा सके जो उनके पास विश्वास में आते हैं।
परमेश्वर के वचन के साथ और अधिक जुड़नें के लिए इन प्रश्नों का प्रयोग करें। किसी अन्य व्यक्ति के साथ इन प्रश्नों पर विचार विमर्श करें या इन प्रश्नों को आत्म विश्लेषण के लिए प्रयोग करें।
1. बाइबल अब्राहम और उसके वश की कहानी पर क्यूँ चलती है?
2. अब्राहम ” उसने यहोवा पर विश्वास किया; और यहोवा ने इस बात को उसके लेखे में धर्म गिना” (उत्पत्ति 15:6)। यह अनुवाक्य हमें क्या बताता है?
3. क्या आप अब्राहम की तरह विश्वास करते हैं? आपका विश्वास एक समान कैसे है? यह कैसे अलग है?
4. विश्वास कैसे “काम” करता है? यह एक व्यक्ति को परमेश्वर के साथ कैसे सही बनाता है?
5. इस बयान पर प्रतिक्रिया दे: “परमेश्वर ने आपके पापों के लिए बलिदान प्रदान किया है।