लैव्यव्यवस्था 16: 1 – 22
1 जब हारून के दो पुत्र यहोवा के सामने समीप जाकर मर गए*, उसके बाद यहोवा ने मूसा से बातें की;
2 और यहोवा ने मूसा से कहा, “अपने भाई हारून से कह कि सन्दूक के ऊपर के प्रायश्चितवाले ढकने के आगे, बीचवाले पर्दे के अन्दर, अति पवित्रस्थान में हर समय न प्रवेश करे, नहीं तो मर जाएगा; क्योंकि मैं प्रायश्चित वाले ढकने के ऊपर बादल में दिखाई दूँगा। (इब्रा. 6:19)
3 जब हारून अति पवित्रस्थान में प्रवेश करे तब इस रीति से प्रवेश करे, अर्थात् पापबलि के लिये एक बछड़े को और होमबलि के लिये एक मेढ़े को लेकर आए।
4 वह सनी के कपड़े का पवित्र अंगरखा, और अपने तन पर सनी के कपड़े की जाँघिया पहने हुए, और सनी के कपड़े का कटिबन्ध, और सनी के कपड़े की पगड़ी बाँधे हुए प्रवेश करे; ये पवित्र वस्त्र हैं, और वह जल से स्नान करके इन्हें पहने।
5 फिर वह इस्राएलियों की मण्डली के पास से पापबलि के लिये दो बकरे और होमबलि के लिये एक मेढ़ा ले।
6 और हारून उस पापबलि के बछड़े को जो उसी के लिये होगा चढ़ाकर अपने और अपने घराने के लिये प्रायश्चित करे। (इब्रानियों. 5:3, इब्रा. 7:27)
7 और उन दोनों बकरों को लेकर मिलापवाले तम्बू के द्वार पर यहोवा के सामने खड़ा करे;
8 और हारून दोनों बकरों पर चिट्ठियाँ डाले, एक चिट्ठी यहोवा के लिये और दूसरी अजाजेल के लिये हो।
9 और जिस बकरे पर यहोवा के नाम की चिट्ठी निकले उसको हारून पापबलि के लिये चढ़ाए;
10 परन्तु जिस बकरे पर अजाजेल के लिये चिट्ठी निकले वह यहोवा के सामने जीवित खड़ा किया जाए कि उससे प्रायश्चित किया जाए, और वह अजाजेल के लिये जंगल में छोड़ा जाए।
11 “हारून उस पापबलि के बछड़े को, जो उसी के लिये होगा, समीप ले आए, और उसको बलिदान करके अपने और अपने घराने के लिये प्रायश्चित करे।
12 और जो वेदी यहोवा के सम्मुख है, उस पर के जलते हुए कोयलों से भरे हुए धूपदान को लेकर, और अपनी दोनों मुट्ठियों को कूटे हुए सुगन्धित धूप से भरकर, बीचवाले पर्दे के भीतर ले आकर (इब्रा. 6:19)
13 उस धूप को यहोवा के सम्मुख आग में डाले, जिससे धूप का धुआँ साक्षीपत्र के ऊपर के प्रायश्चित के ढकने के ऊपर छा जाए, नहीं तो वह मर जाएगा;
14 तब वह बछड़े के लहू में से कुछ लेकर पूरब की ओर प्रायश्चित के ढकने के ऊपर अपनी उँगली से छिड़के, और फिर उस लहू में से कुछ उँगली के द्वारा उस ढकने के सामने भी सात बार छिड़क दे। (इब्रा. 9:713)
15 फिर वह उस पापबलि के बकरे को जो साधारण जनता के लिये होगा बलिदान करके उसके लहू को बीचवाले पर्दे के भीतर ले आए, और जिस प्रकार बछड़े के लहू से उसने किया था ठीक वैसा ही वह बकरे के लहू से भी करे, अर्थात् उसको प्रायश्चित के ढकने के ऊपर और उसके सामने छिड़के। (इब्रा. 6:19, इब्रा. 7:27, इब्रा. 9:7-13 इब्रा. 10:4)
16 और वह इस्राएलियों की भाँति-भाँति की अशुद्धता, और अपराधों, और उनके सब पापों के कारण पवित्रस्थान के लिये प्रायश्चित करे; और मिलापवाले तम्बू जो उनके संग उनकी भाँति-भाँति की अशुद्धता के बीच रहता है* उसके लिये भी वह वैसा ही करे।
17 जब हारून प्रायश्चित करने के लिये अति पवित्रस्थान में प्रवेश करे, तब से जब तक वह अपने और अपने घराने और इस्राएल की सारी मण्डली के लिये प्रायश्चित करके बाहर न निकले तब तक कोई मनुष्य मिलापवाले तम्बू में न रहे।
