उत्पत्ति 6:5–22
5 यहोवा ने देखा कि मनुष्यों की बुराई पृथ्वी पर बढ़ गई है, और उनके मन के विचार में जो कुछ उत्पन्न होता है वह निरन्तर बुरा ही होता है। (भज. 53:2)
6 और यहोवा पृथ्वी पर मनुष्य को बनाने से पछताया, और वह मन में अति खेदित हुआ।
7 तब यहोवा ने कहा, “मैं मनुष्य को जिसकी मैंने सृष्टि की है पृथ्वी के ऊपर से मिटा दूँगा; क्या मनुष्य, क्या पशु, क्या रेंगनेवाले जन्तु, क्या आकाश के पक्षी, सब को मिटा दूँगा, क्योंकि मैं उनके बनाने से पछताता हूँ।”
8 परन्तु यहोवा के अनुग्रह की दृष्टि नूह पर बनी रही।
9 नूह की वंशावली यह है। नूह धर्मी पुरुष और अपने समय के लोगों में खरा था; और नूह परमेश्वर ही के साथ-साथ चलता रहा।
10 और नूह से शेम, और हाम, और येपेत नामक, तीन पुत्र उत्पन्न हुए।
11 उस समय पृथ्वी परमेश्वर की दृष्टि में बिगड़ गई थी, और उपद्रव से भर गई थी।
12 और परमेश्वर ने पृथ्वी पर जो दृष्टि की तो क्या देखा कि वह बिगड़ी हुई है; क्योंकि सब प्राणियों ने पृथ्वी पर अपनी-अपनी चाल-चलन बिगाड़ ली थी।
13 तब परमेश्वर ने नूह से कहा, “सब प्राणियों के अन्त करने का प्रश्न मेरे सामने आ गया है; क्योंकि उनके कारण पृथ्वी उपद्रव से भर गई है, इसलिए मैं उनको पृथ्वी समेत नाश कर डालूँगा।
14 इसलिए तू गोपेर वृक्ष की लकड़ी का एक जहाज बना ले, उसमें कोठरियाँ बनाना, और भीतर-बाहर उस पर राल लगाना।
15 इस ढंग से तू उसको बनाना: जहाज की लम्बाई तीन सौ हाथ, चौड़ाई पचास हाथ, और ऊँचाई तीस हाथ की हो।
16 जहाज में एक खिड़की बनाना, और उसके एक हाथ ऊपर से उसकी छत बनाना, और जहाज की एक ओर एक द्वार रखना, और जहाज में पहला, दूसरा, तीसरा खण्ड बनाना।
17 और सुन, मैं आप पृथ्वी पर जल-प्रलय करके सब प्राणियों को, जिनमें जीवन का श्वास है, आकाश के नीचे से नाश करने पर हूँ; और सब जो पृथ्वी पर हैं मर जाएँगे।
18 परन्तु तेरे संग मैं वाचा बाँधता हूँ; इसलिए तू अपने पुत्रों, स्त्री, और बहुओं समेत जहाज में प्रवेश करना।
19 और सब जीवित प्राणियों में से, तू एक-एक जाति के दो-दो, अर्थात् एक नर और एक मादा जहाज में ले जाकर, अपने साथ जीवित रखना।
20 एक-एक जाति के पक्षी, और एक-एक जाति के पशु, और एक-एक जाति के भूमि पर रेंगनेवाले, सब में से दो-दो तेरे पास आएँगे, कि तू उनको जीवित रखे।
21 और भाँति-भाँति का भोज्य पदार्थ जो खाया जाता है, उनको तू लेकर अपने पास इकट्ठा कर रखना; जो तेरे और उनके भोजन के लिये होगा।”
22 परमेश्वर की इस आज्ञा के अनुसार नूह ने किया।
पिछले सत्र में हमने देखा कि कैसे बुराई के ज्ञान ने सब कुछ बदल दिया। स्वर्ग छूट गया था। पुरुष और स्त्री को अपने कार्यों में कठिनाई और अपने विवाह में शिथिलता का अनुभव हुआ। उन्हे उनके घर से हटा दिया गया था, और वे परमेश्वर से दूर थे। बुराई का ज्ञान फैल गया। परन्तु परमेश्वर इसे हावी नहीं होने देंगे।
आपको अपने जीवन प्रवाह के बारे में सिर्फ दो धारणाओ को जानने की ज़रूरत है: आपको यह जानने की आवश्यकता है कि परमेश्वर कौन है और, की आप कौन हैं। इसे सही तरीके से समझा, तो आपके पास अपने जीवन के लिए एक दृढ़ नींव होगी। यदि इसे गलत समझा, तो आप जल्द ही भटक जाएंगे।
