इब्रानियों 7:23-28
23 वे तो बहुत से याजक बनते आए, इसका कारण यह था कि मृत्यु उन्हें रहने नहीं देती थी।
24 पर यह युगानुयुग रहता है; इस कारण उसका याजक पद अटल है।
25 इसलिए जो उसके द्वारा परमेश्वर के पास आते हैं, वह उनका पूरा-पूरा उद्धार कर सकता है, क्योंकि वह उनके लिये विनती करने को सर्वदा जीवित है। (1 यूह. 2:1-2, 1 तीमु. 2:5)
26 क्योंकि ऐसा ही महायाजक हमारे योग्य था, जो पवित्र, और निष्कपट और निर्मल, और पापियों से अलग, और स्वर्ग से भी ऊँचा किया हुआ हो।
27 और उन महायाजकों के समान उसे आवश्यक नहीं कि प्रतिदिन पहले अपने पापों और फिर लोगों के पापों के लिये बलिदान चढ़ाए; क्योंकि उसने अपने आप को बलिदान चढ़ाकर उसे एक ही बार निपटा दिया। (लैव्य. 16:6, इब्रा. 10:10,12,14)
28 क्योंकि व्यवस्था तो निर्बल मनुष्यों को महायाजक नियुक्त करती है; परन्तु उस शपथ का वचन जो व्यवस्था के बाद खाई गई, उस पुत्र को नियुक्त करता है जो युगानुयुग के लिये सिद्ध किया गया है।
यीशु के पास हमारे लिए अतीत में एक पूर्ण कार्य है, वर्तमान में एक निरंतर कार्य है, और भविष्य में हमारे लिए एक आने वाला कार्य है। यीशु का पूर्ण कार्य यह है कि उन्होंने हमारे पापों के लिए अपना जीवन बलिदान किया। उन्होंने ऐसा “एक ही बार में पूरा कर दिया” (इब्रानियों 7:27)। यीशु का आने वाला कार्य उनके महिमामय पुनरागमन के इर्द-गिर्द घूमता है। इस सत्र में हम यीशु के निरन्तर कार्य का अन्वेषण करेंगे।
मातृत्व में एक प्रारंभिक और पीड़ादायक घटना शामिल होती है जिसमें एक महिला एक बच्चे को जन्म देती है और एक सतत प्रक्रिया होती है जिसमें वह बच्चे की देखभाल करती है।
यदि आप एक माँ हैं, तो आप जानती होंगी कि यह कैसा होता है। आप कई घंटों तक प्रसव पीड़ा सहने के बाद थककर लेटी रहती हैं और कुछ ही मिनटों में नर्स जीवन की एक नन्हीं सी किरण को आपकी बाहों में थमा देती है और कहती है, “इस नन्हे शिशु को दूध पिलाने की जरूरत है!”
बच्चे को जन्म देने के पूर्ण कार्य के बाद बच्चे की देखभाल और उसकी आवश्यकताओं की पूर्ति का कार्य जारी रहता है। एक माँ का काम कभी पूरा नहीं होता!
