यूहन्ना 16: 4 – 15
4 परन्तु ये बातें मैंने इसलिए तुम से कहीं, कि जब उनके पूरे होने का समय आए तो तुम्हें स्मरण आ जाए, कि मैंने तुम से पहले ही कह दिया था, “मैंने आरम्भ में तुम से ये बातें इसलिए नहीं कहीं क्योंकि मैं तुम्हारे साथ था।
5 अब मैं अपने भेजनेवाले के पास जाता हूँ और तुम में से कोई मुझसे नहीं पूछता, ‘तू कहाँ जाता हैं?’
6 परन्तु मैंने जो ये बातें तुम से कही हैं, इसलिए तुम्हारा मन शोक से भर गया।
7 फिर भी मैं तुम से सच कहता हूँ, कि मेरा जाना तुम्हारे लिये अच्छा है, क्योंकि यदि मैं न जाऊँ, तो वह सहायक तुम्हारे पास न आएगा, परन्तु यदि मैं जाऊँगा, तो उसे तुम्हारे पास भेज दूँगा।
8 और वह आकर संसार को पाप और धार्मिकता और न्याय के विषय में निरुत्तर करेगा।
9 पाप के विषय में इसलिए कि वे मुझ पर विश्वास नहीं करते;
10 और धार्मिकता के विषय में इसलिए कि मैं पिता के पास जाता हूँ, और तुम मुझे फिर न देखोगे;
11 न्याय के विषय में इसलिए कि संसार का सरदार दोषी ठहराया गया है। (यूह. 12:31)
12 “मुझे तुम से और भी बहुत सी बातें कहनी हैं, परन्तु अभी तुम उन्हें सह नहीं सकते।
13 परन्तु जब वह अर्थात् सत्य का आत्मा आएगा, तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा, क्योंकि वह अपनी ओर से न कहेगा, परन्तु जो कुछ सुनेगा, वही कहेगा, और आनेवाली बातें तुम्हें बताएगा।
14 वह मेरी महिमा करेगा, क्योंकि वह मेरी बातों में से लेकर तुम्हें बताएगा।
15 जो कुछ पिता का है, वह सब मेरा है; इसलिए मैंने कहा, कि वह मेरी बातों में से लेकर तुम्हें बताएगा।
कुछ लोग जो परमेश्वर पिता और परमेश्वर पुत्र के बारे में यथोचित रूप से स्पष्ट हैं, जब परमेश्वर पवित्र आत्मा की बात आती है तो वे काफी भ्रमित हो जाते हैं। हम समझते हैं कि पिता के बिना, पुत्र कभी भी दुनिया में नहीं भेजा गया होता। हम देख सकते हैं कि पुत्र के बिना क्रूस पर कोई बलिदान नहीं होता, कोई खाली कब्र नहीं होती, और हमें बचाया नहीं जा सकता था। परन्तु यदि पवित्र आत्मा न हो तो क्या होगा? इससे क्या फर्क पड़ेगा? त्रिएकत्व का यह तीसरा व्यक्ति कितना महत्वपूर्ण है?
