2 शमूएल 7:1-16
1 जब राजा अपने भवन में रहता था, और यहोवा ने उसको उसके चारों ओर के सब शत्रुओं से विश्राम दिया था,
2 तब राजा नातान नामक भविष्यद्वक्ता* से कहने लगा, “देख, मैं तो देवदार के बने हुए घर में रहता हूँ, परन्तु परमेश्वर का सन्दूक तम्बू में रहता है।”
3 नातान ने राजा से कहा, “जो कुछ तेरे मन में हो उसे कर; क्योंकि यहोवा तेरे संग है।”
4 उसी रात को यहोवा का यह वचन नातान के पास पहुँचा,
5 “जाकर मेरे दास दाऊद से कह, ‘यहोवा यह कहता है, कि क्या तू मेरे निवास के लिये घर बनवाएगा?
6 स दिन से मैं इस्राएलियों को मिस्र से निकाल लाया आज के दिन तक मैं कभी घर में नहीं रहा, तम्बू के निवास में आया-जाया करता हूँ*।
7 जहाँ-जहाँ मैं समस्त इस्राएलियों के बीच फिरता रहा, क्या मैंने कहीं इस्राएल के किसी गोत्र से, जिसे मैंने अपनी प्रजा इस्राएल की चरवाही करने को ठहराया है, ऐसी बात कभी कही, कि तुम ने मेरे लिए देवदार का घर क्यों नहीं बनवाया?’
8 इसलिए अब तू मेरे दास दाऊद से ऐसा कह, ‘सेनाओं का यहोवा यह कहता है, कि मैंने तो तुझे भेड़शाला से, और भेड़-बकरियों के पीछे-पीछे फिरने से, इस मनसा से बुला लिया कि तू मेरी प्रजा इस्राएल का प्रधान हो जाए। (भज. 78: 71)
9 और जहाँ कहीं तू आया गया, वहाँ-वहाँ मैं तेरे संग रहा, और तेरे समस्त शत्रुओं को तेरे सामने से नाश किया है; फिर मैं तेरे नाम को पृथ्वी पर के बड़े-बड़े लोगों के नामों के समान महान कर दूँगा।
10 और मैं अपनी प्रजा इस्राएल के लिये एक स्थान ठहराऊँगा, और उसको स्थिर करूँगा, कि वह अपने ही स्थान में बसी रहेगी, और कभी चलायमान न होगी; और कुटिल लोग उसे फिर दुःख न देने पाएँगे, जैसे कि पहले करते थे,
11 वरन् उस समय से भी जब मैं अपनी प्रजा इस्राएल के ऊपर न्यायी ठहराता था; और मैं तुझे तेरे समस्त शत्रुओं से विश्राम दूँगा। यहोवा तुझे यह भी बताता है कि यहोवा तेरा घर बनाए रखेगा।
12 जब तेरी आयु पूरी हो जाएगी, और तू अपने पुरखाओं के संग सो जाएगा, तब मैं तेरे निज वंश को तेरे पीछे खड़ा करके उसके राज्य को स्थिर करूँगा।
13 मेरे नाम का घर वही बनवाएगा, और मैं उसकी राजगद्दी को सदैव स्थिर रखूँगा। (1 राजा. 5:5)
14 मैं उसका पिता ठहरूँगा, और वह मेरा पुत्र ठहरेगा। यदि वह अधर्म करे, तो मैं उसे मनुष्यों के योग्य दण्ड से, और आदमियों के योग्य मार से ताड़ना दूँगा। (2 कुरिन्थियों. 6:18, इब्रानियों. 1:5, इब्रानियों. 12:7)
15 परन्तु मेरी करुणा उस पर से ऐसे न हटेगी, जैसे मैंने शाऊल पर से हटा ली थी और उसको तेरे आगे से दूर किया था।
16 वरन् तेरा घराना और तेरा राज्य मेरे सामने सदा अटल बना रहेगा; तेरी गद्दी सदैव बनी रहेगी।'” (भज. 89:36-37, लूका 1:32,33)