हमारे महान महायाजक यीशु की सेवकाई में एक पूर्ण कार्य और एक निरन्तर कार्य दोनों सम्मिलित हैं। पूर्ण कार्य वह पीड़ादायक घटना थी जिसमें उन्होंने स्वयं को हमारे पापों के लिए बलिदान के रूप में अर्पित किया जब उन्होंने क्रूस पर कष्ट सहा और अपनी जान दे दी।
निरंतर चलने वाला कार्य वह सेवकाई है जिसमें वे हम पर वह लागू करते हैं जो उन्होंने क्रूस पर पूरा किया था और वे वह सब प्रदान करते हैं जो हमें सुरक्षित रूप से हमें हमारे अंतिम घर स्वर्ग की ओर ले जाने के लिए आवश्यक है। निरंतर चलने वाला कार्य मसीह की देखभाल, सुरक्षा और पोषण की सेवकाई है जिसे बाइबल उनकी विनती कहती है।
अनेक याजक, अनेक बलिदान
पुराने नियम में कई याजक थे: “वे तो बहुत बड़ी संख्या में याजक बनते आए, इसका कारण यह था कि मृत्यु उन्हें रहने नहीं देती थी” (इब्रानियों 7:23)।
जब हारून मरने वाला था, तो वह अपने भाई मूसा और उसके पुत्र एलीआज़ार के साथ होर पर्वत पर चढ़ गया। मूसा ने हारून के याजक के वस्त्र उतारकर उसके बेटे को पहना दिए, जिससे यह संकेत मिलता है कि एलीआज़ार महायाजक की भूमिका निभाएगा (गिनती 20:22-29)।
पुराने नियम में एक के बाद एक महायाजक होते थे। वे सभी कुछ समय तक सेवारत रहे, परन्तु मृत्यु के कारण वे पद पर बने नहीं रह सके। देर-सवेर, उन सभी को अपने याजक के वस्त्र उतारने पड़े।
पुराने नियम में बहुत से बलिदान भी थे। इब्रानियों की पुस्तक ने हमें बताया है कि पुराने नियम के याजकों को “प्रतिदिन बलिदान चढ़ाना” पड़ता था, पहले अपने पापों के लिए और फिर दूसरों के पापों के लिए(7:27)। हर बार जब कोई नया पाप किया जाता था, तो एक नया बलिदान चढ़ाना पड़ता था। इसलिए, याजक का काम कभी खत्म नहीं होता था।
यह बात तम्बू की बनावट से स्पष्ट होती है जहाँ याजक अपना कार्य करते थे। पहले कमरे में एक दीपक, एक मेज और रोटी होती थी (इब्रानियों 9:2)। ध्यान दें कि क्या कमी है। यह कमरा बहुत सुंदर ढंग से रोशन था। वहाँ एक मेज़ और कुछ रोटियाँ थी, परन्तु कोई कुर्सी नहीं थी। याजक कभी बैठ नहीं सकते थे क्योंकि उनका काम कभी पूरा नहीं होता था। हमेशा ही कोई नया पाप निपटाना पड़ता था, कोई नया बलिदान चढ़ाना पड़ता था।
पूरे पुराने नियम में यही कहानी थी – अनेक याजक और अनेक बलिदान। पाप एक ऐसी समस्या थी जिसका कभी समाधान नहीं हुआ, और बलिदान करना एक ऐसा कार्य था जो कभी पूरा नहीं हुआ।
एक याजक, एक बलिदान
परन्तु अब परमेश्वर ने हमें एक महायाजक दिया है जो सर्वदा जीवित रहता है। यीशु “युगानुयुग रहता है, इस कारण उसका याजक पद अटल है” (इब्रानियों 7:24)। यीशु मृत्यु से गुज़रे और उस पर विजय प्राप्त की। वे अनन्त जीवन की शक्ति में रहते हैं। ऐसा कभी नहीं होगा कि महायाजक के वस्त्र यीशु से छीन लिये जायें! वे सदाकाल तक हमारे महायाजक हैं।
यीशु किसी भी अन्य याजक से भिन्न हैं: “उन महायाजकों के समान उसे आवश्यक नहीं कि प्रतिदिन पहले अपने पापों और फिर लोगों के पापों के लिये बलिदान चढ़ाए; क्योंकि उसने अपने आप को बलिदान चढ़ाकर उसे एक ही बार में पूरा कर दिया” ( 7:27)।