18 फिर वह निकलकर उस वेदी के पास जो यहोवा के सामने है जाए और उसके लिये प्रायश्चित करे, अर्थात् बछड़े के लहू और बकरे के लहू दोनों में से कुछ लेकर उस वेदी के चारों कोनों के सींगों पर लगाए।
19 और उस लहू में से कुछ अपनी उँगली के द्वारा सात बार उस पर छिड़ककर उसे इस्राएलियों की भाँति-भाँति की अशुद्धता छुड़ाकर शुद्ध और पवित्र करे।
20 “जब वह पवित्रस्थान और मिलापवाले तम्बू और वेदी के लिये प्रायश्चित कर चुके, तब जीवित बकरे को आगे ले आए;
21 और हारून अपने दोनों हाथों को जीवित बकरे पर रखकर इस्राएलियों के सब अधर्म के कामों, और उनके सब अपराधों, अर्थात् उनके सारे पापों को अंगीकार करे, और उनको बकरे के सिर पर धरकर उसको किसी मनुष्य के हाथ जो इस काम के लिये तैयार हो जंगल में भेजके छुड़वा दे। (इब्रा. 10:4)
22 वह बकरा उनके सब अधर्म के कामों को अपने ऊपर लादे हुए किसी निर्जन देश में उठा ले जाएगा; इसलिए वह मनुष्य उस बकरे को जंगल में छोड़ दे।
परमेश्वर के लोगों ने पाया कि जो परमेश्वर उनसे प्रेम करता है वह पवित्र है। पापियों के रूप में, हमारे लिए परमेश्वर के निकट जाना और जीवित रहना संभव नहीं है। किसी भी गलत चीज़ को सही करने के लिए प्रायश्चित आवश्यक है। पाप का प्रायश्चित एक बलिदान, एक विकल्प, एक जीवन त्याग करने के माध्यम से किया गया है। इस सत्र में, हम यह देखने जा रहे हैं कि प्रायश्चित्त कैसे पूरा किया गया और यह हम पर कैसे लागू होता है।
यदि आप कभी स्वयं को न्यायालय में पाते हैं, तो शायद आप अपने मुद्दे को पेश करने के लिए एक वकील को नियुक्त करना चाहेंगे। अदालतें डराने वाली जगहें हैं, और वे कुछ जटिल नियमों के तहत काम करती हैं। इसलिए आपको अपनी ओर से बोलने के लिए एक वकील की आवश्यकता पड़ेगी।
पुराने नियम में, पुरोहितों ने कुछ ऐसा ही किया। वे परमेश्वर के सामने लोगों का प्रतिनिधित्व किया करते थे और उनकी ओर से बोलते थे। वे एक गतिशील आराधना केंद्र में सेवा करते थे जिसे तम्बू कहा जाता है। इसे विभिन्न क्षेत्रों में पर्दे की एक श्रृंखला द्वारा अलग किया गया था और इसमें प्रतीकात्मक सज्जा के विभिन्न टुकड़े शामिल थे।
इस तम्बू के बीच में परम पवित्र स्थान था, जिसको एक भारी पर्दे द्वारा देखने से बंद कर दिया गया था। अंदर वाचा का संदूक था, खंभों पर उठाया गया एक लकड़ी का संदूक, जिसके ऊपर एक ढक्कन था। ढक्कन के ऊपर करूबों की दो सुनहरी आकृतियाँ थीं – परमेश्वर के न्याय का प्रतिनिधित्व करने वाले स्वर्गदूत। इन दो आकृतियों के बीच एक क्षेत्र था जिसे प्रायश्चित आवरण या दया आसन के रूप में जाना जाता था।
पांच – अधिनियम नाटक
हर साल एक बार प्रायश्चित के दिन, महापुरोहित पर्दे के पीछे परम पवित्र स्थान में जाते थे। परमेश्वर स्वयं नीचे उतर आते थे, ठीक वैसे ही जैसे वे सीनाई पर्वत पर आए थे। उन्होंने खुद को दृश्यमान नहीं किया, परन्तु वह दया के आसन पर एक बादल में प्रकट हुए और महापुरोहित से मिले (लैव्यव्यवस्था 16:2)|
परमेश्वर अक्सर हमें चित्रों के माध्यम से सीखाते है, और प्रायश्चित के दिन जो कुछ हुआ वह पाँच अधिनियम के एक महान नाटक की तरह था, प्रत्येक अधिनियम यीशु मसीह की ओर इशारा कर रहा था और क्रूस पर उनकी मृत्यु के महत्व को समझाने में हमारी सहायता कर रहा था।