एक ऐसे व्यक्ति की कल्पना करें जो अत्यधिक धनवान है। उसका नाम संजय है और पिछले कुछ वर्षों में उसने अरबों रुपये अर्जित किये हैं।
जब संजय की मृत्यु हो जाती है, तो उसका वकील वसीयत खोलता है। यह एक लंबा दस्तावेज़ है, जो सैकड़ों पन्नों का है, और इसके लाभार्थी पूरी दुनिया में फैले हैं। उनमें से प्रत्येक को ढूंढना होगा और विरासत के बारे में बताना होगा, और वसीयत की शर्तों के अनुसार, जो वादा किया गया है उसे प्राप्त करने के लिए उनमें से प्रत्येक को संजय के घर लाना होगा। वकील को आने वाले वर्षों में काफी मेहनत करनी होगी।
बाइबल हमें बताती है कि मसीह ने हमारे लिए एक अद्भुत विरासत खरीदी है। अपनी मृत्यु और पुनरुत्थान के माध्यम से, उन्होंने हमारे लिए परमेश्वर से पुनः मेल करने और अनन्त जीवन में प्रवेश करने का मार्ग खोल दिया है। परमेश्वर की वसीयत पर पिता द्वारा हस्ताक्षर किया गया है और पुत्र द्वारा उसपर मुहर लगाई गई है। परन्तु जिस पर हस्ताक्षर किया गया है और मुहर लगाई गई है उसे अभी भी पहुँचाये जाने की आवश्यकता है।
उपहार देना एक बात है; उस उपहार को प्राप्त करना दूसरी बात है। और जो कुछ भी मसीह ने किया है वह सब बेकार होगा और हमारे लिए तब तक उसका कोई मूल्य नहीं होगा जब तक हम उसे प्राप्त न करें जो वे प्रदान करते हैं।
तो परमेश्वर की वसीयत हम तक कैसे पहुंचायी जा सकती है? इसका उत्तर पवित्र आत्मा के माध्यम से है। पवित्र आत्मा वह लाता है जो यीशु ने क्रूस पर पूरा किया था और उसे व्यक्तिगत रूप से हम पर लागू करता है।
परमेश्वर का आत्मा के बिना, मुक्ति एक सैद्धांतिक संभावना बनी रहेगी, परन्तु यह कभी भी किसी के लिए वास्तविकता नहीं बनेगी। यदि पवित्र आत्मा नहीं होगा, तो कोई भी स्वर्ग में नहीं पहुँच पायेगा। आत्मा के बिना, यीशु ने जो कुछ किया है वह एक वसीयत की तरह होगा जिसे कभी पढ़ा नहीं गया, एक उपहार जिसे कभी खोला नहीं गया, एक विरासत जिसका आनंद कभी नहीं लिया गया।
परमेश्वर की शांति भंग करने वाला
मसीह पाप की क्षमा, स्वर्गीय धार्मिकता और आने वाले न्याय से मुक्ति प्रदान कराते हैं। परन्तु अधिकांश लोगों को यह महसूस नहीं होता कि उन्हें मसीह जो प्रदान करते हैं उसकी आवश्यकता है। इसीलिए पवित्र आत्मा का पहला काम हमारी शांति को भंग करना है। “वह [पवित्र आत्मा]आकर संसार को पाप और धार्मिकता और न्याय के विषय में निरुत्तर करेगा” (यूहन्ना 16:8)।
पेंट का डिब्बा खोलने के बारे में सोचें। ढक्कन को खोलने के लिए आप संभवतः पेचकस या किसी अन्य प्रकार के लीवर का उपयोग करेंगे। डब्बे के किनारे के चारों ओर एक किनारा है जो लीवर के लिए धुरी के रूप में कार्य करता है। यदि किनारा नहीं होता, तो लीवर को खींचने के लिए कुछ भी नहीं होता। एक लीवर को एक धुरी पर खींचना पड़ता है।
सुसमाचार एक लीवर की तरह है, और यह अपनी धुरी के रूप में पाप की जागरूकता पर निर्भर करता है। यदि किसी व्यक्ति में पाप का कोई एहसास नहीं है, तो सुसमाचार का उस व्यक्ति के जीवन में कोई “खिंचाव” नहीं होगा। और यह बिना धुरी के लीवर की तरह होगा।
सुसमाचार तब कार्य करता है जब पवित्र आत्मा हमारे भीतर पाप का एहसास पैदा करता है, और इसीलिए उसका पहला कार्य हमें पाप का दोषी ठहराकर हमें परेशान करना है। अपने पापों के बारे में जानना परमेश्वर के साथ शांति पाने की दिशा में पहला कदम है।
परमेश्वर की तीन अलार्म घड़ियाँ
पवित्र आत्मा का पहला कार्य हमें यह दिखाना है कि क्या गलत है, ताकि हम अपनी आवश्यकता को देख सकें और सुसमाचार सुनने के लिए तैयार हो सकें। यह कभी आरामदायक नहीं होता। किसी को भी सोते समय जगाया जाना पसंद नहीं है, परन्तु यदि आपके घर में आग लग गई हो, तो आप उस व्यक्ति के आभारी होंगे जिसने आपको चेतावनी दी हो।
पवित्र आत्मा हमें परेशान करता है, इसलिए नहीं कि वह हमारे विरुद्ध है, बल्कि इसलिए कि वह उस स्थिति को देखता है जिसमें हम हैं—और वह हमसे इतना प्यार करता है कि हमें वहाँ छोड़ नहीं सकता। आप जहाँ हैं वहाँ से आपको बाहर निकलना होगा! क्या आपको नहीं दिखता कि आप किस खतरे में हैं? पाप और धार्मिकता और न्याय! आप वहाँ नहीं रह सकते!