पुराने नियम के याजकों के विपरीत, जिनका कार्य कभी पूरा नहीं होता था, यीशु ने स्वयं को एक बार के लिए क्रूस पर अर्पित कर दिया, और जब वे स्वर्ग में चढ़े, तो वे बैठ गए। “हमारा ऐसा महायाजक है, जो स्वर्ग पर महामहिमन् के सिंहासन के दाहिने जा बैठा है” (8:1)।
यीशु इसलिए बैठे हैं क्योंकि पाप के लिए स्वयं को बलिदान के रूप में अर्पित करने का उनका कार्य पूरा हो चुका है: “पूरा हुआ” (यूहन्ना 19:30)। उन्होंने हमारे पापों के लिए प्रायश्चित किया ताकि पाप के लिए किसी अन्य बलिदान की कभी आवश्यकता न पड़े।
अपने पापों को बड़े पत्थरों के समान समझिए जिन्हें आप अपनी पीठ पर एक थैले में रखकर ढोते हैं। पुराने नियम में, जब भी आप अपने थैले में पत्थर का भार महसूस करते थे, तो आप पुरोहित के पास जाते थे, जो उस विशेष पाप के लिए बलिदान चढ़ाता था। हर बार जब आप कोई नया पाप करते थे, तो आपको याजक के पास वापस जाना पड़ता था, और आपको एक और बलिदान की आवश्यकता होती थी।
पुराने नियम के याजक थैले से पत्थर निकालते थे। यीशु आपकी पीठ से थैला उतार देते है! वे आपके सारे पापों को आपसे अलग करके उनसे निपटते हैं। उन्होंने हमारे पापों को क्रूस पर उठाया और हमारे लिए उन्हें ढोया (1 पतरस 2:24)।
बाइबल हमें बताती है कि यदि हम कहें कि हम में कुछ भी पाप नहीं, तो हम अपने आप को धोखा देते हैं (1 यूहन्ना 1:8)। आपका थैला कभी भी पत्थरों से मुक्त नहीं होता, और परमेश्वर आपको अपने जीवन में पाप से निपटने के लिए बुलाते हैं। परन्तु आपका उद्धार इस बात पर निर्भर नहीं है कि आप थैला खाली कर दें। यह इस बात पर निर्भर है कि मसीह आपकी पीठ से थैला हटा दे।
मसीही लोग कभी-कभी ऐसे जीवन जीते हैं मानो हम अभी भी पुराने नियम के युग में हों। जब हम पाप करते हैं, तो हमें ऐसा लगता है मानो हम दंड के भागी हैं। परन्तु यीशु ने हमारे पापों का निपटारा कर दिया है – भूत, वर्तमान और भविष्य – उन्हें क्रूस पर चढ़ाकर (कुलुस्सियों 2:14)।
मसीह यीशु में आपके लिए कोई दण्ड की आज्ञा नहीं है, इसका कारण यह नहीं है कि आपके थैले में कोई पत्थर नहीं है, परन्तु यह है कि वह थैला ही आपकी पीठ से उतार दिया गया है। यीशु ने इसे आप से ले लिया। उन्होंने इसका पूरी तरह से निपटारा किया और अंततः क्रूस पर इसका सामना किया।
यीशु आपको बचाने के लिए जीवित हैं
आप इस वाक्य को कैसे पूरा करेंगे: यीशु उन लोगों को बचाने में सक्षम है जो उनके द्वारा परमेश्वर के निकट आते हैं, क्योंकि _________________?
यदि आप कहते हैं, “क्योंकि वे हमारे पापों के लिए क्रूस पर मरे,” तो आप सही होंगे। परन्तु इब्रानियों की पुस्तक में कुछ और कहा गया है। यीशु “इसी लिये जो उसके द्वारा परमेश्वर के पास आते हैं, वह उनका पूरा पूरा उद्धार कर सकता है, क्योंकि वह उनके लिये विनती करने को सर्वदा जीवित है।” (इब्रानियों 7:25)।
विनती करना यीशु की निरन्तर सेवकाई है। जो लोग यीशु के माध्यम से परमेश्वर के निकट आते हैं, उन्हें बचाने का कार्य यीशु अभी कर रहे हैं। वें वह सब कुछ कर रहे हैं जो आपको उन सभी चुनौतियों से निकालने के लिए आवश्यक है जिनका आप सामना करेंगे, जब तक कि आप स्वर्ग में उनकी उपस्थिति में सुरक्षित रूप से नहीं पहुँच जाते।
