इफिसियों 3:1-21
1 इसी कारण मैं पौलुस जो तुम अन्यजातियों के लिये मसीह यीशु का बन्दी हूँ
2 यदि तुम ने परमेश्वर के उस अनुग्रह के प्रबन्ध का समाचार सुना हो, जो तुम्हारे लिये मुझे दिया गया।
3 अर्थात् यह कि वह भेद मुझ पर प्रकाश के द्वारा प्रगट हुआ, जैसा मैं पहले संक्षेप में लिख चुका हूँ।
4 जिससे तुम पढ़कर जान सकते हो कि मैं मसीह का वह भेद कहाँ तक समझता हूँ।
5 जो अन्य समयों में मनुष्यों की सन्तानों को ऐसा नहीं बताया गया था, जैसा कि आत्मा के द्वारा अब उसके पवित्र प्रेरितों और भविष्यद्वक्ताओं पर प्रगट किया गया हैं।
6 अर्थात् यह कि मसीह यीशु में सुसमाचार के द्वारा अन्यजातीय लोग विरासत में सहभागी, और एक ही देह के और प्रतिज्ञा के भागी हैं।
7 और मैं परमेश्वर के अनुग्रह के उस दान के अनुसार, जो सामर्थ्य के प्रभाव के अनुसार मुझे दिया गया, उस सुसमाचार का सेवक बना।
8 मुझ पर जो सब पवित्र लोगों में से छोटे से भी छोटा हूँ, यह अनुग्रह हुआ कि मैं अन्यजातियों को मसीह के अगम्य धन का सुसमाचार सुनाऊँ,
9 और सब पर यह बात प्रकाशित करूँ कि उस भेद का प्रबन्ध क्या है, जो सब के सृजनहार परमेश्वर में आदि से गुप्त था।
10 ताकि अब कलीसिया के द्वारा, परमेश्वर का विभिन्न प्रकार का ज्ञान, उन प्रधानों और अधिकारियों पर, जो स्वर्गीय स्थानों में हैं प्रगट किया जाए।
11 उस सनातन मनसा के अनुसार जो उसने हमारे प्रभु मसीह यीशु में की थीं।
12 जिसमें हमको उस पर विश्वास रखने से साहस और भरोसे से निकट आने का अधिकार है।
13 इसलिए मैं विनती करता हूँ कि जो क्लेश तुम्हारे लिये मुझे हो रहे हैं, उनके कारण साहस न छोड़ो, क्योंकि उनमें तुम्हारी महिमा है।
14 मैं इसी कारण उस पिता के सामने घुटने टेकता हूँ,
15 जिससे स्वर्ग और पृथ्वी पर, हर एक घराने का नाम रखा जाता है,
16 कि वह अपनी महिमा के धन के अनुसार तुम्हें यह दान दे कि तुम उसके आत्मा से अपने भीतरी मनुष्यत्व में सामर्थ्य पा कर बलवन्त होते जाओ,
17 और विश्वास के द्वारा मसीह तुम्हारे हृदय में बसे कि तुम प्रेम में जड़ पकड़कर और नींव डालकर,
18 सब पवित्र लोगों के साथ भली-भाँति समझने की शक्ति पाओ; कि उसकी चौड़ाई, और लम्बाई, और ऊँचाई, और गहराई कितनी है।
19 और मसीह के उस प्रेम को जान सको जो ज्ञान से परे है कि तुम परमेश्वर की सारी भरपूरी* तक परिपूर्ण हो जाओ।
20 अब जो ऐसा सामर्थी है, कि हमारी विनती और समझ से कहीं अधिक काम कर सकता है, उस सामर्थ्य के अनुसार जो हम में कार्य करता है,
21 कलीसिया में, और मसीह यीशु में, उसकी महिमा पीढ़ी से पीढ़ी तक युगानुयुग होती रहे। आमीन।
परमेश्वर का महान उद्देश्य लोगों को अपने साथ और एक दूसरे के साथ मेलमिलाप कराकर अपनी महिमा प्रदर्शित करना है। कलीसिया इस उद्देश्य के केंद्र में है। जब हम मसीह में विश्वास करते हैं, तो हम उनकी कलीसिया का हिस्सा बन जाते हैं जिसमें हर समय और हर स्थान के सभी विश्वासी शामिल होते हैं। और परमेश्वर का उद्देश्य तब पूरा होता है जब हम स्थानीय कलीसिया में उनकी आराधना और सेवा करते हैं। मसीह कलीसिया से प्रेम करते हैं, और यदि हम उनके मित्र हैं, तो हम भी उससे प्रेम करेंगे।
“जब आप ‘कलीसिया’ शब्द सुनते हैं, तो सबसे पहले आपके मन में क्या आता है? रंगीन कांच की खिड़कियाँ? ऑर्गन वाद्य संगीत? विशेष पोशाक? मोमबत्तियाँ? चंदे के लिए निवेदन?”