पादरी कहते हैं कि उनकी पत्नी करेन और उनके शयनकक्ष में तीन अलार्म घड़ियाँ हैं। पहली हमें धीरे-धीरे संगीत से जगाती है। यदि हम पहले वाले के दौरान सोते रह जाएँ तो दूसरी को कुछ मिनट बाद के लिए सेट किया गया है, और यह अधिक परेशान करने वाली है। तीसरी थोड़ा और बाद के लिए सेट की गयी है, और यदि बाकी सभी विफल हो जाये तो यह अंतिम उपाय है। यह एक भयानक ध्वनि उत्पन्न करती है, और यदि हम इसके कान फाड़ने वाली आवाज़ से पहले उठ जाएं तो दिन की शुरुआत बहुत बेहतर होती है।
किसी व्यक्ति के जीवन में पाप को रोकने के लिए परमेश्वर के पास तीन तरीके हैं। आप इन्हें तीन अलार्म घड़ियों के रूप में सोच सकते हैं। पहला परमेश्वर की आत्मा का सौम्य कार्य है जो आपके विवेक को खोलता है और जो गलत है उसे प्रकट करता है ताकि आप इसे बदल सकें।
यदि आप इसकी आवाज़ पर सोते रह गए, तो पवित्र आत्मा अधिक ज़ोर से और सीधा बोल सकता है। दाऊद के साथ यही हुआ था। परमेश्वर ने भविष्यवक्ता नातान के माध्यम से उसके पाप को उजागर किया। यह सार्वजनिक ज्ञान बन गया, और उस समय, दाऊद पश्चाताप में परमेश्वर की ओर मुड़ गया।
यदि कोई व्यक्ति परमेश्वर की दूसरी चेतावनी को नजरअंदाज करता है, तो उसकी स्थिति खतरनाक हो जाती है। फिरौन के साथ वैसा ही हुआ। परमेश्वर ने मूसा को उसके पास भेजा, परन्तु फिरौन ने परमेश्वर की आज्ञा को सुनने से इनकार कर दिया, यहाँ तक कि जब उसका सीधा सामना किया गया। उसने अपना हृदय कठोर करना जारी रखा और अंततः फिरौन परमेश्वर के न्याय के अधीन आ गया।
इन तीन चेतावनियों पर विचार करें: अंतरात्मा को खोलने में परमेश्वर की आत्मा का शांत कार्य, परमेश्वर द्वारा गुप्त पाप को उजागर करना, और सर्वशक्तिमान परमेश्वर का प्रत्यक्ष निर्णय। आप इन तीनों में से किसको चाहेंगे कि परमेश्वर आपको जगाने के लिए उपयोग करें?
