यहेजकेल 34: 1-16
1 यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुँचा :
2 “हे मनुष्य के सन्तान, इस्राएल के चरवाहों के विरुद्ध भविष्यद्वाणी करके उन चरवाहों से कह, परमेश्वर यहोवा यह कहता है: हाय इस्राएल के चरवाहों पर जो अपने-अपने पेट भरते हैं! क्या चरवाहों को भेड़-बकरियों का पेट न भरना चाहिए?
3 तुम लोग चर्बी खाते, ऊन पहनते और मोटे-मोटे पशुओं को काटते हो; परन्तु भेड़-बकरियों को तुम नहीं चराते। (जक. 11:16)
4 तुमने बीमारों को बलवान न किया, न रोगियों को चंगा किया, न घायलों के घावों को बाँधा, न निकाली हुई को लौटा लाए, न खोई हुई को खोजा, परन्तु तुमने बल और जबरदस्ती से अधिकार चलाया है।
5 वे चरवाहे के न होने के कारण तितर-बितर हुई; और सब वन-पशुओं का आहार हो गई।
6 मेरी भेड़-बकरियाँ तितर-बितर हुई है; वे सारे पहाड़ों और ऊँचे-ऊँचे टीलों पर भटकती थीं; मेरी भेड़-बकरियाँ सारी पृथ्वी के ऊपर तितर-बितर हुई; और न तो कोई उनकी सुधि लेता था, न कोई उनको ढूँढ़ता था। (यहे. 34:8)
7 “इस कारण, हे चरवाहों, यहोवा का वचन सुनो :
8 परमेश्वर यहोवा की यह वाणी है, मेरे जीवन की सौगन्ध, मेरी भेड़-बकरियाँ जो लुट गई, और मेरी भेड़-बकरियाँ जो चरवाहे के न होने के कारण सब वन-पशुओं का आहार हो गई; और इसलिए कि मेरे चरवाहों ने मेरी भेड़-बकरियों की सुधि नहीं ली, और मेरी भेड़-बकरियों का पेट नहीं, अपना ही अपना पेट भरा;
9 इस कारण हे चरवाहों, यहोवा का वचन सुनो,
10 परमेश्वर यहोवा यह कहता है : देखो, मैं चरवाहों के विरुद्ध हूँ; और मैं उनसे अपनी भेड़-बकरियों का लेखा लूँगा, और उनको फिर उन्हें चराने न दूँगा; वे फिर अपना-अपना पेट भरने न पाएँगे। मैं अपनी भेड़-बकरियाँ उनके मुँह से छुड़ाऊँगा कि आगे को वे उनका आहार न हों।
11 “क्योंकि परमेश्वर यहोवा यह कहता है, देखो, मैं आप ही अपनी भेड़-बकरियों की सुधि लूंगा*, और उन्हें ढूँढ़ूगा। (लूका 19:10)
12 जैसे चरवाहा अपनी भेड़-बकरियों में से भटकी हुई को फिर से अपने झुण्ड में बटोरता है, वैसे ही मैं भी अपनी भेड़-बकरियों को बटोरूँगा; मैं उन्हें उन सब स्थानों से निकाल ले आऊँगा, जहाँ-जहाँ वे बादल और घोर अंधकार के दिन तितर-बितर हो गई हों।
13 मैं उन्हें देश-देश के लोगों में से निकालूँगा, और देश-देश से इकट्ठा करूँगा, और उन्हीं के निज भूमि में ले आऊँगा; और इस्राएल के पहाड़ों पर और नालों में और उस देश के सब बसे हुए स्थानों में चराऊँगा।
14 मैं उन्हें अच्छी चराई में चराऊँगा, और इस्राएल के ऊँचे-ऊँचे पहाड़ों पर उनको चराई मिलेगी; वहाँ वे अच्छी हरियाली में बैठा करेंगी, और इस्राएल के पहाड़ों पर उत्तम से उत्तम चराई चरेंगी।
15 मैं आप ही अपनी भेड़-बकरियों का चरवाहा हूँगा, और मैं आप ही उन्हें बैठाऊँगा, परमेश्वर यहोवा की यही वाणी है। (भज. 23:1-2)
16 मैं खोई हुई को ढूँढ़ूगा, और निकाली हुई को लौटा लाऊँगा, और घायल के घाव बाँधूँगा, और बीमार को बलवान करूँगा, और जो मोटी और बलवन्त हैं उन्हें मैं नाश करूँगा; मैं उनकी चरवाही न्याय से करूँगा। (लूका 15:4, लूका 19:10)