पादरी कहते हैं, मैं नियमित रूप से उन लोगों से बात करता हूँ जो यीशु मसीह के प्रति आकर्षित हैं परन्तु कलीसिया के बारे में ज्यादा नहीं सोचते हैं। हम एक अत्यधिक व्यक्तिवादी समाज में रहते हैं, और यह समझ पाना हमेशा आसान नहीं होता कि कलीसिया की इसमें क्या भूमिका है। कलीसिया का असल उद्देश्य क्या है?
कुछ लोग कहते हैं कि कलीसिया आराधना के लिए है, परन्तु आप अकेले या कुछ दोस्तों के साथ भी आराधना कर सकते हैं। अन्य लोग ये कहते हैं कि कलीसिया सुसमाचार के प्रचार के लिए अस्तित्व में है। परन्तु सुसमाचार का प्रचार रिश्तों से प्रवाहित होता है, इसलिए यदि आप वहाँ मसीह की गवाही देते हैं जहाँ उन्होंने आपको रखा है, तो आपको कलीसिया की क्या आवश्यकता है? दूसरों का ये मानना है कि हमें संगति के लिए कलीसिया की आवश्यकता है। परन्तु यदि आपके दोस्तों के एक छोटे समूह के साथ आपके गहरे रिश्ते हैं, तो आपको व्यक्तिगत संगति का स्तर मिलेगा जो आपको बड़ी मंडली में मिलने की संभावना नहीं है। तो हमें कलीसिया की आवश्यकता क्यों है?
समस्या प्रासंगिकता के सवाल से कहीं अधिक गहरी है। कई लोगों का कहना है कि कलीसिया ने उनकी आस्था को ठेस पहुँचाई है। कोई पादरी या पुरोहित उनकी उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा, कलीसिया में विभाजन हो गया, या किसी ने उन्हें ठेस पहुँचाई, और यह तब से एक बाधा बनी हुई है।
इन सवालों का ईमानदारी से सामना करना महत्वपूर्ण है। नया नियम ऐसा करता है। प्रेरितों ने कभी यह नहीं कहा कि प्रारंभिक कलीसियाएँ पृथ्वी पर स्वर्ग की छोटी बस्तियाँ थीं। नए नियम के पत्र यौन दुराचार, कानूनी विवाद, सैद्धांतिक त्रुटियों, व्यक्तित्वों पर विभाजन, आध्यात्मिक अनुभवों के बारे में अतिशयोक्तिपूर्ण दावे, स्वार्थ, करुणा की कमी, नियम-कानून, सत्तावाद, घमंड, चालाक नेता, सत्ता का दुरुपयोग और धन के दुरुपयोग की समस्याओं के बारे में बात करते हैं। यह सूची निराशाजनक है, परन्तु ईमानदारी सुकून देने वाली है।
कलीसियाएँ पुनर्स्थापित होने की प्रक्रिया में पापियों के समुदाय हैं। परन्तु हर कोई जो यह दावा करता है कि यीशु उनका प्रभु है, स्वर्ग के राज्य में प्रवेश नहीं करेगा। अन्तिम दिन कुछ प्रचारक, सेवकाई अगुवे, और कलीसिया के सदस्य स्वयं को परमेश्वर के राज्य से बाहर पाएंगे। मसीह उनसे कहेंगे, “मैं ने तुम को कभी नहीं जाना” (मत्ती 7:23)।
परमेश्वर का शाश्वत उद्देश्य
कलीसिया के पापों को स्वीकार करने और संबोधित करने वाली कठोर ईमानदारी के साथ-साथ, शास्त्र हमें कलीसिया के एक दर्शन देते हैं जिससे हमें उबरने की सख्त जरूरत है। परमेश्वर का उद्देश्य है “ताकि अब कलीसिया के द्वारा, परमेश्वर का विभिन्न प्रकार का ज्ञान उन प्रधानों और अधिकारियों पर जो स्वर्गीय स्थानों में हैं, प्रगट किया जाए” (इफिसियों 3:10)।
परमेश्वर का उद्देश्य हमेशा से स्वर्ग में एक विशाल श्रोता समूह के सामने अपनी बुद्धि का प्रदर्शन करना रहा है, और वे ऐसा कलीसिया के माध्यम से करते हैं।