ये सत्य बाइबल आधारित विश्वदृष्टि की नींव हैं। यह विश्वदृष्टि मूल विश्वासों का एक समूह है जो कि यह निर्धारित करेगा कि हम सोचते कैसे है और हम रहते कैसे है। मनुष्य भिन्न प्रकार की जीवन शैली चुनते हैं क्योंकि वे खुद को अलग मूल विश्वासों पर संचालित करते हैं की परमेश्वर कौन है और वे कौन हैं।
यदि आपको लगता है कि आपका जीवन एक संयोग है, ये कि आप अपने जीवन के मालिक है, और यह कि अच्छे उपहार संयोग से आते हैं, तो आपका जीवन खुद की खोज और खुद के साथ सच्चे होने के इर्द-गिर्द घूमता रहेगा। परन्तु यदि आप यह विश्वास करते हैं कि परमेश्वर ने आपको बनाया है, और हर अच्छा उपहार परमेश्वर के हाथों से आता है, तो आपकी सबसे गहरी खुशी उसे जानने और उसकी आज्ञा का पालन करने के लिए होगी।
और यदि आप मानते हैं कि जब आप मरेंगे तो आपका अस्तित्व समाप्त हो जाएगा, आपके लिए यह महसूस करना स्वाभाविक होगा कि आपके जीवन का उद्देश्य पूर्ण संतुष्टि को खोजना है। परन्तु जब आप यह विश्वास करना शुरू करेंगे कि इस दुनिया में अपने छोटे जीवन के बाद, आप परमेश्वर से मिलेंगे जिसने आपको बनाया है, तो आपकी पहली प्राथमिकता उस दिन के लिए खुद को तैयार करने की हो जाएगी।
ये दोनों पूर्ण रूप से अलग दुनियावी नज़रिये हैं, और वे दोनों सही नहीं हो सकते। ये दृढ विश्वास एक नाव पर एक पतवार की तरह हैं जो आपके जीवन में लेने वाली दिशा को नियंत्रित करेगी। आज जो दृढ विश्वास आपके दिल में उत्पन्न होगा वह तय करेगा कि आप कल कहाँ होंगे ।
समान शुरुआत, विभिन्न दिशाएँ
आरंभ से ही, मानव परिवार परमेश्वर के प्रति अपनी प्रतिक्रिया में बटा हुआ है। आदम और हव्वा की दो सन्तान थी, और दुनिया के पहले भाइयों ने अपनी-अपनी नाव के पतवार को पूरी तरह से अलग दिशाओं में स्थापित किया। हाबिल ने परमेश्वर का अनुसरण किया, परन्तु कैन ने परमेश्वर का विरोध किया और उसका क्रोध उसके भाई पर गिरा। अंत में कैन ने हाबिल को मार डाला और वह दुनिया का पहला कातिल बन गया।
कैन के कार्यों ने उसे परमेश्वर और उसके परिवार से अलग कर दिया, परन्तु परमेश्वर ने उस पर बहुत दयालुता दिखाई। कैन की उपलब्धियां शानदार रहीं। उसने एक शहर का निर्माण किया, और उसकी संतानों ने संगीत, कला और संस्कृति में महत्वपूर्ण योगदान दिया। परन्तु परमेश्वर के बिना उसके जीवन में निरंतर बेचैनी बनी रही।
हाबिल की मृत्यु के बाद, परमेश्वर ने आदम और हव्वा को एक और पुत्र दिया। उसका नाम शेत था, और बाइबिल की कहानी का केंद्र उसके ही वंशज पर है।
अद्भुत अनुग्रह
बाइबिल की पूरी यात्रा के दौरान हम यह पाएंगे की विश्वास के द्वारा, और मसीह में, परमेश्वर अपने अनुग्रह के माध्यम से हमेशा मनुष्य को बचाने के लिए आगे बढ़ते है। यह तरीका नूह की कहानी में शुरुआत से ही स्थापित किया गया है: “यहोवा के अनुग्रह की दृष्टि नूह पर बनी रही” (उत्पत्ति 6:8)।