अधिनियम 1: पुरोहित प्रकट होते हैं
यदि आपने महापुरोहित को देखा होता, तो आप तुरन्त समझ जाते कि वह देश के सबसे महत्वपूर्ण लोगों में से एक थे। उनके शानदार वस्त्र उनके कार्यालय की गरिमा को प्रदर्शित करते थे ।
परन्तु प्रायश्चित के दिन, महापुरोहित ने अपने वस्त्रों को त्याग दिया और एक साधारण सफेद कपड़े पहने हुए सड़कों पर दिखाई दिये, जिस तरह के कपड़े सबसे निम्न कोटी के नौकर पहनते थे। लोगो ने एक सामान्य दास के रूप में तैयार महापुरोहित के प्रदर्शन को देखने के लिए मार्ग में कतार लगा दी। जिस तरह वे तम्बू में प्रवेश कर रहे थे ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे कि वे कुश्ती के मैदान में प्रवेश कर रहे हो ।
अधिनियम 2: पुरोहित तैयारी करते हैं।
इससे पहले कि महापुरोहित परमेश्वर की उपस्थिति में लोगों के पापों के बलिदान को चढ़ाने के लिए प्रवेश कर सके, उनकी पहली प्राथमिकता अपने स्वयं के पापों से निपटना था। उन्होने बलि किए हुए बैल के लहू को परमपवित्र स्थान में ले जाकर, दया के आसन पर छिड़का।
इससे जरूर लोगों पर एक शक्तिशाली प्रभाव पड़ा होगा। महापुरोहित, देश में सबसे प्रतिष्ठित पदों में से एक को धारण करते हुये, कह रहे थे, “मुझे खुद एक बलिदान की आवश्यकता है।” महापुरोहित मान रहे थे, जैसे हर दूसरे पुजारी, पादरी, या धार्मिक नेता को हमेशा मानना होगा, “मेरे पास अपने खुद के पाप हैं, और
इसलिए मैं आपके पापों को संभालने की स्थिति में नहीं हूं”।
अधिनियम 3: प्रायश्चित किया गया
इसके बाद दो बकरियों को आगे लाया गया। एक की बलि दी गई और महापुरोहित ने उसके लहू को परदे के पीछे ले जाकर करूबों की दो सुनहरी आकृतियों के बीच प्रायश्चित के आसन पर छिड़का, जो परमेश्वर के न्याय का प्रतिनिधित्व करते थे। न्याय पूरा हुआ, और जब बलि दी गई तो दया प्राप्त हुई।
जिस तरह परमेश्वर ने वाटिका में श्राप को आदम से हटाकर भूमि पर डाल दिया था, उसी तरह अब, परमेश्वर ने मौत की सजा पापी के बजाय एक जानवर को सुना देने की अनुमति दी।
अधिनियम 4: पाप स्वीकार किया गया
इसके बाद जो हुआ वह पूरे प्रायश्चित के दिन का सबसे बड़ा नाट्किए हिस्सा था।
दूसरे बकरे को आगे लाया गया। परमेश्वर ने महापुरोहित को यह निर्देश दिया कि “अपने दोनों हाथों को जीवित बकरे पर रखकर इस्राएलियों के सब अधर्म के कामों, और उनके सब अपराधों, अर्थात उनके सारे पापों को अंगीकार करे” (16:21) ।
आज गिरजाघरों में, जब एक शिशु के समर्पण या बपतिस्मा की आराधना होती है, तो पादरी या पुरोहित बच्चे को पकड़ के प्रार्थना करते हैं। किसी अजनबी के हाथों में आकार बच्चों को कुछ परेशानी हो सकती है, क्यूंकि ज़ाहिर सी बात है की वे अपने माता-पिता से अलग नहीं होना चाहते।
पादरी कहते है, उन्होने अक्सर एक सुरांगत प्रार्थना की पेशकश करने के लिए संघर्ष किया है जब एक शिशु खुद को उनके हाथो से छुड़ाने की पूरी कोशिष करता है । परन्तु महापुरोहित को जो यहां करना था उसकी तुलना में इस तरह की समस्याएं कुछ भी नहीं थी। उन्हे एक जीवित बकरे को पकड़े हुए इस्राएल के सारे पापों का अंगीकार करना था !