परमेश्वर दुनिया के हर देश से लोगों को यीशु की ओर खींच रहे हैं, और उन्हें एक नए समुदाय — कलीसिया — में इकट्ठा कर रहे हैं, जो जाति, भाषा और संस्कृति की बाधाओं को पार करता है। परमेश्वर के नए समुदाय में, “अब न कोई यहूदी रहा और न यूनानी, न कोई दास न स्वतंत्र, न कोई नर न नारी, क्योंकि तुम सब मसीह यीशु में एक हो” (गलातियों 3:28)।
ज़रा सोचिए! यहूदी और अरब, काले और गोरे, युवा और बूढ़े, अमीर और गरीब सभी एक नए समुदाय में एक साथ आ गए। दुनिया इसका सपना देखती है। मसीह में, हम एक दूसरे के साथ एक गहन एकता रखते हैं जो उन सभी चीज़ों से परे है जो हमें अलग बनाती हैं।
चलो इसे स्पष्ट रूप से समझते हैं। खगोल भौतिकी के एक ईसाई प्रोफेसर की एक अनपढ़ आस्तिक के साथ अधिक समानता है, बजाय एक ऐसे साथी विद्वान के जो प्रभु को नहीं जानता। एक करोड़पति जो मसीह को जानता है, उसका सबसे गरीब विश्वासी से कहीं अधिक संबंध है, बनिस्बत उन अमीर दोस्तों से, जो मसीह को नहीं जानते। एक सुसंस्कृत ईसाई महिला, जिसे शास्त्रीय संगीत पसंद है, उसका एक हाई स्कूल के रैपर से, जो यीशु से प्रेम करता है, कहीं अधिक मेल है, बजाय उन दोस्तों के जो शास्त्रीय संगीत की मैफिल में उसके साथ होते हैं परन्तु जिन्होंने कभी अपने उद्धारकर्ता की आवश्यकता को महसूस नहीं किया!
शिक्षा, आय, और संस्कृति के भेद केवल कुछ समय तक रहते हैं। परन्तु परमेश्वर के लोगों की एकता अनंत है, और स्वर्गदूत भी हैरान रह जाते हैं जब वे कलीसिया के माध्यम से परमेश्वर की बुद्धि को प्रकट होते देखते हैं। (इफिसियों 3:10)।
कलीसिया क्या है?
कलीसिया वास्तव में क्या है? यदि तीन मसीही लोग हर सुबह एक बस अड्डे पर मिलते हैं, तो क्या वे एक कलीसिया हैं? यदि वे चाय की दूकान में बाइबल के बारे में बात करें तो वो क्या है? क्या आपका छोटा समूह एक कलीसिया है? क्या मसीही परिवार एक कलीसिया है? और अगर नहीं, तो क्यों नहीं?
ईसाइयों की बढ़ती संख्या का यह विचार है कि “कलीसिया” केवल “ईसाई” का बहुवचन है, और किसी भी समय या स्थान पर मिलने वाले ईसाइयों का कोई भी समूह एक कलीसिया है। क्या वे सही हैं?
जब यीशु ने कलीसिया के बारे में बात की तो उनका क्या मतलब था? यीशु ने “कलीसिया” शब्द का दो बार उपयोग किया और उन्होंने जो कहा वह हमारे लिए कलीसिया को परिभाषित करता है। पहली बार तब हुआ जब पतरस ने स्वीकार किया कि यीशु ही मसीह है। यीशु ने उससे कहा: “मैं भी तुझ से कहता हूँ कि तू पतरस है, और मैं इस पत्थर पर अपनी कलीसिया बनाऊँगा, और अधोलोक के फाटक उस पर प्रबल न होंगे” (मत्ती 16:18)।
मसीह यहाँ किसी स्थानीय कलीसिया या संप्रदाय के बारे में नहीं बोल रहे हैं, बल्कि हर समय और हर स्थान के सभी विश्वासियों के बारे में बोल रहे हैं। एक कलीसिया है, जो सभी विश्वासियों से मिलकर बनी है, और मसीह इसका निर्माण करते हैं।
इस कलीसिया पर “अधोलोक के फाटक प्रबल न होंगे” (16:18)। आप किसी स्थानीय कलीसिया या संप्रदाय के बारे में ऐसा नहीं कह सकते। दुनिया भर में ऐसी कलीसियाओं और संप्रदायों की दुखद कहानियाँ हैं जो अपना मार्ग खो बैठे और बंद हो गए हैं। परन्तु जिस कलीसिया का निर्माण मसीह कर रहे हैं वह जीवित और अच्छी तरह से बना हुआ है। यह हर समय और हर स्थान पर सभी विश्वासियों को शामिल करता है।