मान लीजिए कि यीशु क्रूस पर मरने और मृतकों में से जी उठने के बाद, स्वर्ग जाकर सेवानिवृत हो गए और केवल यह देखते रहे कि हमारा क्या होगा। यदि उन्होंने केवल उद्धार का मार्ग खोल दिया होता, और फिर उसे पाने का काम हम पर छोड़ दिया होता, तो कितने लोग स्वर्ग पहुँच पाते? कोई भी नहीं! उद्धार एक सैद्धांतिक संभावना बनी रहती, तथा वास्तव में कोई भी नहीं बच पता।
परन्तु यीशु हमारे लिए विनती करने के लिए जीवित हैं, और जब आप उन पर विश्वास के द्वारा परमेश्वर के निकट आते हैं, तो यीशु आपको वह सब कुछ प्रदान करेंगे जो उन्होंने क्रूस पर अपना लहू बहाकर खरीदा है। क्षमा, धार्मिकता, परमेश्वर के साथ मेल-मिलाप, उनके लेपालक पुत्र होना, एक नया मन, उनकी पवित्र आत्मा का उपहार – प्रत्येक आशीष जिसका आप आनंद लेते हैं और अनुग्रह का प्रत्येक उपहार जो आप प्राप्त करते हैं, वह प्रभु यीशु मसीह की विनती वाली सेवकाई के माध्यम से आता है।
यीशु सदैव हमारे लिए विनती करने के लिए जीवित रहते हैं। वे कभी छुट्टी नहीं लेते! वे कभी किसी और चीज़ से विचलित नहीं होते! यीशु की निरंतर सेवा का उद्देश्य हमारी हर ज़रूरत की पूर्ति करना है, और यह सुनिश्चित करना है कि उनके सभी बच्चे सुरक्षित घर पहुँच जाएँ। यीशु आपको बचाने के लिए मरे, वे आपको सुरक्षित रखने के लिए जीवित हैं, और वे आपको कभी जाने नहीं देंगे।
मसीही जीवन को क्या संभव बनाता है?
अपने पूरे मसीही जीवन में, आपको सभी प्रकार की परीक्षाओं, चुनौतियों, प्रलोभनों, दुखों और संघर्षों का सामना करना पड़ेगा। आपका विश्वास कैसे जीवित रहेगा? मसीह हमेशा आपके लिए विनती करने के लिए जीवित रहते हैं। वे आपकी ज़रूरतों को पिता के पास लाते हैं, ताकि आपकी हर ज़रूरत पूरी हो सके।
सुसमाचारों में इसका एक सुन्दर चित्रण है। यीशु जानते थे कि पतरस पर बहुत दबाव आएगा और उन्होंने उससे कहा, “बाँग देने से पहले, तू तीन बार मुझ से मुकर जाएगा” (मत्ती 26:34)।
पतरस को यकीन था कि वह यीशु का अनुसरण करने की चुनौती के लिए तैयार है, परन्तु यीशु जानते थे कि पतरस असफल हो जाएगा। उन्होंने पतरस से कहा, “शैतान ने तुम लोगों को माँग लिया है कि गेहूँ के समान फटके, परन्तु मैं ने तेरे लिये विनती की कि तेरा विश्वास जाता न रहे” (लूका 22:31-32)।
पतरस बहुत बुरी तरह से असफल हुआ जब उसने यीशु को अस्वीकार कर दिया था, और शायद यह उसकी कहानी का अंत हो सकता था। परन्तु यीशु ने प्रार्थना करी कि उसका विश्वास कम न हो, और यीशु की प्रार्थनाएँ तब सुनी गईं जब पतरस को बहाल किया गया।
यीशु ने पतरस के लिए जो किया वह इस बात की एक अद्भुत तस्वीर है कि वे हमारे लिए क्या काम करना जारी रखते हैं। मसीह आपके लिए विनती करते हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि यीशु स्वर्ग में घुटनों के बल बैठकर प्रार्थना कर रहे हैं, जैसा कि उन्होंने गेथसेमेन के बगीचे में किया था। नहीं, वे पिता के दाहिने हाथ पर बैठे हैं, और जो वे माँगते हैं, पिता उन्हें देते हैं।