महापुरोहित ने अपनी प्रार्थना में कुछ विशेष पापों की पहचान की, और यदि आप भीड़ में थे, तो आपने शायद इसी तरह की प्रार्थना सुनी होगीः “सर्वशक्तिमान परमेश्वर, हम अपनी मूर्तिपूजा के अपराध को स्वीकार करते हैं। हमने आप से अधिक आपके उपहारों से प्रेम किया है। हम अपनी ईर्ष्या के अपराध को स्वीकार करते हैं। हमने देखा है कि आपने दूसरों को क्या दिया है और हमने अपने लिए उसका लोभ किया है। हम अपने क्रोध के अपराध को भी स्वीकार करते हैं। हम दूसरों के प्रति चिड़चिड़े और नाराज हुए हैं … “
चूँकि महापुरोहित को लोगों के सभी पापों को स्वीकार करना था, इसलिए यह काफी लंबी प्रार्थना होती। परन्तु उन्होने इस तरह से प्रार्थना करी, की लोग उनके द्वारा स्वीकार किए गए पापों को अपने स्वयं के पापों के रूप में पहचान सकें। यदि आप उस भीड़ में खड़े होते, तो अंत में आप भी सोचते कि हाँ, यह पाप मेरे पापों में से एक है।
जब महापुरोहित ने बकरे के सिर पर अपने हाथों को रख के लोगों के पापों को स्वीकार किया, तो स्थानांतरण का एक कार्य हुआ जिसमें परमेश्वर ने इन पापों के दोष को बकरे पर स्थानांतरित कर दिया । ” और हारून अपने दोनों हाथों को जीवित बकरे पर रखकर इस्राएलियों के सब अधर्म के कामों, और उनके सब अपराधों, अर्थात उनके सारे पापों को अंगीकार करे, और उनको बकरे के सिर पर धरदे”(16:21)। तो अब तुम्हारे पास एक दोषी बकरा है!
अधिनियम 5: दोष को मिटा दिया गया
इसके बाद जो कुछ हुआ वह इस बात की एक अद्भुत तस्वीर है कि कैसे परमेश्वर हमारे पापों से निपटते हैं, जब उन्हें स्वीकार कर लिया गया हो और उनके दोष को स्थानांतरित कर दिया गया हो । परमेश्वर ने महापुरोहित से कहा कि वह बकरे को “जंगल में भेजके छुड़वा दे”(16:21)।
उस दृश्य की कल्पना करें जब बकरे को तंबू के बीच से और फिर शिविर के बाहर रेगिस्तान की ओर ले जाया जाता है। आप तब तक देखते हैं जब तक कि आदमी और बकरा क्षितिज पर केवल एक बिंदु के समान दिखते है और फिर वे लुप्त हो जाते है, फिर आप उन्हे नहीं देख पाते।
पादरी कहते है की वे सुसमाचार की इससे अधिक शक्तिशाली दृश्य की कल्पना नहीं कर सकते। यह पांच-अधिनियम नाटक एक पूर्व दर्शन की तरह था जो हमें दिखा रहा था कि जब यीशु मसीह दुनिया में आएंगे तो परमेश्वर क्या करेंगे।
पूर्व दर्शन से मुख्य कार्यक्रम तक
आप इतिहास के पंद्रह सौ वर्षों से आगे बढ़ें और मुख्य कार्यक्रम तक पहुचें, जिसमें यीशु मसीह को महापुरोहित की भूमिका में दिखाया गया है, जो हमारे पापों के लिए प्रायश्चित करने के लिए आए थे। पुराना नियम हमें बताता है कि इसके लिए क्या करना पड़ेगा; नया नियम हमें बताता है कि इसे कैसे किया गया था।
अधिनियम 1: मसीह प्रकट होते हैं।