इस्राएल के पहले राजा शाऊल ने बड़ी उपलब्धियां हासिल की, परन्तु वह धार्मिक नहीं | था। उसने जो कुछ भी हासिल किया वह टिक नहीं पाया। परमेश्वर ने दाऊद को, जो एक अज्ञात चरवाहा था, शाऊल के उत्तराधिकारी के लिए खड़ा किया। जब दाऊद ने गोलियथ को हराया, तो हर कोई जान गया कि वह कौन है। शाऊल दाऊद से ईर्षा करता था, और उसने अपने जीवन के अंतिम वर्ष भविष्य को नष्ट करने की कोशिश में बिताए । परन्तु | परमेश्वर का हाथ दाऊद के ऊपर था, और जब शाऊल की मृत्यु हुई, तो परमेश्वर के मन के अनुसार राजा की ताजपोशी करने का मार्ग खुल गया।
नए राजा का तत्काल विरोध हुआ । शाऊल के कुछ वफादारों ने अपने साम्राज्य के लिए लड़ाई लड़ी, परन्तु अगले दो वर्षों के दौरान दाऊद का घराना प्रबल होता गया, जबकि शाऊल का घराना निर्बल होता गया (2 शमूएल 3:1) जब तक कि सभी ने दाऊद को राजा के रूप में स्वीकार नहीं कर लिया (5:1-5)।
दाऊद के नेतृत्व में परमेश्वर के लोगों ने यरूशलेम पर कब्जा कर लिया, और जब शहर को ले लिया गया, तो दाऊद ने अपना महल बनाया और वहां अपनी सरकार का केंद्र स्थापित किया। तब दाऊद वाचा के सन्दूक को यरुशलेम ले आया, जहाँ परमेश्वर अपने लोगों से मिले। ईश्वर की उपस्थिति राष्ट्रीय जीवन के केंद्र में थी ।
राष्ट्र एकजुट था, परमेश्वर के लोग समृद्ध हुए, और वहाँ शांति थी । दाऊद उससे कहीं अधिक सफल रहा, जितना उसने सपने में देखा हो, और उसे लगा कि कुछ वापस देने का समय आ गया है। दाऊद एक अच्छे हृदय और महान विचार वाला धार्मिक व्यक्ति था।
परमेश्वर का सम्मान करने के लिए एक राजा की योजना
दाऊद को एक भव्य महल में रहना उचित नहीं लगा, जबकि परमेश्वर का सन्दूक एक तम्बू में रखा गया था। उसके मन में परमेश्वर के लिए मन्दिर बनाने का विचार आया, इसलिये उसने अपने मित्र नातान को बुलाया, जिसने कहा, “जो कुछ तेरे मन में हो उसे कर: क्योंकि यहोवा तेरे संग है” (7:3)। परन्तु उसी रात को यहोवा का यह वचन नातान के पास पहुँचा कि बजाय दाऊद परमेश्वर के लिए एक भवन बनवाएं, परमेश्वर ही दाऊद के लिए एक भवन बनाएंगे।
क्या आप कभी ऐसी स्थिति में रहे हैं जब आप कुछ अच्छा करना चाहते थे और परमेश्वर ने दरवाजा बंद कर दिया हो? आपने कुछ पहल की, परन्तु कारगर नहीं हुआ। या आपके पास एक महान योजना थी, परन्तु किसी और ने उसे चुरा लिया। जब परमेश्वर दरवाजा बंद कर देते हैं, तो आपको विनम्रता की अंतिम परीक्षा का सामना करना पड़ता है।
सी. एस. लुईस ने विनम्रता को इस प्रकार परिभाषित किया है “मन की एक ऐसी स्थिति जिसमें [एक व्यक्ति] दुनिया के प्रधान गिरजाघर की रचना कर सकता है, और इसे सबसे अच्छा मानता है, और इस तथ्य में आनन्दित हो सकता है, बिना किसी अधिक (या कम) या अन्यथा ऐसा करने में प्रसन्न होने पर अगर यह दूसरे द्वारा किया गया होता। सच्ची विनम्रता का अर्थ यह है कि आप इस बात को लेकर ज्यादा चिंतित हैं कि परमेश्वर की महिमा होनी चाहिए बजाय इसके कि उस कार्य पर किसका नाम आता है।