प्रत्येक परिवार, स्कूल, व्यवसाय, गिरजाघर और राष्ट्र का अनुभव काफी हद तक उसके नेतृत्व की गुणवत्ता पर निर्भर करेगा। यदि आपने खराब नेतृत्व का प्रभाव सहा है, तो यह पाठ आपके लिए है। यह पाठ वर्णन करता है कि किस प्रकार परमेश्वर के लोग अपमानजनक नेतृत्व के अधीन पड़े रहे और कैसे परमेश्वर ने स्वयं हस्तक्षेप किया। यदि जीवन के किसी भी क्षेत्र में आपको नेतृत्व का विशेषाधिकार सौंपा गया है, तो यह पाठ दिखाएगा कि परमेश्वर को आपसे क्या चाहिए और आप अपनी बुलाहट को कैसे पूरा कर सकते हैं।
पुराने नियम में तीन अलग-अलग नेतृत्व की भूमिकाएँ हैं: भविष्यवक्ता, पुरोहित और राजा । भविष्यवक्ताओं ने परमेश्वर की उपस्थिति में खड़े होकर परमेश्वर का वचन सुना ताकि वे लोगों को वह वचन सुना सकें। भविष्यवक्ताओं ने सत्य के क्षेत्र में नेतृत्व दिया।
पुरोहितों की सेवकाई प्रार्थना-आराधना संबंधित थी। उन्होंने मंदिर में प्रार्थनाएँ और बलिदान चढ़ाए, और वे पादरी द्वारा देखभाल और परामर्श की सेवकाई के माध्यम से लोगों को परमेश्वर की उपस्थिति में लाते थे।
राजाओं ने युद्ध में लोगों का नेतृत्व किया और दुश्मनों से उनकी रक्षा की। वे लोगों को सही रास्ते पर ले जाने के लिए भी जिम्मेदार थे ताकि वे परमेश्वर की आशीष का आनंद लेते रहें।
ये तीन सेवकाई, एक साथ मिलकर, हमें परमेश्वर की नेतृत्व के लिए योजना दिखती हैं। भविष्यवक्ता को लोगों को सत्य की ओर ले जाना था, पुरोहित को लोगों को परमेश्वर के पास लाना था, और राजा को लोगों को धार्मिकता की और मार्गदर्शन कराना था। भविष्यवक्ता की सेवकाई खुलासा करने के बारे में थी, पुरोहित की सेवकाई मेल-मिलाप के बारे में थी, और राजा की सेवकाई शासन करने के बारे में थी।
चरवाहा अगुआ
एक चरवाहे की छवि भविष्यवक्ता, पुरोहित और राजा की भूमिकाओं को एक सुंदर चित्र में एक साथ लाती है जो बाइबिल नेतृत्व के सभी तीन पैमानों को समाहित करती है।
चरवाहा भेड़ों को खाना खिलाता है— परमेश्वर के लोगों को परमेश्वर के वचन के स्वस्थ आहार पर बनाए रखता है। चरवाहा भेड़ को ढूँढ़ता है— खोई हुई भेड़ों को ढूँढ़ता है और उन्हें वापस लाता है। चरवाहा भेड़ों की अगुवाई करता है — भेड़-बकरियों को दिशा और सुरक्षा प्रदान करता है। इसलिए जब परमेश्वर चरवाहों के बारे में बात करते हैं, तो वह उन सभी चीजों के बारे में बात कर रहे होते हैं जो उनके लोगों का नेतृत्व करने में शामिल हैं।
अधिकांश व्यवसायों में कर्मचारियों ने अपने कर्तव्यों का पालन कैसे किया है, इसकी वार्षिक समीक्षा या मूल्यांकन करने की प्रणाली होती है। परमेश्वर ने इस्राएल के चरवाहों को बड़ी ज़िम्मेदारी सौंपी थी, और यहेजकेल 34 में वह उनके प्रदर्शन का मूल्यांकन देते हैं। यह अच्छी समीक्षा नहीं थी: ‘हे मनुष्य के सन्तान, इस्राएल के चरवाहों के विरुद्ध भविष्यवाणी करके उन चरवाहों से कह, परमेश्वर यहोवा यों कहता है: हाय इस्राएल के चरवाहों पर जो अपने अपने पेट भरते हैं! क्या चरवाहों को भेड़-बकरियों का पेट न भरना चाहिए?” (यहेजकेल 34:2)