यीशु मसीह हमारे महान महापुरोहित हैं! वें परमेश्वर के पुत्र हैं, और उनकी महिमा किसी भी अन्य पुरोहित द्वारा पहने गए शानदार कपड़ों से कहीं अधिक है। उन्होंने सृष्टि की शुरुआत होने से पहले पिता की महिमा साझा की। परन्तु जिस प्रकार महापुरोहित ने प्रायश्चित के दिन अपने शानदार वस्त्रों को त्याग दिया, उसी प्रकार मसीह ने अपनी महिमा को एक तरफ रख दिया और एक सेवक का रूप धारण किया। उन्हें कपड़े की पट्टियों में लपेटा गया और चरनी में रखा गया ।
अधिनियम 2: मसीह तैयारी करते हैं।
यीशु मसीह ने एक ऐसा जीवन व्यतीत किया जो किसी भी अन्य जीवन से अलग है जो कभी भी ना जीया गया हो। यीशु ने पिता की इच्छा पूरी की और उन सभी कार्यों को पूरा किया जो पिता ने उन्हें करने के लिए दिए थे। ” न तो उसने पाप किया” (1 पतरस 2:22), और इसलिए उन्हे अपने लिए किसी भी बलिदान की आवश्यकता नहीं थी। सिद्ध जीवन जीने के बाद, यीशु वह हासिल करने के योग्य थे जो अन्य सभी पुरोहित केवल उदाहरण दे सकते थे।
अधिनियम 3: मसीह प्रायश्चित करते हैं
अपनी सार्वजनिक सेवकाई के तीन साल बाद, यीशु को गिरफ्तार कर लिया गया और क्रूस पर चढ़ाए जाने की सजा सुनाई गई। क्रूस पर, वह हमारे पापों के लिए बलिदान बन गए। जब उनका लहू बहाया गया, तो परमेश्वर का न्याय पूरा हुआ, और परमेश्वर की दया की प्राप्ति हुयी । हमारे महान महापुरोहित ने हमारे लिए प्रायश्चित किया और परमेश्वर की उपस्थिति में एक नया और जीवित मार्ग खोला।
अधिनियम 4: हम अपने पापों को स्वीकार करते हैं।
याद रखें, प्रायश्चित के दिन दो बकरे थे। एक की बलि दी गई, और दूसरे को जंगल में ले जाया गया। ये दोनों जानवर हमें यह समझने में मदद करते हैं कि मसीह अपने लोगों के लिए क्या करते हैं। यह वही हैं जिन्होंने हमारे पापों के प्रायश्चित के रूप में अपने जीवन का बलिदान दिया, और हमारे दोष को भी दूर करने वाले भी ये ही हैं।
इस जगह पर आपको नाटक में भाग लेने की आवश्यकता है। जिस प्रकार महापुरोहित ने जीवित बकरे के सिर पर दोनों हाथ रखे और लोगों के पापों को स्वीकार किया, उसी प्रकार परमेश्वर आपको विश्वास के कार्य में यीशु मसीह को “पकड़े रहने को” और अपने पापों को स्वीकार करने के लिए आमंत्रित करते हैं। जब आप ऐसा करेंगे, तो आपका दोष दूर हो जाएगा।
अधिनियम 5: हमारे पाप मिट जाते हैं
जब आपके पाप मसीह पर डाल दिये गए हैं, तो परमेश्वर वादा करते हैं कि वह उन्हें आप से दूर ले जाएंगे “उदयाचल अस्ताचल से जितनी दूर है” (भजन संहिता 103:12)।
एक ऐसे व्यक्ति की कल्पना करने की कोशिश करें जो एक परेशान अंतःकरण से जूझ रहा हो। चले उसे सारा का नाम दें। उसने एक मूर्खतापूर्ण चुनाव किया है और वह सोचती है कि क्या परमेश्वर उसे कभी माफ करेंगे।
सारा भीड़ में प्रायश्चित दिवस का महान नाटक देख रही है, परन्तु जब कोई दोस्त उसके साथ बात करने के लिए आता है तो वह अपनी अंतरात्मा की आवाज के साथ संघर्ष करती है।
“सारा, सोचो कि तुमने अभी क्या देखा है। क्या हुआ जब महापुरोहित ने उस बकरे को सिर से पकड़ा ?