दाऊद के श्रेय के लिए, उसने विनम्रता सीखी। यह आश्चर्य की बात नहीं होती अगर दाऊद ने मंदिर बनाने में रुचि खो दी होती, जब परमेश्वर ने उसे बताया कि वह इसे बनाने वाला नहीं होगा। परन्तु दाऊद की विनम्रता इस तथ्य से प्रकट होती है कि उसने योजनाएं तैयार की, सामग्रियों को इकट्ठा किया, और फिर अपने पुत्र को मंदिर बनाने के कार्य पर भरोसा किया (1 इतिहास 28:11-20)।
निराशा और प्रतिज्ञा का द्वार
जब दाऊद को बंद दरवाज़े की निराशा का सामना करना पड़ा, तो परमेश्वर ने उसे एक अद्भुत प्रतिज्ञा दी: “यहोवा तेरा घर बनाए रखेगा” (2 शमूएल 7:11)। तब परमेश्वर ने समझाया कि वह ईंट – पत्थर लगाने की बात नहीं कर रहे थे। वह दाऊद के वंशजों में से एक के बारे में प्रतिज्ञा कर रहे थे: “जब तेरी आयु पूरी हो जाएगी, और तू अपने पुरखाओं के संग सो जाएगा, तब मैं तेरे निज वंश को तेरे पीछे खड़ा करके उसके राज्य को स्थिर करूँगा” ( 7:12)।
परमेश्वर ने प्रतिज्ञा की थी कि वह दाऊद के वंशज को उठाएंगे और इस संतान के विषय में परमेश्वर ने कहा, “मेरे नाम का घर वही बनवाएगा, और मैं उसकी राजगद्दी को सदैव स्थिर रखूँगा। मैं उसका पिता ठहरूँगा, और वह मेरा पुत्र ठहरेगा” ( 7:13-14)।
दाऊद का कौन-सा पुत्र इन प्रतिज्ञाओं को पूरा करेगा? किसी भी राजा का शासन हमेशा के लिए कैसे रह सकता है? दाऊद का पुत्र संभवतः परमेश्वर का पुत्र कैसे हो सकता है?
एक स्थगित प्रतिज्ञा
परमेश्वर ने सुलैमान को, दाऊद के मन्दिर के निर्माण के सपने को पूरा करने की अनुमति दी । और जब वह समर्पित किया गया, तो परमेश्वर की महिमा का बादल नीचे उतर आया, जिससे भवन उनकी उपस्थिति से भर गया। परन्तु कुछ वर्षों के बाद सुलैमान की मृत्यु हो गई, और कुछ सौ वर्षों के भीतर सुलैमान का मंदिर नष्ट कर दिया गया।
दाऊद के समय से ही, बाइबल की कहानी दाऊद के पुत्र की खोज के इर्द-गिर्द घूमती है जो एक मंदिर का निर्माण करेगा, जिसका सिंहासन हमेशा के लिए रहेगा, और जो परमेश्वर का पुत्र होगा। नए नियम का पहला वचन हमें यीशु को इस प्रतिज्ञात पुत्र के रूप में परिचित कराता है: “दाऊद की सन्तान, यीशु मसीह की वंशावली की पुस्तक” (मत्ती 1:1)।
लूका ने मरियम के लिए स्वर्गदूत की इस घोषणा को दर्ज किया है कि परमेश्वर की प्रतिज्ञा पूरी होगी: “तू गर्भवती होगी, और तेरे एक पुत्र उत्पन्न होगा; तू उसका नाम यीशु रखना… और प्रभु परमेश्वर उसके पिता दाऊद का सिंहासन उसको देगा” (लूका 1:31-32)।
जब यीशु ने अपनी सेवकाई शुरू की और लोगों ने उनके चमत्कारों को देखा, तो वे इतने आश्चर्यचकित हुए कि उन्होंने कहा, “यह क्या दाऊद की सन्तान है!? (मत्ती 12:23)। और जब तीन साल बाद, उन्होंने यरुशलेम में प्रवेश किया, वे खजूर की डालियां लहरा रहे थे और चिल्ला रहे थे, “दाऊद के पुत्र को होसन्ना! (मत्ती 21:9)।
सिंहासन जो हमेशा के लिए रहेगा
जब स्वर्गदूत गेब्रियल ने यीशु के जन्म की घोषणा की, तो उसने कहा, “प्रभु परमेश्वर उसके पिता दाऊद का सिंहासन उसको देगा, और वह याकूब के घराने पर सदा राज्य करेगा और उसके राज्य का अन्त न होगा” (लूका 1:32-33)। परन्तु कोई भी राज्य हमेशा के लिए कैसे रह सकता है?
