यशायाह 55: 1- 13
1 “अहो सब प्यासे लोगों, पानी के पास आओ; और जिनके पास रुपया न हो, तुम भी आकर मोल लो और खाओ! दाखमधु और दूध बिन रुपये और बिना दाम ही आकर ले लो*। (यूह. 7:37, प्रका. 21:6, प्रका. 22:17)
2 जो भोजनवस्तु नहीं है, उसके लिये तुम क्यों रुपया लगाते हो, और जिससे पेट नहीं भरता उसके लिये क्यों परिश्रम करते हो? मेरी ओर मन लगाकर सुनो, तब उत्तम वस्तुएँ खाने पाओगे और चिकनी-चिकनी वस्तुएँ खाकर सन्तुष्ट हो जाओगे।
3 कान लगाओ, और मेरे पास आओ; सुनो, तब तुम जीवित रहोगे; और मैं तुम्हारे साथ सदा की वाचा बाँधूँगा, अर्थात् दाऊद पर की अटल करुणा की वाचा। (भज. 89:28, नीति. 4:20, प्रेरि. 13:34)
4 सुनो, मैंने उसको राज्य-राज्य के लोगों के लिये साक्षी और प्रधान और आज्ञा देनेवाला ठहराया है। (इब्रा. 2:10, इब्रा. 5:9, प्रका. 1:5)
5 सुन, तू ऐसी जाति को जिसे तू नहीं जानता बुलाएगा, और ऐसी जातियाँ जो तुझे नहीं जानती तेरे पास दौड़ी आएँगी, वे तेरे परमेश्वर यहोवा और इस्राएल के पवित्र के निमित्त यह करेंगी, क्योंकि उसने तुझे शोभायमान किया है।
6 “जब तक यहोवा मिल सकता है तब तक उसकी खोज में रहो, जब तक वह निकट है* तब तक उसे पुकारो; (प्रेरि. 17:27)
7दुष्ट अपनी चालचलन और अनर्थकारी अपने सोच-विचार छोड़कर यहोवा ही की ओर फिरे, वह उस पर दया करेगा, वह हमारे परमेश्वर की ओर फिरे और वह पूरी रीति से उसको क्षमा करेगा।
8 क्योंकि यहोवा कहता है, मेरे विचार और तुम्हारे विचार एक समान नहीं है, न तुम्हारी गति और मेरी गति एक सी है। (रोम. 11:33)
9 क्योंकि मेरी और तुम्हारी गति में और मेरे और तुम्हारे सोच विचारों में, आकाश और पृथ्वी का अन्तर है।
10 “जिस प्रकार से वर्षा और हिम आकाश से गिरते हैं और वहाँ ऐसे ही लौट नहीं जाते, वरन् भूमि पर पड़कर उपज उपजाते हैं जिससे बोलनेवाले को बीज और खानेवाले को रोटी मिलती है, (2 कुरि. 9:10)
11 उसी प्रकार से मेरा वचन भी होगा जो मेरे मुख से निकलता है; वह व्यर्थ ठहरकर मेरे पास न लौटेगा, परन्तु, जो मेरी इच्छा है उसे वह पूरा करेगा*, और जिस काम के लिये मैंने उसको भेजा है उसे वह सफल करेगा।
12 “क्योंकि तुम आनन्द के साथ निकलोगे, और शान्ति के साथ पहुँचाए जाओगे; तुम्हारे आगे-आगे पहाड़ और पहाड़ियाँ गला खोलकर जयजयकार करेंगी, और मैदान के सब वृक्ष आनन्द के मारे ताली बजाएँगे।
13 तब भटकटैयों के बदले सनोवर उगेंगे; और बिच्छू पेड़ों के बदले मेंहदी उगेगी; और इससे यहोवा का नाम होगा, जो सदा का चिन्ह होगा और कभी न मिटेगा।”