दूसरी बार जब यीशु ने कलीसिया के विषय में बात की, तो उन्होंने कहा, “यदि तेरा भाई तेरे विरुद्ध अपराध करे, तो जा और अकेले में बातचीत करके उसे समझा…यदि वह न सुने, तो एक या दो जन को अपने साथ और ले जा…यदि वह उनकी भी न माने, तो कलीसिया से कह दे” (मत्ती 18:15-17)।
यहाँ “कलीसिया” शब्द का स्पष्ट रूप से एक अलग अर्थ है। इसका मतलब यह नहीं हो सकता: “हर युग और हर जगह के सभी विश्वासियों को यह बताओ।” कोई भी ऐसा नहीं कर सकता। यीशु यहाँ स्पष्ट रूप से विश्वासियों की एक स्थानीय मण्डली के बारे में बात कर रहे थे।
इसलिए, हमारे प्रभु ने कलीसिया शब्द का इस्तेमाल दो तरीकों से किया: पहला, सभी विश्वासियों का वर्णन करने के लिए, चाहे वे किसी भी समय और स्थान पर हों। दूसरा, विश्वासियों के एक स्थानीय सभा का वर्णन करने के लिए।
कलीसिया लोगों का कोई स्व-चयनित समूह नहीं है। यह कभी भी सिर्फ़ आप, मैं और कुछ दोस्त नहीं होते जिन्हें हम चुनते हैं। मसीह अपनी कलीसिया का निर्माण तब करते है जब वे लोगों को अपने प्रति विश्वास में लाते हैं और उन्हें स्थानीय कलीसियाओं में एकत्रित करते है।
सिंड्रेला भव्य समारोह में जाएगी
कलीसिया जो आज है और कलीसिया जो एक दिन बनेगी, दोनों में बड़ा अंतर है:
मसीह ने भी कलीसिया से प्रेम करके अपने आप को उसके लिये दे दिया कि उसको वचन के द्वारा जल के स्नान से शुद्ध करके पवित्र बनाए, और उसे एक ऐसी तेजस्वी कलीसिया बनाकर अपने पास खड़ी करे, जिसमें न कलंक, न झुर्री, न कोई और ऐसी वस्तु हो वरन् पवित्र और निर्दोष हो। (इफिसियों 5:25-27)
एक बार की बात है, एक छोटी लड़की थी जिसकी एक दुष्ट सौतेली माँ और दो बदसूरत बहनें थीं। उसे रसोई में काम करने के लिए मजबूर किया जाता था और वह अपने फटे-पुराने कपड़ों में चूल्हे के पास राख के बीच बैठी रहती थी। अंग्रेजी शब्द सिंडर का अर्थ राख होता है इसलिए उसे सिंडरेला कहा जाता था।
एक दिन राजा ने देश की सभी युवतियों को अपने महल में एक भव्य समारोह में आमंत्रित किया। वह चाहता था कि उसका पुत्र, राजकुमार किसी से प्यार करे और शादी करे। बदसूरत बहनों को नृत्य समारोह में ले जाया गया, परन्तु सिंडरेला के पास पहनने के लिए कोई पोशाक नहीं थी – और उसे घर पर ही छोड़ दिया गया।
तब एक परी ने उसे छड़ी से छुआ, और सिंडरेला के चीथड़े एक सुंदर पोशाक में बदल गए – परन्तु केवल आधी रात तक के लिए।
जब सिंडरेला समारोह में पहुँची, तो उसने राजकुमार का दिल मोह लिया। और वे आधी रात तक नाचते रहे, फिर उसे जाना पड़ा। परन्तु जब सिंडरेला समारोह भवन से भागी, तो उसकी एक काँच की जूती गिर गई।
राजकुमार उस महिला को ढूंढने के लिए कृतसंकल्प था जिससे वह प्रेम करता था। उसने आदेश दिया कि उस जूती को देश की प्रत्येक युवती के पैर में पहनाकर देखा जाए और जिसकी वह जूती हो उसे महल में लाया जाए।
सिंडरेला को घर पर बैठे हुए चित्रित करें। वह फटे-पुराने कपड़े पहने हुए है, बदसूरत बहनों द्वारा तिरस्कृत है और दुष्ट सौतेली माँ द्वारा प्रताड़ित है। परन्तु उसका भाग्य महल में प्रेम और आनंद से भरा जीवन है।