परमेश्वर ने अपने लोगों के अगुवों के विरुद्ध तीन आरोप लगाए: उन्होंने अपनी शक्ति का दुरुपयोग किया, उन्होंने सच्चाई को तोड़-मरोड़ कर पेश किया, और उन्होंने परमेश्वर की उपेक्षा की।
वे अगुवे जो अपनी शक्ति का दुरुपयोग करते हैं
परमेश्वर के लोगों को लगातार दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ा। कई राजा दुष्ट थे, और यहाँ तक कि सबसे अच्छे राजा भी लोगों पर भारी बोझ डालते थे। परमेश्वर ने उन्हें अपने भेड़-बकरियों की देखभाल करने में पूर्ण विफलता के लिए दोषी ठहराया: “तुम ने बीमारों को बलवान न किया, न रोगियों को चंगा किया, न घायलों के घावों को बाँधा न निकाली हुई को लौटा लाए, न खोई हुई को खोजा, परन्तु तुम ने बल और जबरदस्ती से अधिकार चलाया है” (34:4)।
वे अगुवे जो परमेश्वर की सच्चाई को तोड़-मरोड़ कर पेश करते हैं।
परमेश्वर ने उन लोगों को भी दोषी ठहराया जो भविष्यवक्ता होने का दावा करते थे परन्तु परमेश्वर के वचन को अपनी राय से बदल देते थे: “हे मनुष्य के सन्तान, इस्राएल के जो भविष्यवक्ता अपने ही मन से भविष्यवाणी करते हैं, उनके विरुद्ध भविष्यवाणी करके तू कह, ‘यहोवा का वचन सुनो!’ प्रभु यहोवा यों कहता है: हाय, उन मूढ़ भविष्यद्वक्ताओं पर जो अपनी ही आत्मा के पीछे भटक जाते हैं, और कुछ दर्शन नहीं पाया !” ( 13:2-3)।
इन अगुवों ने यह जानने के लिए संस्कृति का अध्ययन किया कि लोग क्या सुनना चाहते हैं। फिर उन्होंने समय की जरूरतों के अनुरूप अपने संदेश को आकार दिया। यहेजकेल के समय में, इन भविष्यवक्ताओं ने “शांति” कहकर परमेश्वर के लोगों को गुमराह किया, जबकि परमेश्वर ने कहा था कि कोई शांति नहीं होगी ( 13:10)। परमेश्वर ने जो कहा उससे उन्हें कोई सरोकार नहीं था । उनकी सेवकाई सत्य से नहीं बल्कि मांग से प्रेरित थी।
वे अगुवे जो प्रभु की उपेक्षा करते हैं
पुरोहितों को लोगों को परमेश्वर के पास लाने की सेवकाई दी गयी थी, परन्तु उन्होंने लोगों को परमेश्वर के साथ शांति पाने में मदद करने के बजाय खुद के साथ शांति में रहने में मदद करने पर ध्यान केंद्रित किया। वे प्रार्थना की सेवकाई नहीं कर रहे थे या लोगों को यह नहीं दिखा रहे थे कि परमेश्वर के साथ कैसे मेल-मिलाप किया जाए: “उसके याजकों ने मेरी व्यवस्था का अर्थ खींच-खाँचकर लगाया है, और मेरी पवित्र वस्तुओं को अपवित्र किया है; उन्होंने पवित्र अपवित्र का कुछ भेद नहीं माना, और न औरों को शुद्ध – अशुद्ध का भेद सिखाया है…. जिस से मैं उनके बीच अपवित्र ठहरता हूँ” ( 22:26)।
जब परमेश्वर ने इस्राएल के चरवाहों की ओर देखा, तो उन्होंने शक्ति का भयानक दुरुपयोग देखा, सत्य को जानबूझकर उलटफेर करता हुआ देखा और स्वयं परमेश्वर की उपेक्षा देखी। इस सबका प्रभाव यह हुआ कि परमेश्वर की भेड़-बकरियां कुपोषित हो गयी, भेड़-बकरियों की देखभाल नहीं की गई, और उनकी सुरक्षा नहीं की गई।
एक नये चरवाहे का समय