मुक्ति एक मुफ्त वरदान है, परन्तु यीशु हमें “आकर मोल लो” के लिए आमंत्रित करते हैं (यशायाह 55: 1 )। उन्होंने शब्द “मोल लो” का उपयोग इसलिए किया है क्योंकि यहाँ एक निश्चित लेन-देन होता है जिसमें आप वो लेते हैं जो मसीह प्रदान करते हैं। भले ही आप इसके लिए भुगतान नहीं करते हैं, फिर भी आपको इसे ग्रहण करना चाहिए। और जब तक यह लेन-देन नहीं होता, तब तक वह चीज जो मसीह आपको प्रदान करते हैं, मानो बाजार में वैसे ही पड़ी रहती है।
उत्तरी लंदन के जिस शहर में एक पादरी अपनी पत्नी के साथ रहते थे, वहाँ बाजार का दिन हर गुरुवार और शनिवार को होता था। कर्मचारी सुबह लगभग छह बजे पहुंचते थे और ठेलो के लिए मचान और छतरियाँ स्थापित करते थे।
वहाँ फलों और सब्जियों के ठेले, सामान रखने की दराज और कपड़ों के ठेले थे, और एक आदमी था जो अजीब से वैक्यूम क्लीनर के हिस्से बेचने के अलावा कुछ नहीं करता था। वह स्थान हमेशा मोल-भाव की तलाश में लोगों से भरा रहता था।
परमेश्वर हमें अपने अविश्वसनीय प्रस्ताव को समझाने के लिए एक मंडी की तस्वीर का उपयोग करते हैं: “अहो सब प्यासे लोगो, पानी के पास आओ और जिनके पास रुपया न हो, तुम भी आकर मोल लो और खाओ! दाखमधु और दूध बिन रुपए और बिना दाम ही आकर ले लो।” (यशायाह 55:1 ) ।
सदियों बाद, यीशु ने इन शब्दों को अपनाया और उन्हें अपने ऊपर लागू किया। “यदि कोई प्यासा हो,” उसने कहा, “तो मेरे पास आए और पीए” (यूहन्ना 7:37 ) । यहाँ सड़क का व्यापारी परमेश्वर का पुत्र है, और वह आपकी आत्मा के भीतर की गहरी प्यास को संतुष्ट करने का प्रस्ताव करते हैं।
यीशु का निमंत्रण बाहर जाता है, परन्तु हर कोई जो इसे सुनता है वह प्रतिक्रिया नहीं देता है। इसका एक कारण यह है कि मंडी में कुछ लोग अन्य ठेलो पर पहले से ही व्यस्त हैं। वे निमंत्रण के श्रवण सीमा के भीतर है, परन्तु उन्हें यह आवाज सुनाई नहीं देती है क्योंकि यह अन्य आवाजों और अन्य रुचियों के कारण दब जाती है।
आज की मंडी में, कई लोग खेल के ठेले पर पहले से ही व्यस्त हैं। अन्य लोग यह तलाश कर रहे हैं कि विवाह के ठेले मे उन्हें क्या संतुष्ट करेगा। दूसरे लोग पेशा, यात्रा या मनोरंजन के ठेले में खोजबीन कर रहे हैं।
ये ठेल अच्छी चीजें प्रदान करते हैं, परन्तु मसीह हमसे कहते हैं, “यहाँ आओ, मेरे पास देने के लिए कुछ ऐसा है जो तुम्हे कहीं और नहीं मिलेगा।” वे पूछते हैं, “जो भोजन वस्तु नहीं है, उसके लिये तुम क्यों रुपया लगाते हो, और जिस से पेट नहीं भरता उसके लिए क्यों परिश्रम करते हो” (यशायाह 55:2) |
परमेश्वर के पुत्र बहुत मूल्यवान चीज़ प्रदान करते हैं। वें पुकारते हैं, “कान लगाओ, और मेरे पास आओ; सुनो, तब तुम जीवित रहोगे” ( 55:3)। यह एक शानदार प्रस्ताव प्रतीत होता है। चलिए जाकर यह जानते हैं कि इसकी लागत क्या है।
मूल्य सही है।