हमें हमारा पाप दिखाना पवित्र आत्मा का पहला कार्य है। परमेश्वर का शुक्र है कि यह उनका आखिरी कार्य नहीं है।’ वे हमें हमारे पापों के प्रति जागृत करते हैं, परन्तु वे हमें कभी वहाँ नहीं छोड़ते।
तेज रौशनी चालू करना
जब कोई इमारत तेज रोशनी से जगमगाती है, तो आप उसकी सुंदरता को देख सकते हैं। परन्तु तेज रौशनी के बिना, इसकी सुंदरता अंधेरे में छिप जाएगी।1 पवित्र आत्मा यीशु पर चमकने वाली तेज रौशनी की तरह है। वह इस सत्य पर प्रकाश डालता है कि उसके बिना हम देख नहीं सकते। वह हमें समझाता है कि यीशु कौन है और उन्होंने क्या हासिल किया है।
यीशु ने कहा, “जब वह सहायक आएगा, तो वह मेरी गवाही देगा” (यूहन्ना 15:26)। “वह [पवित्र आत्मा] मेरी महिमा करेगा, क्योंकि वह मेरी बातों में से लेकर तुम्हें बताएगा” (16:14)। तेज रौशनी की तरह, पवित्र आत्मा स्वयं पर ध्यान केंद्रित नहीं करता है; वह हमारा ध्यान यीशु की ओर आकर्षित करता है।
पवित्र आत्मा का एक सुन्दर सेवकाई है। वह हमें हमारे जीवन में उद्धारकर्ता की आवश्यकता को दिखाता है, और वह हमें दिखाता है कि यीशु ही वह उद्धारकर्ता है जिसकी हमें आवश्यकता है। फिर वह दोनों को एक साथ लाता है। पवित्र आत्मा स्वर्ग का मेल कर्ता है। वह हमें मसीह के पास लाता है और मसीह को हमारे साथ जोड़ता है, ताकि यीशु ने क्रूस पर जो कुछ भी पूरा किया वह हमारा हो जाए।
पवित्र आत्मा एक व्यक्ति है
पवित्र आत्मा के बारे में बोलते हुए, यीशु ने कहा, “मैं पिता से विनती करूँगा, और वह तुम्हें एक और सहायक देगा कि वह सर्वदा तुम्हारे साथ रहे” (14:16)। ध्यान दें कि यीशु यह नहीं कहते, “मैं तुम्हें सहायता भेजूंगा।” वे कहते हैं, “मैं तुम्हारे लिये एक सहायक भेजूँगा।” तीन वर्षों तक, यीशु शिष्यों के सलाहकार रहे थे, और पवित्र आत्मा उनके लिए यीशु के समान ही रहेगा।
पवित्र आत्मा पिता और पुत्र के समान एक ही व्यक्ति है, इसलिए हमें उसे केवल एक शक्ति या ताकत के रूप में नहीं सोचना चाहिए। बाइबल पवित्र आत्मा से झूठ बोलने और आत्मा को दुःखी करने के बारे में बात करती है (प्रेरितों 5:3; इफिसियों 4:30)। आप किसी ताकत से झूठ नहीं बोल सकते, और आप किसी शक्ति को दुःखी नहीं कर सकते। ऊर्जा का एक विस्फोट कभी भी शिष्यों के लिए वह सब कुछ नहीं हो सकता जो यीशु थे।
यीशु ने अपने शिष्यों से कहा, “मैं पिता के पास जाता हूँ,” (यूहन्ना 14:12), परन्तु “मैं पिता से विनती करूंगा, और वह तुम्हें एक और सहायक देगा कि वह सर्वदा तुम्हारे साथ रहे। अर्थात् सत्य का आत्मा” (14:16-17)। पर फिर यीशु ने कहा, “मैं तुम्हारे पास आता हूँ” (14:18)। शिष्यों के साथ आत्मा की उपस्थिति का मतलब होगा कि मसीह स्वयं वास्तव में उनके साथ थे।
तब यीशु ने और भी अधिक आश्चर्यजनक बात कही: “यदि कोई मुझ से प्रेम रखेगा तो वह मेरे वचन को मानेगा, और मेरा पिता उससे प्रेम रखेगा, और हम उसके पास आएँगे और उसके साथ वास करेंगे” (14:23)। तो जहाँ आत्मा है, वहाँ पिता और पुत्र दोनों अपना घर बनाएंगे।
आप पुत्र के बिना पिता को, या आत्मा के बिना पुत्र को नहीं जान सकते। यह पुत्र के माध्यम से है कि पिता ने स्वयं को ज्ञात कराया, और यह पवित्र आत्मा है जो हमें यीशु के पास लाता है।