यीशु मरे हुओं में से जी उठे और स्वर्ग में चढ़ गए। मृत्यु अब उनके ऊपर सामर्थ्य नहीं रखती है। राजाओं के राजा के रूप में, यीशु पिता के दाहिने हाथ पर बैठे हैं, जहाँ “जब तक वह अपने बैरियों को अपने पाँवों तले न ले आए, तब तक उसका राज्य करना अवश्य है” (1 कुरिन्थियों 15:25)।
यीशु मसीह युगानुयुग राज्य करेंगे (प्रकाशितवाक्य 11:15)। और उन्होंने प्रतिज्ञा की है कि उनके चेले उनके राज्य में भाग लेंगे। यीशु ने कहा, “जो विजय प्राप्त करता है, मैं उसे अपने सिंहासन पर मेरे साथ बैठने की आज्ञा दूंगा, जैसे मैंने भी विजय प्राप्त की और अपने पिता के साथ उसके सिंहासन पर बैठ गया” (प्रकाशितवाक्य 3:21 ) ।
परमेश्वर ने प्रतिज्ञा करी थी कि दाऊद का पुत्र एक मंदिर का निर्माण करेगा और हमेशा के लिए राज्य करेगा, और हमने देखा है कि कैसे यीशु ने इन महान प्रतिज्ञाओं के साथ खुद की पहचान दी। परन्तु परमेश्वर की प्रतिज्ञा का सबसे उल्लेखनीय भाग यह था कि परमेश्वर स्वयं दाऊद के पुत्र के पिता होंगे। दाऊद के किसी भी पुत्र को परमेश्वर का पुत्र कैसे कहा जा सकता है? परमेश्वर की प्रतिज्ञा कि दाऊद का पुत्र उसका अपना पुत्र होगा, हमें बाइबल के सबसे बड़े चमत्कार की ओर इशारा करती है।
यीशु मसीह, परमेश्वर का पुत्र
यीशु का जन्म मरियम से हुआ था, जिसकी दाऊद के वंशज यूसुफ से सगाई हो चुकी थी (मत्ती 1:16)। परन्तु यीशु का जन्म मरियम और यूसुफ के बीच संभोग के परिणामस्वरूप नहीं हुआ था (1:25)। परमेश्वर के एक रचनात्मक चमत्कार के द्वारा कुंवारी के गर्भ में गर्भ धारण किया गया था: “पवित्र आत्मा तुझ पर उतरेगा, और परमप्रधान की सामर्थ्य तुझ पर छाया करेगी इसलिये वह पवित्र जो उत्पन्न होने वाला है – परमेश्वर का पुत्र कहलाएगा” (लूका 1:35)। यीशु, दाऊद का पुत्र, परमेश्वर का पुत्र है!