परमेश्वर ने अपने लोगों के बीच की स्थिति को असहनीय पाया, इसलिए उन्होंने हस्तक्षेप करने का निश्चय किया: “मैं आप ही अपनी भेड़-बकरियों का चरवाहा हूँगा… परमेश्वर यहोवा की यही वाणी है” (34:15)। परमेश्वर यह कह रहे थे, “मैं अपने लोगों के लिए भविष्यवक्ता, पुरोहित और राजा बनूँगा। मैं स्वयं उनके सामने सच्चाई लाऊंगा।’ मैं अपने लोगों के पास आऊंगा और उनकी देखभाल स्वयं करूंगा। मैं खुद उनकी रक्षा करूंगा और उन्हें सही रास्ते पर ले जाऊंगा।”
परमेश्वर ऐसा कैसे करेंगे? कहानी को अगले छह सौ वर्षों तक आगे बढ़ाएँ, और यीशु मसीह का जन्म दुनिया में होता है। उन्होंने देखा कि परमेश्वर के लोग “उन भेड़ों के समान थे जिनका कोई रखवाला न हो” (मत्ती 9:36) और उन्हें उन पर दया आ गयी। उन्होंने कहा, “अच्छा चरवाहा मैं हूं” (यूहन्ना 10:11)। “जितने मुझ से पहले आए वे सब चोर और डाकू हैं” (10:8)। उन्होंने भेड़ों का शोषण किया, परन्तु यीशु ने भेड़ों के लिए अपना जीवन दे दिया (10:11)। उन्होंने भेड़ों का वध किया, परन्तु यीशु इसलिए आये ताकि भेड़ों को जीवन मिल सके (10:10)।
यीशु एक अच्छे चरवाहा है जो भेड़ों को चराते हैं, भेड़ों की खोज करते हैं और भेड़ों की अगुवाई करते हैं। वे आपको सच्चाई से पोषित करेंगे। जब आप भटक जाएंगे तब वे आपको वापस लाएंगे और आपको पुनर्स्थापित करेंगे (लूका 15:5-6)। वे आपके शत्रुओं से आपकी रक्षा करेंगे, और जब मृत्यु आएगी, तो वे आपको अनन्त जीवन में ले आएंगे: “मेरी भेड़ें… वे कभी नष्ट न होंगी, और कोई उन्हें मेरे हाथ से छीन न लेगा” (यूहन्ना 10:27-28)।
अपमानजनक अगुवाई
यीशु के मन में उन लोगों के प्रति विशेष करुणा है जिन्होंने दुर्व्यवहार करने वाले अगुवों के अधीन कष्ट सहा हो क्योंकि वे स्वयं जानते हैं कि दुर्व्यवहार करने वाले चरवाहों के अधीन कष्ट सहना क्या होता है। जब बड़ी भीड़ यीशु की ओर आकर्षित हुई, तो उस समय के धार्मिक अगुवों ने अपनी भेड़-बकरियों को खोने का खतरा देखा। इसलिए उन्होंने यीशु को गिरफ्तार कर लिया, और अच्छे चरवाहे पर इस्राएल के चरवाहों द्वारा मुकदमा चलाया गया।
जब काइफा के सामने यीशु को ले जाया गया, तो उन पर थूका गया, थप्पड़ मारा गया और उन्हें पीटा गया (मत्ती 26:67)। जब यीशु को हेरोदेस के पास भेजा गया, तो राजा ने उनकी रक्षा के लिए कुछ नहीं किया। जब यीशु को पीलातुस के सामने लाया गया, तो राज्यपाल ने सच्चाई में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई (यूहन्ना 18:38 ) | यीशु के बारे में उनका निर्णय न्याय पर नहीं बल्कि लोगों की मौजूदा मनोदशा पर आधारित था । पिलातूस ने अपने हाथ धोएं और यीशु को क्रूस पर चढ़ाए जाने के लिए सौंप दिया।
आपके उद्धारकर्ता जानते हैं कि उन चरवाहों के अधीन कष्ट सहना कैसा होता है जो सत्ता का दुरुपयोग करते हैं, सत्य को बदल देते हैं, और परमेश्वर से अधिक स्वयं की परवाह करते हैं। यदि आप अपमानजनक अगुवाई से पीड़ित हुए हैं, तो आपके पास एक उद्धारकर्ता है जिसके पास आप आ सकते हैं।
अच्छा चरवाहा
यीशु, अच्छे चरवाहा, कहते हैं, “मैं खोई हुई को ढूँढूँगा, और निकाली हुई को लौटा लाऊँगा, और घायल के घाव बाँधूंगा, और बीमार को बलवान् करूँगा और जो मोटी और बलन्वत हैं उन्हें मैं नष्ट करूँगा; मैं उनकी चरवाही न्याय से करूँगा” (यहेजकेल 34:16)।