बेचना आम तौर पर व्यापारी का ग्राहक से बहस करके अपने मूल्य तक ले जाने के बारे में होता है, परन्तु यहाँ यीशु कीमत कम करने पर बहस कर रहे हैं: “अहो, मोल लो… बिना पैसे और बिना मूल्य के” ( 55:1)। यह उल्टी नीलामी की तरह है जहाँ सब कुछ उलट दिया जाता है, क्योंकि मसीह ने सबसे कम बोली लगाने वाले को बेचने का चुनाव किया है।
तो अपनी कल्पना में मेरे साथ इस नीलामी में आइए! यीशु ठेले के पास खड़े हैं, और वे कहते हैं, मैं ख़ुशी से परमेश्वर के साथ पूर्ण क्षमा और मेल-मिलाप प्रदान करता हूँ। इस प्रस्ताव में अनन्त जीवन का अंतिम मूल्य शामिल है, और यह आज सबसे कम बोली लगाने वाले के लिए उपलब्ध है।”
धारी वाला सूट पहने एक व्यक्ति पहली बोली के लिए आगे बढ़ता है। “मैंने एक अच्छा जीवन जीया है और ईमानदारी से व्यापार चलाया है।” उसने कहा, “मैं अपनी पत्नी के प्रति वफादार रहा हूँ और अपने बच्चों के लिए एक अच्छा पिता रहा हूँ। मैंने तीन धर्मार्थ मंडलियों में सेवा की है। मैं इन अच्छे कार्यों को प्रदान करना चाहूँगा ।
बाकी बोलीदाताओं के बीच में बड़बड़ाना शुरू हो जाता है। यह बहुत प्रभावशाली प्रस्ताव है। नीलामीकर्ता कहता है, “यह प्रस्ताव धरी वाला सूट पहने व्यक्ति के पास है।” “क्या कोई मुझे इससे कम बोली लगा सकता है?”
तभी नीली साड़ी में एक महिला अपना हाथ उठाती है। “मैंने धारी वाला सूट पहने व्यक्ति जितना काम नहीं किया है। वह कहती है, “परन्तु मैंने ईमानदारी से गिरजाघर में भाग लिया है, और मुझे लगता है कि मैं एक आध्यात्मिक व्यक्ति बन गई हूं।”
“यह प्रस्ताव नीली साड़ी वाली महिला के पास है।” विक्रेता कहता है, “क्या किसी के पास इससे कम बोली है?”
नीली सलवार-कमीज पहने एक लड़की अपना हाथ उठाती है। “मैं नीली साड़ी वाली महिला की तरह गिरजाघर नहीं गई, परन्तु मैंने एक अच्छा जीवन जीने की कोशिश की है।”
“ठीक है,” नीलामीकर्ता कहता है, “यह बहुत अधिक नहीं है, परन्तु यह प्रस्ताव सबसे कम बोली लगाने वाले के पास जा रहा है, इसलिए यह आपके पास है। क्या मैं कोई अन्य बोली सुन रहा हूँ?”
लाल स्वेटर पहने एक व्यक्ति जिसका चेहरा भी लाल हो गया था धीरे-धीरे उठता है। “मैं अपनी उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा हूँ।” वह कहता हैं, “मैंने लोगों को निराश किया है, और मैंने कुछ भयानक काम किए हैं, परन्तु कम से कम मुझे खेद है। मैंने जो किया वह करने का मेरा कोई इरादा नहीं था, इसलिए मुझे यह तथ्य पेश करने दीजिए कि मैं वास्तव में पश्चाताप कर रहा हूं”।
“ठीक है, “नीलामीकर्ता कहता है, “यह वास्तव में बहुत अधिक नहीं है। परन्तु यह प्रस्ताव सबसे कम बोली लगाने वाले के पास जा रहा है, इसलिए यह अभी आपकी अल्प बोली के पास है। क्या कोई मुझे इससे कम कीमत का प्रस्ताव देगा?”