परमेश्वर ने नूह पर दया दिखाई, पहली दफा, उसे चेतावनी देकर, कि प्रलय आ रही है और दूसरी दफा, उसे यह बताकर, कि उसे इससे बचाने के लिए क्या करने की आवश्यकता है: “अपने लिए तू गोपेर वृक्ष की लकड़ी का एक जहाज बना ले” (6:14)।
प्रलय की चेतावनियां बाइबल में दंड देनेवाले परमेश्वर के क्रोध का विस्फोट नहीं हैं; वे एक प्यारे परमेश्वर की दयालु पुकार हैं, जो कह रहा है, “मुझे बुराई को नष्ट करना चाहिए, और मैं करूंगा। परन्तु मैं तुम्हें नष्ट नहीं करना चाहता, और यहाँ तुम इस प्रकार से बच सकते हो।
कार्र में विश्वास
परमेश्वर ने नूह से कहा कि वह अभूतपूर्व बाढ़ के लिए तैयारी करे। उसी प्रकार, परमेश्वर हमें भी कुछ ऐसी चीजों की तैयारी करने के लिए कहते हैं जो पहले कभी नहीं हुई। यीशु मसीह जीवित और मृतकों का न्याय करने के लिए आएंगे।
विश्वास परमेश्वर के वचन पे भरोसा करता है और खुद के कार्यों में दिखता है। नूह के विश्वास का सबूत यह था कि उसने वह नाव बनाई। उसने विश्वास किया जो परमेश्वर ने उस्से कहा, और उसने उस पर काम किया। “विश्वास कर्म बिना मरा हुआ है” (याकूब 2:26)। सच्ची आस्था आज्ञाकारिता के फल से फूटने वाला जीवित वृक्ष है।
यीशु ने तुलना करने के लिए नूह की कहानी का उपयोग किया: “जैसे नूह के दिन थे, वैसा ही मनुष्य के पुत्र का आना भी होगा। क्योंकि जैसे जल-प्रलय से पहिले के दिनों में, जिस दिन तक कि नूह जहाज पर न चढ़ा, उस दिन तक लोग खाते-पीते थे, और उन में ब्याह शादी होती थी। और जब तक जल-प्रलय आकर उन सब को बहा न ले गया, तब तक उन को कुछ भी मालूम न पड़ा; वैसे ही मनुष्य के पुत्र का आना भी होगा”( मत्ती 24:37-39)।
खाना, पीना और शादी करना परमेश्वर द्वारा अच्छे उपहार हैं, परन्तु यदि हम इन चीजों का आनंद लेते हैं और आने वाली प्रलय पर कोई विचार नहीं करते हैं, तो हमारा आनंद बहुत कम समय के लिए होगा। नूह की श्रेष्ठ प्राथमिकता उस दिन के लिए तैयार रहने की थी जो परमेश्वर ने उसे बताई थी। और तैयार होने का एकमात्र तरीका यह है कि विश्वास करें जो परमेश्वर ने कहा और जो उसने आज्ञा दी उसका पालन करें।
परमेश्वर ने नूह को जहाज़ के भीतर बारिश शुरू होने के पूरे सात दिन पहले जाने को कहा (उत्पत्ति 7:4-7)। जहाज़ में सामान लादना जब बारिश की एक बूंद भी नहीं गिरि, विश्वास का एक अधिनियम था। परमेश्वर के वचन के अलावा वहाँ जाने का कोई स्पष्ट कारण नहीं था। बल्कि नूह ने मूर्खता महसूस की होगी।
परन्तु फिर बरसात आई, और इसके साथ, पानी के झरने पृथ्वी के ऊपर आए(7:11)। रेगिस्तान में बनाया गया जहाज ऊपर उठ गया, और नूह और उसके परिवार को उठा लिया गया और एक नई दुनिया में ले जाया गया।
मसीह, एक जहाज़
बाढ़ वह प्रलय थी को कभी दोहराई नहीं जाएगी (9:8-16 देखें)। परन्तु परमेश्वर ने हमें एक और आने वाली भयानक प्रलय के बारे में चेतावनी दी है। जिस तरह परमेश्वर ने नूह के लिए जहाज़ प्रदान किया, उसने हमें यीशु मसीह के माध्यम से अंतिम प्रलय से बचाने का एक रासता प्रदान किया है।
जहाज़ के अंदर मौजूद सभी सुरक्षित थे। जहाज़ के बाहर मौजूद सभी को नष्ट कर दिया गया। परमेश्वर ने हमारे लिए एक जहाज़ प्रदान किया है। यीशु मसीह वह जहाज़ है!