“में” और “साथ”
पवित्र आत्मा के साथ हमारे संबंध का वर्णन करने के लिए यीशु ने दो शब्दों का उपयोग किया: “वह तुम्हारे साथ रहता है, और वह तुम में होगा” (14:17)। पवित्र आत्मा हमारे साथ है। यहाँ एक भेद है। इसलिए आप जो सोचते और कहते हैं उसे आत्मा के दिमाग से भ्रमित करने के जाल में न फसे। बुद्धिमान ईसाई दूसरों को हम जो कहते हैं उसका परीक्षण करने की अनुमति देंगे। आत्मा हमारे साथ है, और हमें अक्सर सही करने के लिए उसकी आवश्यकता होती है।
यीशु ने यह भी कहा कि आत्मा शिष्यों में होगा। यहाँ एक संघ है। आत्मा एक संरक्षक से कहीं अधिक है जो हमें दिखाता है कि क्या करना है और फिर हमें इसे करने के लिए छोड़ देता है। वह हममें निवास करता है, और उसकी उपस्थिति ईसाई जीवन को संभव बनाती है।
यीशु ने कहा, “मेरा जाना तुम्हारे लिये अच्छा है, क्योंकि यदि मैं न जाऊँ तो वह सहायक तुम्हारे पास न आएगा,” (यूहन्ना 16:7)। इसका स्पष्ट मतलब यह था कि जो शिष्य तीन साल तक यीशु के साथ रहे, उन्हें और अधिक दिया जाएगा। यीशु उनके साथ थे, परन्तु अब आत्मा के द्वारा वे उनमें होंगे।
हमारे लिए यह सोचना स्वाभाविक है कि हमारे पास यीशु का अनुसरण करने वाले पहले शिष्यों की तुलना में कम हैं। परन्तु ईसाई विश्वासियों के पास इससे अधिक है। पवित्र आत्मा—स्वयं यीशु की आत्मा—आपके “अंदर” रहती है। यह अधिक है, कम नहीं!
परमेश्वर पवित्र आत्मा त्रिएकत्व का तीसरा व्यक्ति है, और उसकी सेवकाई हमारे उद्धार के लिए केंद्रीय है। क्रूस पर परमेश्वर के पुत्र के कार्य के बिना हम बचाए नहीं जा सकते थे, और हमारे हृदयों में परमेश्वर का आत्मा के कार्य के बिना हम बचाए नहीं जा सकते हैं।
पवित्र आत्मा हमें परेशान करता है ताकि हम अपने पापों को देख सकें और उद्धारकर्ता की हमारी आवश्यकता को समझ सकें। और जैसे ही वह परेशान करता है, वह प्रकाशित भी करता है ताकि हम यीशु की महिमा को देख सकें। यदि आप यीशु मसीह में विश्वास कर चुके हैं, तो परमेश्वर की आत्मा आप में वास करती है (1 कुरिन्थियों 6:19; 12:13)। इसलिए यह कभी मत कहे की आप बदल नहीं सकते।
टिप्पणियाँ:
1. पादरी तेज रौशनी के चित्रण का श्रेय डॉ. जे.आई. पैकर को देते हैं। पैकर देखें, कीप इन स्टेप विद द स्पिरिट (ओल्ड टप्पन, एनजे: रेवेल, 1984), 65एफएफ।
परमेश्वर के वचन के साथ आगे जुड़ने के लिए इन प्रश्नों का उपयोग करें। उन पर किसी अन्य व्यक्ति के साथ चर्चा करें या उन्हें व्यक्तिगत प्रतिबिंब प्रश्नों के रूप में उपयोग करें।
1. पवित्र आत्मा हमारे उद्धार में क्या भूमिका निभाता है?
2. किसी व्यक्ति के जीवन में पवित्र आत्मा का पहला कार्य क्या है? इस बारे में आपका क्या अनुभव रहा है?
3. लोगों को जगाने के परमेश्वर के तीन तरीके क्या हैं? क्या आप व्यक्तिगत रूप से जानते हैं कि परमेश्वर आपके जीवन में इनमें से किस का उपयोग कर रहे हैं?
4.पवित्र आत्मा एक तेज़ रोशनी की तरह है, जो यीशु पर चमक रही है। यीशु के बारे में एक बात क्या है जो आपने बाइबल के अध्ययन के माध्यम से स्पष्ट रूप से देखी है?
5. इस कथन का उत्तर दें: “वह [पवित्र आत्मा] आपके साथ रहता है और आप में रहेगा।”