यह अहंकार की लड़ाई नहीं है, यह शर्मिंदगी की लड़ाई है। कई लोगों ने बोली लगाने से इनकार कर दिया है, इसलिए नहीं कि लागत बहुत अधिक है, बल्कि इसलिए कि प्रस्ताव शर्मनाक रूप से कम हैं। ज्यादातर लोग तो सिर्फ यह देखना चाहते हैं कि क्या कोई लाल स्वेटर वाले आदमी से कम बोली लगाने की हिम्मत करेगा। कोई परमेश्वर को इतना कम कैसे अर्पित कर सकता है?
अंततः कोई आगे बढ़ता है और कहता है, “मेरे पास देने के लिए कुछ भी नहीं है। मेरा पश्चाताप वैसा नहीं है जैसा उसे होना चाहिए; मेरा विश्वास वैसा नहीं है जैसा उसे होना चाहिए, मेरे कार्य वैसे नहीं हैं जैसे उन्हें होने चाहिए। कुछ भी वैसा नहीं है जैसा उसे होना चाहिए! मेरे पास देने के लिए कुछ भी नहीं है।” और नीलामीकर्ता अपना हथौड़ा नीचे लाता है। “यह प्रस्ताव तुम्हारा हुआ” कहता है। “यह तुम्हारा हुआ।”
हम क्या लाते हैं?
शायद आप कह रहे हों, “ठीक है, परन्तु क्या हमें परमेश्वर के लिए कुछ नहीं लाना चाहिए ?” क्या हमें खेदित नहीं होना चाहिए? क्या हमें विश्वास नहीं करना चाहिए?”
हाँ। परन्तु हमें इसलिए उद्धार प्राप्त नहीं होता क्योंकि हम ये चीजें प्रदान करते हैं। उद्धार एक वरदान है। इसी क्षण पर आके बहुत सारे लोग भ्रमित हो जाते हैं। वे उद्धार को एक सौदे के रूप में सोचते हैं जिसमें परमेश्वर हमारे पश्चाताप और विश्वास के बदले में क्षमा और जीवन प्रदान करते हैं। परन्तु यह सुसमाचार नहीं है।
यदि परमेश्वर आपसे आखिरी दिन पूछे कि उन्हें आपको स्वर्ग में दाखिल क्यों करना चाहिए, तो जवाब अच्छे कर्म, पश्चाताप या यहाँ तक कि विश्वास भी नहीं है। हमारा उद्धार हमारे द्वारा किए गए किसी भी काम पर निर्भर नहीं है। यह अकेले यीशु मसीह पर निर्भर है।
यदि आप अपने पश्चाताप या अपने विश्वास पर भरोसा कर रहे हैं, तो आपको कभी पुष्टि नहीं मिलेगी, क्योंकि आपका विश्वास हमेशा और अधिक मजबूत हो सकता है और आपका पश्चाताप कभी पूरा नहीं पड़ सकता। आपका उद्धार पूरी तरह से यीशु मसीह पर निर्भर करता है, और जो कुछ भी उन्होंने आपके लिए किया है। विश्वास बस वो खुला हाथ है जो वह ग्रहण करता है जो परमेश्वर प्रदान करते हैं, और पश्चाताप उस हृदय की प्रक्रिया है जिसे पहले से ही ग्रहण कर लिया गया है।
सबसे कम बोली का प्रस्ताव
यदि आपको परमेश्वर से प्रेम करना कठिन लगता है, तो क्या यह संभव है कि आपने अभी तक वह प्राप्त नहीं किया है जो मसीह प्रदान करते हैं? शायद आप एक नैतिक संहिता का पालन कर रहे हैं और उसे परमेश्वर को अर्पित कर रहे हैं। आपके हाथ भरे हुए हैं और आप कभी भी मसीह के पास ग्रहण करने नहीं आए जो वह प्रदान करते हैं।
परमेश्वर ने इसे इसलिए बनाया है ताकि हममें से हर कोई सबसे कम बोली लगा सके। केवल अहंकार ही आपके रास्ते में खड़ा है। धारी सूट वाले पुरुष और नीली साड़ी वाली महिला को भी यह आशीष मिल सकती है, परन्तु उन्हें इसे खरीदने की कोशिश बंद करनी पड़ेगी। उन्हें अपने कार्यों को छोड़कर मसीह के पास खाली हाथ आना होगा।