परमेश्वर ने नूह के उपदेश के माध्यम से बात की, लोगों को उसके दिन के बारे में बताया कि एक जहाज था जिसमें वे आ सकते थे और बच सकते थे (2 पतरस 2:5)। उसी प्रकार, परमेश्वर हमें मसीह की ओर इशारा करते हैं और हमें बताते हैं कि यदि हम उनके पास आएंगे तो हम बच सकते हैं।
प्रेरित पौलुस ईसाइयों का वर्णन ” मसीह में ” के रूप में करतें हैं (उदाहरण के लिए, रोमन 8:1)। जिस प्रकार नूह जहाज़ में था, उसी प्रकार से आप भी मसीह में हो सकते हैं। जब न्याय का दिन आयेगा, तो जो कोई भी मसीह में हैं, उन्हें परमेश्वर की प्रलय के माध्यम से सुरक्षित रूप से एक नई महिमा से भरी दुनिया में ले जाया जाएगा।
यह जहाज़ उन सभी के लिए खुला है जो उसमे आना चाहतें हैं। यीशु ने कहा, “जो कोई भी मेरे पास आता है मैं उसे कभी बहिष्कृत नहीं करूंगा” (यूहन्ना 6:37)। नूह के समय के लोगों के पास अवसर का एक खुला दरवाजा था। एक जहाज़ बनाया गया था, और पूरे समुदाय को बचाया जा सकता था । परन्तु नूह के परिवार के अलावा, एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं था जिसने उनकी चेतावनी पर विश्वास किया।
बारिश से बाहर निकलो
कुछ साल पहले एक पादरी, लंदन में अपने अध्ययनकक्ष में बैठें आने वाले रविवार के लिए प्रवचन लिख रहे थे। बाहर बारिश हो रही थी-एक असली लंदन की मूसलधार बारिश!
एक बुजुर्ग दंपती सड़क पर चल रहे थे। जाहीर रूप से बारिश ने उन्हें आश्चर्यचकित कर दिया था, क्योंकि उनमें से किसी के पास न ही बरसाती या छाता था। वे एक पेड़ के नीचे खड़े थे जो पादरी जी की संपत्ति के किनारे पर था। यह सर्दी का समाय था, और पेड़ बिल्कुल खाली था, इसलिए उन्हें वृक्ष से किसी भी प्रकार की कोई शरण नहीं मिली।
पादरी ने एक कोट उठाया और उनके पास जाने के लिए निकल गए। “आप लोग यहाँ बिलकुल भीग जाएंगे,” उन्होने कहा। “आप लोग मेरे घर में क्यों नहीं आ जाते?” उन्होने पादरी को देखा, और सच्ची विनम्र अंग्रेजी में कहा, “नहीं, आपका बहुत धन्यवाद, हम यहां काफी ठीक हैं।”
“परन्तु आप पूरी तरह भीगे जा रहे है!” पादरी ने कहा। “आप अंदर आ सकते है और खुद को सूखा सकतें हैं।”
परन्तु पादरी ऐसा कुछ न कह पाए जिससे कि उन्हें मना सकते, और इस बीच में वे खुद भीगे जा रहे थे। पादरी ने अपने घर का दरवाजा खुला छोड़ दिया और उनसे कहा कि अगर वे अंदर आना चाहते हैं तो उनका बहुत स्वागत हैं। परन्तु वे बाहर ही रहे। पादरी कहते है की वे, आज तक नहीं जान पाए कि उन्हे किस चीज़ का डर था।
वह अकस्मात आंधी तूफान परमेश्वर के न्याय की एक अच्छी तस्वीर है। यदि आप बाहर खड़े होंगे, तो बारिश सीधे आप पर गिरेगी और आप इससे व्याकुल हो जाएंगे। परन्तु यदि आप घर में हैं, तो बरसात छत पर गिरेगी और क्योंकि आप अंदर हैं, यह आपको नहीं छुएगी।
यीशु मसीह वह घर है जो परमेश्वर ने आपके लिए प्रदान किया है – वह जहाज़ जो आपको आश्रय देता है परमेश्वर के प्रलय के तूफान से। जब यीशु क्रूस पर मर गए, पाप के लिए परमेश्वर की प्रलय उन पर गिर गयी, और परमेश्वर हमें हमारे आश्रय के लिए उसके पास आने के लिए आमंत्रित करते हैं। यदि आप मसीह में हैं, तो परमेश्वर का दण्ड आप पर नहीं गिरेगा, क्योंकि यह पहले से ही उन पर गिर चुका है: “सो अब जो मसीह यीशु में हैं, उन पर दण्ड की आज्ञा नहीं” (रोमियो 8:1)।
यहाँ एक सवाल है: क्या आप मसीह में हैं? क्या आपने उन पर अपना भरोसा अपने उद्धारकर्ता और प्रभु के रूप में रखा है? जब आपके अंदर आने के लिए दरवाजा खुला है तो आप बाहर क्यों खड़े होंगे?