यह कलीसिया की एक अद्भुत तस्वीर है। वह कभी-कभी थोड़ी अस्त-व्यस्त दिखती है। कुछ ऐसे भी भाई-बहन हैं जो उससे घृणा करते हैं और उसे तुच्छ समझते हैं। दुनिया के कुछ हिस्से ऐसे हैं जहाँ एक दुष्ट सौतेली माँ उस पर अत्याचार करती है और उसे कैद कर लेती है। परन्तु मसीह कलीसिया से प्रेम करते हैं, और वे उसे अपने घर ले आएंगे।
जब मसीह कलीसिया को अपने सामने प्रस्तुत करेंगे, तो हम फटे-पुराने वस्त्रों में नहीं होंगे। कलीसिया ऐसी होगी “जिसमें न कलंक, न झुर्री, न कोई और ऐसी वस्तु हो वरन् पवित्र और निर्दोष हो” (इफिसियों 5:27)। कलीसिया दीप्तिमान होगी। वह गौरवशाली होगी। और वह हमेशा मसीह के आनन्द को साझा करेगी।
हमेशा याद रखें कि कलीसिया वह दुल्हन है जिसे मसीह स्वयं के लिए प्रस्तुत करेंगे। ईसाई स्कूल, सेमिनरी, रेडियो सेवकाई, मिशनरी सोसायटी और सुसमाचार प्रचार संगठन दुल्हन की सहेलियों की तरह हैं जो दूल्हे के लिए तैयार होने में दुल्हन की सहायता करती हैं। दुल्हन को अपनी सहेलियों की जरूरत होती है, परन्तु यह एक बड़ी गलती है कि आप दुल्हन की अपेक्षा सहेलियों को अधिक महत्व देते हैं।
बाइबल के अंत में, प्रेरित यूहन्ना स्वर्ग से एक बड़ी भीड़ की आवाज़ सुनता है जो चिल्ला रही है, “हल्लिलूय्याह! क्योंकि प्रभु हमारा परमेश्वर सर्वशक्तिमान राज्य करता है। आओ, हम आनन्दित और मगन हों, और उसकी स्तुति करें, क्योंकि मेम्ने का विवाह आ पहुँचा है, और उसकी दुल्हिन ने अपने आप को तैयार कर लिया है… धन्य वे हैं, जो मेम्ने के विवाह के भोज में बुलाए गए हैं” (प्रकाशितवाक्य 19:6-9)।
कलीसिया का कार्य प्रगति पर है। वह अभी तक वह सब नहीं है जो परमेश्वर उसे बनने के लिए कहते हैं, और वह अभी तक वह भी नहीं है जो वो एक दिन बनेगी। परन्तु कलीसिया मसीह की दुल्हन है। येशु ने उसके लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया, और वह परमेश्वर के उद्देश्य का केन्द्र है।
”आप कलीसिया के बारे में क्या मानते हैं?” हेडलबर्ग कैटेचिज्म इस सवाल का जवाब इन शब्दों के साथ देते हैं: “मैं मानता हूँ कि परमेश्वर का पुत्र, अपनी आत्मा और वचन के माध्यम से, पूरी मानव जाति में से, दुनिया की शुरुआत से लेकर उसके अंत तक, अपने लिए एक समुदाय को इकट्ठा करता है, उसकी रक्षा करता है और उसे सुरक्षित रखता है, जो अनंत जीवन के लिए चुना गया है और सच्चे विश्वास में एकजुट है। और मैं इस समुदाय का एक जीवित सदस्य हूँ और हमेशा रहूंगा।” पादरी कहते हैं कि वे इससे बड़े विशेषाधिकार की कल्पना नहीं कर सकते।
परमेश्वर के वचन के साथ आगे जुड़ने के लिए इन प्रश्नों का उपयोग करें। उन पर किसी अन्य व्यक्ति के साथ चर्चा करें या उन्हें व्यक्तिगत प्रतिबिंब प्रश्नों के रूप में उपयोग करें।
1. जब आप कलीसिया के बारे में सोचते हैं तो सबसे पहले कौन सी बातें आपके मन में आती हैं?
2. बाइबल के अनुसार, परमेश्वर कलीसिया के माध्यम से क्या कर रहे हैं?
3. आपके अपने शब्दों में, यीशु ने कलीसिया शब्द का प्रयोग किन दो अलग-अलग तरीकों से किया?
4. सिंडरेला के चित्रण में आपको सबसे अधिक क्या प्रभावित करता है?
5. आप खुद को 1 (मैं कलीसिया से नफरत करता हूँ!), 5 (मैं कलीसिया के प्रति तटस्थ हूँ) से लेकर 10 (मैं कलीसिया से प्यार करता हूँ!) के पैमाने पर कहाँ रखेंगे? क्यों?