हमें यह क्यों इतना कठिन लगता है इसका एक कारण यह है कि हमें कर्ज पसंद नहीं है। यह बात पादरी तब समझ में आई जब एक मित्र ने उनके घर की एक समस्या को ठीक करने का प्रस्ताव दिया। उसने इस पर कुछ घंटे काम किया, और वे आभारी थे। उन्होंने उसकी जेब में कुछ पैसे डालने की कोशिश की, परन्तु उसने नहीं लिया।
वे उसे पैसे देना क्यों चाहते थे? क्योंकि वे उसका कर्जदार नहीं बनना चाहता थे। यदि उन्हें कुछ मदद मिल जाये और उसे कुछ पैसे मिल जाये, तो वे दोनों सौदे में बराबरी पर होते। और हमारे दिल की गहराई में भी कहीं न कहीं जब परमेश्वर की बात आती है तो हम अक्सर यही सोचते हैं: “वें मुझे वह चीज प्रदान करते हैं जिसकी मुझे जरूरत है। हमें भी उनको कुछ ऐसा देना चाहिए जो वें बदले में चाहते हो”। इससे मुझे कुछ विश्वसनीयता, कुछ आत्म-सम्मान मिलता है। और मसीह कहते हैं, “उस बुनियाद पर, कोई सौदा नहीं ।”
हमें जो क्रिस्त द्वारा प्रस्तावित किया जाता है, उसे प्राप्त करने का एकमात्र आधार उस खाली हाथ में है जो उससे प्राप्ति करता है और यह हमें हमारे शेष जीवन और अनंत काल के लिए उसके ऋण में बेहिसाब छोड़ देता है।
खरीदारी करना
कुछ लोग दुकानों में “सिर्फ देखने” का आनंद लेते हैं, और इसमें कोई भी बुराई नहीं है। आध्यात्मिक रूप से कुछ लोग इसी स्थान पर हैं । वे मसीह के ठेले पर आ गए हैं और बाइबल और उद्धार के बारे में प्रश्न पूछने लगे हैं। देखना बढ़िया है, परन्तु देखना खरीदना नहीं होता है। आपके जीवन की सबसे बड़ी प्रतिबद्धता सबसे गहरी जांच के योग्य है, इसलिए मसीह के दावों को ध्यान से देखें । परन्तु देखने को खरीदारी के साथ भ्रमित न करें। यदि मसीह जो प्रदान करते हैं वह आपका हो जाता है, तो आपको सौदा बंद करना होगा।
और पहन कर देखना खरीदना नहीं है। आप किसी दुकान में सोमवार से शुक्रवार, सुबह नौ बजे से शाम पांच बजे तक कपड़े पहन कर देख रहे होंगे पर कभी खरीदें नहीं होंगे । और आप गिरजाघर आ सकते हैं, बाइबल पढ़ सकते हैं, अपनी प्रार्थनाएँ बोल सकते हैं, और फिर भी मसीह के साथ सौदा कभी पूरा नहीं कर सकते। आप महसूस कर सकते हैं कि आपको खरीदना चाहिए, परन्तु फिर भी कभी नहीं खरीदते।
और जानना खरीदना नहीं है। पिछली बार जब पादरी वाशिंग मशीन देख रहे थे, तो उन्हें एक मददगार बिक्री सहायक मिला जो एक विश्वकोश की तरह था । “यह वाला,” उसने नासिका स्वर में कहा, “तेईस मिनट की उत्तेजना के साथ घूमता है; और इसमें खोलने वाला उपकरण है, लेकिन इसमें स्वचालित तापमान गेज नहीं है। “
उन्होंने उससे बात करना शुरू किया, और अंततः उसने उन्हें बताया कि उसके पास वॉशिंग मशीन नहीं है क्योंकि वह अकेला रहता था और महीने में एक बार कपड़े धोने जाता था। वह उस सामान के बारे में सब कुछ जानता था परन्तु उसने स्वयं कभी वह सामान नहीं खरीदा था। और भी बदतर बात यह हुई, कि उन्होंने भी वॉशिंग मशीन नहीं खरीदी !