जब हम पुत्र के बारे में सोचते हैं, तो हम आमतौर पर किसी ऐसे व्यक्ति के बारे में सोचते हैं जो अपने पिता के बीस या तीस साल बाद पैदा हुआ हो | परन्तु जब बाइबल हमें बताती है कि यीशु परमेश्वर का पुत्र है, तो वह हमें बता रहा है कि वह अपने पिता के स्वभाव को साझा करता है, और यह परमेश्वर का स्वभाव है कि उसका कोई आरम्भ नहीं है। ऐसा कोई समय नहीं था जब परमेश्वर का पुत्र पिता के साथ नहीं था: “आदि में वचन था, और वचन परमेश्वर के साथ था, और वचन परमेश्वर था” (यूहन्ना 1:1 ) ।
यीशु के रूप में परमेश्वर एक मनुष्य कैसे बना यह एक रहस्य है, और फिर भी एक बार जब यह सत्य समझ लिया जाता है, तो यह बाकी सब बातों का अर्थ समझ में आने लगता है। परमेश्वर मनुष्य बन गए। शाश्वत पुत्र ने देहधारण किया। जो सदैव पिता के पास रहा है, वह परमेश्वर और मनुष्य को एक साथ लाने के लिए दाऊद का पुत्र बन गया।
परमेश्वर की संतान
जब आप परमेश्वर के पुत्र यीशु में विश्वास करने के लिए आतें हैं, तो पिता आपको अपने परिवार में ग्रहण करते है: “जितनों ने उसे ग्रहण किया, उसने उन्हें परमेश्वर की सन्तान होने का अधिकार दिया” (यूहन्ना 1:12)।
यदि आप आत्म-मूल्य और महत्व के साथ संघर्ष कर रहे हैं, तो मसीह कौन है और वह अपने लोगों के लिए क्या करता है, इसकी सच्चाई को आपके अस्तित्व के मूल में समाने दें। यीशु परमेश्वर का पुत्र है। विश्वास आपको यीशु से जोड़ता है, और उनके द्वारा आपको परमेश्वर के परिवार में अपनाया जाता है। आपका शरीर अब पवित्र आत्मा का एक मंदिर है, जो आप में रहता है। आप परमेश्वर के पुत्र या पुत्री हैं, और आपकी नियति सदैव उनका आनन्द लेना है। इस बात को अपने सबसे सामान्य दिन में या अपने सबसे अंधकार भरे समय में याद रखें। उस सम्मान को देखें जो परमेश्वर ने आपको दिया है और इसे आपको ऊपर उठाने दो।
परमेश्वर के लोग भविष्य के बारे में आश्वस्त हो सकते हैं क्योंकि यीशु मसीह सिंहासन पर है। उन्हीं के द्वारा हमारा पिता परमेश्वर के साथ दोबारा मिलन हुआ है और हम उनके परिवार के सदस्य बनते | हैं। मसीह के बहुत से शत्रु हैं, परन्तु वे सब उसके पैरों तले रखे जाएँगे (भजन संहिता 110:1)। और | परमेश्वर के लोगों की नियति उनके शासनकाल और शासन की आशीष का सदा आनंद लेना है।
सी. ऐस. लुईस, द स्क्रूटेप लेटर्स (न्यूयॉर्क: मैकमिलन, 1942), 73।
परमेश्वर के वचन के साथ आगे जुड़ने के लिए इन सवालों का इस्तेमाल कीजिए। उन्हें किसी अन्य व्यक्ति के साथ चर्चा करें या उन्हें व्यक्तिगत प्रतिबिंब प्रश्नों के रूप में उपयोग करें।
1. क्या आप कभी ऐसी स्थिति में रहे हैं जहाँ आप परमेश्वर के लिए कुछ अच्छा करना चाहते थे, लेकिन फिर ऐसा लगा जैसे परमेश्वर ने दरवाजा बंद कर दिया हो? क्या हुआ?
2. जब परमेश्वर ने आपकी अच्छी योजनाओं के लिए दरवाजा बंद किया, तो इस घटना ने आपको अपने बारे में क्या दिखाया (विशेष रूप से आपकी विनम्रता )?
3. दाऊद से परमेश्वर की प्रतिज्ञा कैसे पूरी हुयी ? हम इससे क्या सीखते हैं कि परमेश्वर अपनी प्रतिज्ञाओं को कैसे पूरा करते हैं?
4. दाऊद से परमेश्वर की प्रतिज्ञा एक घर / मन्दिर, एक सिंहासन और एक पुत्र के विषय में था । परमेश्वर ने इन प्रतिज्ञाओं को पूरा करने के तीन तरीकों में से कौन सा आपके लिए सबसे अधिक आश्चर्यजनक है? क्यों?
5. आपको क्या लगता है कि आपके लिए यह आश्वस्त होने का क्या मतलब होगा कि आप परमेश्वर की संतान हैं?