“उसने हमारे पापों को स्वीकार किया।
“और क्या उसने तुम्हारे पाप को स्वीकार किया, सारा?
“हाँ, उसने किया, और मुझेबहुतशर्ममहसूसहुई।
“क्या हुआ, सारा, उन पापों का जो उसने कबूल किए?
“उन्हें बकरे के सिर पर डाल दिया गया।
“और उस बकरे का क्या हुआ? सारा कादोस्तपूछताहै।
“इसे दूर ले जाया गया”
“उसे कितनी दूर ले जाया गया, सारा
“मेरी आंखें उसे देख सके उससे कहीं अधिक दूर ।
उस तस्वीर को लें और इसे अपने जीवन में लागू करें। क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि आपके पाप को आपसे इतनी दूर ले जाया जा रहा है कि अब आप उसे देख नहीं सकते हैं और यह कभी वापस नहीं आ सकता है? परमेश्वर चाहते हैं कि आप जानें कि मसीह के पूर्ण कार्य के द्वारा आपके पाप क्षमा किए जा सकते हैं और आपके दोष को दूर किया जा सकता है।
प्रायश्चित का दिन दर्शाता है कि यीशु ने हमारे पापों का सामना कैसे किया। जब उनका लहू बहाया गया, तो पापियों के लिए दया प्रवाहित की गई । प्रायश्चित आपके पापों पर लागू होता है, विशेष रूप से, जब विश्वास के द्वारा आप मसीह को पकड़ते हैं, उन पर विश्वास करते हैं और अपने पापों को उनके सामने स्वीकार करते हैं। जब आप विश्वास के द्वारा मसीह को पकड़ेंगे तो परमेश्वर आपके पाप के दोष को मसीह में स्थानांतरित कर देंगे। और जब परमेश्वर आपके दोष को स्थानांतरित करते हैं, तो वह इसे आपसे हटा देते हैं ताकि आप किसी ऐसे व्यक्ति की खुशी और स्वतंत्रता के साथ परमेश्वर की ओर देख सकें जिसे वास्तव में क्षमा कर दिया गया हो।
रुकें और प्रार्थना करें
दयालु पिता,
धन्यवाद कि प्रभु यीशु मसीह मेरे महापुरोहित बनने के लिए दुनिया में आए हैं। धन्यवाद कि वह अपनी महिमा को त्यागने और चरनी में जन्म लेने के लिए तैयार थे। उनके सिद्ध जीवन के लिए धन्यवाद
जिसने उन्हें प्रायश्चित करने के योग्य बनाया । धन्यवाद कि उन्होंने अपना जीवन समर्पित करके और अपना लहू बहाकर ऐसा किया।
मैं अपने पापों को आपके सामने स्वीकार करता हूँ.. [अपने पापों को प्रभु के सामने स्वीकार करने के लिए समय निकालें ।]
धन्यवाद कि मसीह हमारे पापों के लिए मारे गए। अब मुझे यह जानने की शांति का आनंद लेने में मदद करें कि आपने उन्हें मुझसे उतना ही दूर ले लिया है जितना कि पूर्व पश्चिम से है, हमारे प्रभु यीशु मसीह के द्वारा। आमीन।
परमेश्वर के वचन के साथ आगे जुड़ने के लिए इन सवालों का इस्तेमाल करें। उन्हें किसी अन्य व्यक्ति के साथ चर्चा करें या उन्हें व्यक्तिगत प्रतिबिंब प्रश्नों के रूप में उपयोग करें।
1. पुराने नियम में पुरोहितो की भूमिका क्या थी?
2. प्रायश्चित के दिन ने क्या इंगित किया? यह हमें क्या समझने में मदद करता है?
3. कोई भी पुरोहित, पादरी या धार्मिक नेता आपके पापों का समझौता करने की स्थिति में क्यों नहीं है?
4. प्रायश्चित के दिन दोष को कैसे स्थानांतरित किया गया और हटा दिया गया?
5. नाटक में हमारी क्या भूमिका है?