हो सकता है कि आप आध्यात्मिक रूप से वहीं हों। आपने यीशु के बारे में बहुत सी बातें सीखी हैं, परन्तु वह जो प्रदान करते हैं वह अभी तक आपका नहीं बन पाया है। जानना खरीदने के बराबर नहीं है।
आपके पास खोज करने का एक समय होता है, परन्तु अगर आप खरीदने जा रहे हैं, तो एक क्षण आना चाहिए जहाँ आप एक निर्णय लेते हैं और सौदे को पूरा करते हैं। और जब आप खरीदते हैं, तो वह चीज जो मसीह प्रदान करते हैं, आपकी हो जाती है।
यीशु मसीह आपकी आत्मा की सबसे गहरी प्यास को पूरा करने की पेशकश करते हैं। वे आपको परमेश्वर के साथ एक संबंध में लाने की पेशकश करते हैं जिसमें आपके पाप क्षमा कर दिए जाते हैं और आप उनकी इच्छा के अनुरूप जीने की शक्ति का अनुभव करना शुरू करते हैं। यह जीवन मृत्यु के बाद भी अनंत काल तक जारी रहेगा।
आप यह वरदान खरीद नहीं सकते, परन्तु आप इसे प्राप्त कर सकते हैं। इसे प्राप्त करने के लिए, आपको यह ध्यान में रखना होगा कि आपके पास ऐसी कोई चीज नहीं है जो आप परमेश्वर को बदले में प्रस्तुत कर सकें। आपको उनसे वह मांगना चाहिए जो आपके पास नहीं है। विश्वास उन खुले हुए हाथों की तरह है जो वह गृहण करता है जो मसीह प्रदान करते हैं, और वे उन सभी को देने के लिए तैयार हैं जो ग्रहण करने के इच्छुक हैं।
परमेश्वर के वचन के साथ आगे जुड़ने के लिए इन प्रश्नों का उपयोग करें। उन पर किसी अन्य व्यक्ति के साथ चर्चा करें या उन्हें व्यक्तिगत प्रतिबिंब प्रश्नों के रूप में उपयोग करें।
1- हर कोई यीशु के निमंत्रण का जवाब क्यों नहीं देता है ?
2- क्या आप अच्छा महसूस करेंगे अगर यीशु ने क्षमा, सुलह और अनंत जीवन को सबसे ज्यादा बोली देने वाले या सबसे कम बोली देने वाले को प्रदान किया होता? क्यों?
3- यदि परमेश्वर आपसे अंतिम दिन पूछे, “मुझे क्यों स्वर्ग में आपको प्रवेश देना चाहिए?” तो आप क्या कहेंगे?
4- क्या, ऐसा कुछ हो जो आपको अपने कार्यों को एक तरफ रखकर खाली हाथ मसीह के पास आने में बढ़ा डालता हो ?
5- आप यीशु के साथ खरीदारी की प्रक्रिया में कहाँ हैं? क्या आप बस देख रहे हैं? क्या आप उन्हें अपनाने प्रयास कर रहे हैं? क्या आप और अधिक सीख रहे हैं? क्या आपने सौदा पूरा कर लिया है?