प्रकाशित
मसीह में अनुग्रह, विश्वास और उद्धार, नए विचार नहीं हैं जो नए नियम में प्रकट हुए हैं। बाइबिल एक सत्य कहानी है। परमेश्वर दयालु हैं। वह हमेशा से दयालु रहे हैं और हमेशा दयालु रहेंगे।
जहाज़ हमें यह समझने में मदद करता है कि मसीह में होने का क्या अर्थ है। जिस प्रकार नूह और उसके परिवार को परमेश्वर के न्याय से सुरक्षित रूप से लाया गया था क्योंकि वे जहाज़ में थे, उसी प्रकार यदि हम मसीह में रहें तो हमें भी परमेश्वर की अंतिम प्रलय से सुरक्षित रूप से लाया जाएगा।
प्रार्थना के लिए ठहराव
पिता, मैं विश्वास करता हूँ कि आप सृष्टिकरता हैं और आपका मेरे जीवन पर पूर्ण अधिकार हैं। मैं मानता हूं कि मुझे बुराई का ज्ञान है और मुझे स्वर्ग से बाहर निकाला गया है। मैं आपके वचन जो आनेवाले न्याय के बारे में है उस पर विश्वास करता हूं, और मैं मानता हूं कि आप के अलावा मेरे पास और कोई अन्य आशा नहीं है।
आपका धन्यवाद कि अपनी कृपा के द्वारा आपने प्रभु यीशु मसीह को भेजा। मैं आज उन पर विश्वास करता हूं। मैं उन पर पूरा भरोसा रखता हूँ। मैं उन्हे अपने उद्धारकर्ता के रूप में पुकारता हूँ। अपनी आत्मा के द्वारा, मुझे उन में रखें और यीशु मसीह के माध्यम से मुझे बचाएं। आमीन।
परमेश्वर के वचन के साथ और अधिक जुड़नें के लिए इन प्रश्नों का प्रयोग करें। किसी अन्य व्यक्ति के साथ इन प्रश्नों पर विचार विमर्श करें या इन प्रश्नों को आत्म विश्लेषण के लिए प्रयोग करें ।
1. 1 से 10 के पैमाने पर (1- बिल्कुल नहीं, 10- पूरी तरह से), आपको कितनी अच्छी तरह लगता है कि आप परमेश्वर को जानते हैं? और आपको कितनी अच्छी तरह लगता है कि आप खुद को जानते है?
2. परमेश्वर ने नूह पर अनुग्रह/ दयालुता कैसे दिखाई? जब आप परमेश्वर के आने वाले न्याय की चेतावनी सुनते हैं तो आपकी क्या प्रतिक्रिया होती है? आपने इस पर कितना विचार किया है?
3. नूह ने विश्वास कैसे प्रदर्शित किया? आप विश्वास कैसे प्रदर्शित करते हैं?
4. यीशु किस प्रकार से जहाज है? आपको क्यों लगता है कि इतने सारे लोग अंदर आने में असफल हो जाते हैं?
5. अपने शब्दों में, मसीह “में” होने का क्या अर्थ है आप के विचार मैं?