खोई हुई का मतलब है कि आप नहीं जानते कि आप कहाँ हैं, और आप वहाँ से वापस आने का रास्ता नहीं ढूंढ पा रहे हैं जहाँ आपको होना चाहिए। यदि आप आज खोया हुआ महसूस करते हैं, तो यीशु आपको ढूँढ़ने और बचाने आये हैं। और यदि आप अपने आप को उन्हें सौंप देंगे, तो वे आपको घर ले आएंगे।
निकाली हुई का मतलब है कि आप अन्य भेड़ों से दूर हो गए हैं। आप अलग-थलग हैं, और क्योंकि आप अकेले हैं, आप असुरक्षित हैं। परन्तु यीशु आपको वापस ला सकते हैं।
घायल होने का मतलब है कि आपके जीवन में कुछ ऐसा हुआ है जिससे आपको वास्तव में पीड़ा हुई है। शायद आप किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा घायल हुए हों जिसने सत्ता का दुरुपयोग किया हो या सच्चाई को तोड़-मरोड़ कर पेश किया हो। यीशु आज आपसे कहते हैं, “मैं तुम्हारे घाव बाँधूंगा।” अब आप कह सकते हैं, “मेरे घाव बहुत गहरे हैं!” परन्तु ऐसा कोई घाव नहीं है जिसे मसीह ठीक नहीं कर सकते।
बीमार का मतलब है कि आपके पास वह करने की शक्ति नहीं है जिसे आपको करने की ज़रूरत है। यदि आप नहीं जानते कि आप इस बीमारी का कैसे सामना करेंगे, तो यीशु आपको शक्ति देने का प्रस्ताव देते हैं।
यह कितनी अद्भुत बात है कि आपके पूर्ण स्वामित्व और देखभाल परमेश्वर के पुत्र के पास है। जब आप कह सकेंगे, “यहोवा मेरा चरवाहा है” तो आप यह भी कह सकेंगे, “मुझे कुछ घटी न होगी” (भजन 23:1)।
परन्तु फिर परमेश्वर कहते हैं, ‘जो मोटी और बलन्वत हैं उन्हें मैं नष्ट करूँगा”। मोटी और बलन्वत वे हैं जो यह समझते हैं कि उन्हें चरवाहे की कोई जरूरत नहीं है। परमेश्वर उन सभी को न्याय दिलाएंगे जो सत्ता का दुरुपयोग करते हैं और उन सभी को जो उसके नियम का विरोध करते हैं।
परमेश्वर की भेड़ों की चरवाही में भविष्यवक्ता, पुरोहित, और राजा के अगुवाई शामिल होती हैं। गिरजाघर में जिन लोगों पर परमेश्वर ने अगुवाई की जिम्मेदारी के लिए विश्वास दिखाया है, उन्हें अपने पद का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए। अपनी राय सिखाना, परमेश्वर के लोगों की आध्यात्मिक ज़रूरतों की उपेक्षा करना, या उन पर अनावश्यक बोझ डालना विशेषाधिकार का दुरुपयोग है।
परमेश्वर के वचन के साथ और जुड़ने के लिए इन प्रश्नों का उपयोग करें। उन पर किसी अन्य व्यक्ति के साथ चर्चा करें या उन्हें व्यक्तिगत प्रतिबिंब प्रश्नों के रूप में उपयोग करें।
1. परमेश्वर ने आपको अगुवाई का विशेषाधिकार कहाँ सौंपा है? (परिवार, कार्य, गिरजाघर, समुदाय, आदि)
2. भविष्यवक्ता, पुरोहित और राजा की भूमिकाएँ क्या हैं? आप किस क्षेत्र में खुद को सबसे मजबूत मानते हैं?
3. क्या आपको व्यक्तिगत रूप से अपमानजनक अगुवाई का सामना करना पड़ा है? इसका आप पर क्या प्रभाव पड़ा?
4. आप यीशु में क्या देखते हैं जो आपको उनसे मदद माँगने के लिए प्रोत्साहित करेगा?
5. “खोई हुई,” “निकाली हुई,” “घायल,” या “बीमार”—आप इनमें से किससे सबसे अधिक संबंधित हैं?