यीशु की विनती ही मसीही जीवन को संभव बनाती है। मसीह पिता के सामने अधिकार के साथ बोलते हैं, और उनके वचन स्वर्ग की सम्पदाओं को उन दबावों और प्रलोभनों से निपटने के लिए मुक्त करते हैं जिनका आप आज सामना कर रहे हैं।
मसीह आपको आपके जीवन के किसी भी समय या परिस्थिति में आपके द्वारा उठाए जाने वाले विशेष बोझ से निपटने के लिए शक्ति देते हैं। जब वे आपका बोझ दोगुना कर देते हैं, तो वे आपकी ताकत भी दोगुनी कर सकते हैं।
प्रार्थना के लिए सहायता
यह जानना कि यीशु आपके लिए विनती करते हैं, आपको प्रार्थना करने के लिए एक नया प्रोत्साहन देगा। जब हमें लगता है कि हमारी प्रार्थनाएँ शक्तिहीन हैं और हमारा विश्वास कमज़ोर है, तो हम स्वयं प्रार्थना करने के बजाय किसी पादरी या पुरोहित से प्रार्थना करवाना पसन्द करेंगे। परन्तु हमें यहाँ बताया जा रहा है कि हमारे पास पहले से ही एक याजक है जो हमारे लिए प्रार्थना करते हैं।
यीशु आपके महान महायाजक हैं और वे आपके लिए विनती करते हैं। वे आपके और पिता के बीच में खड़े हैं, और वे आपकी ओर से आपके अनुरोधों को पिता के पास लाते हैं। इसलिए, जब आप प्रार्थना में असफल प्रयास करते हैं, तो याद रखें कि यीशु आपकी प्रार्थना को पिता के सामने लाते हैं।
यीशु ने कहा, “यदि पिता से कुछ भी माँगोगे, तो वह मेरे नाम से तुम्हें देगा” (यूहन्ना 16:23)। मसीह के नाम पर माँगने का अर्थ है उनकी इच्छा के अनुसार माँगना। वादा यह है कि हर बार जब आप यीशु की इच्छा के अनुरूप प्रार्थना करते हैं, तो वे आपके अनुरोध को पिता के सामने प्रस्तुत करते हैं। क्योंकि मसीह हमारे विनती करते हैं, आप उनके नाम से जो कुछ भी मांगेंगे, उससे आपको इन्कार नहीं किया जाएगा, क्योंकि जो कुछ वे पिता से मांगेगे, उससे उन्हें कभी इन्कार नहीं किया जाएगा।
यीशु मसीह ने हमारे पापों के लिए स्वयं को बलिदान के रूप में अर्पित करने का कार्य पूरा कर दिया है। अब वे स्वर्ग में हमारे लिए अपना निरन्तर कार्य जारी रख रहे हैं। उन्होंने क्रूस पर जो हासिल किया उसे लागू करके वे हमें बचते हैं। वे हमारे लिए विनती करते हैं, तथा हमें मसीही जीवन के लिए आवश्यक सभी चीजें प्रदान करते हैं। और वे हमारी प्रार्थनाओं को पिता के समक्ष प्रस्तुत करते हैं, तथा हमें विश्वास दिलाते हैं कि हमारी प्रार्थनाएँ सुनी जाएंगी और उनका उत्तर दिया जाएगा।
परमेश्वर के वचन के साथ आगे जुड़ने के लिए इन प्रश्नों का उपयोग करें। उन पर किसी अन्य व्यक्ति के साथ चर्चा करें या उन्हें व्यक्तिगत प्रतिबिंब प्रश्नों के रूप में उपयोग करें।
1. हमारे महायाजक के रूप में यीशु के कार्य का कौन सा हिस्सा आपके लिए सबसे अधिक उत्साहवर्धक है?
2. इससे क्या फ़र्क पड़ता है कि यीशु आपके थैले से पाप के पत्थरों को हटा दें या आपकी पीठ से पूरा थैला निकाल दें?
3. अपनी यात्रा पर विचार करें। यीशु ने आपको विश्वास में लाने के लिए किस माध्यम का उपयोग किया?
4. इस सप्ताह आपके जीवन के किस हिस्से में आपको याद रखने की ज़रूरत है कि यीशु आपके लिए प्रार्थना कर रहे हैं?
5. आपको कहाँ लगता है कि आपकी प्रार्थनाएँ कमज़ोर या शक्तिहीन हैं? आपने यीशु की विनती के बारे में जो सीखा है वह आपकी कैसे मदद करेगा?