रोमियों 3:19-31
19 हम जानते हैं, कि व्यवस्था जो कुछ कहती है उन्हीं से कहती है, जो व्यवस्था के अधीन हैं इसलिए कि हर एक मुँह बन्द किया जाए, और सारा संसार परमेश्वर के दण्ड के योग्य ठहरे।
20 क्योंकि व्यवस्था के कामों* से कोई प्राणी उसके सामने धर्मी नहीं ठहरेगा, इसलिए कि व्यवस्था के द्वारा पाप की पहचान होती है। (भज. 143:2)
21 पर अब बिना व्यवस्था परमेश्वर की धार्मिकता प्रगट हुई है, जिसकी गवाही व्यवस्था और भविष्यद्वक्ता देते हैं,
22 अर्थात् परमेश्वर की वह धार्मिकता, जो यीशु मसीह पर विश्वास करने से सब विश्वास करनेवालों के लिये है। क्योंकि कुछ भेद नहीं;
23 इसलिए कि सब ने पाप किया है और परमेश्वर की महिमा* से रहित है,
24 परन्तु उसके अनुग्रह से उस छुटकारे के द्वारा जो मसीह यीशु में है, सेंत-मेंत धर्मी ठहराए जाते हैं।
25 उसे परमेश्वर ने उसके लहू के कारण एक ऐसा प्रायश्चित ठहराया, जो विश्वास करने से कार्यकारी होता है, कि जो पाप पहले किए गए, और जिन पर परमेश्वर ने अपनी सहनशीलता से ध्यान नहीं दिया; उनके विषय में वह अपनी धार्मिकता प्रगट करे।
26 वरन् इसी समय उसकी धार्मिकता प्रगट हो कि जिससे वह आप ही धर्मी ठहरे, और जो यीशु पर विश्वास करे, उसका भी धर्मी ठहरानेवाला हो।
27 तो घमण्ड करना कहाँ रहा? उसकी तो जगह ही नहीं। कौन सी व्यवस्था के कारण से? क्या कर्मों की व्यवस्था से? नहीं, वरन् विश्वास की व्यवस्था के कारण।
28 इसलिए हम इस परिणाम पर पहुँचते हैं, कि मनुष्य व्यवस्था के कामों के बिना विश्वास के द्वारा धर्मी ठहरता है।
29 क्या परमेश्वर केवल यहूदियों का है? क्या अन्यजातियों का नहीं? हाँ, अन्यजातियों का भी है।
30 क्योंकि एक ही परमेश्वर है, जो खतनावालों को विश्वास से और खतनारहितों को भी विश्वास के द्वारा धर्मी ठहराएगा।
31 तो क्या हम व्यवस्था को विश्वास के द्वारा व्यर्थ ठहराते हैं? कदापि नहीं! वरन् व्यवस्था को स्थिर करते हैं।
हमने देखा है कि परमेश्वर का क्रोध पाप के विरुद्ध प्रकट होता है और मसीह हमें सुसमाचार के माध्यम से बचाते हैं। यीशु के लिए इसका क्या मतलब था? और हमारे लिए इसका क्या मतलब है? हमारे कई सत्रों में, हम बाइबल के एक ही अध्याय पर ध्यान केंद्रित करते हैं, परन्तु आज हम सिर्फ चार शब्दों पर ध्यान केंद्रित करने जा रहे हैं जो रोमियों 3 में एक साथ पाए जाते हैं: प्रायश्चित, छुटकारा, धर्मी ठहराया जाना, और विश्वास। यदि यह आपको कठिन लगता है, तो धैर्य रखें। आप जो खोजने जा रहे हैं वह जीवनदायी है।
पादरी कहते हैं, जब वे पहली बार अमेरिका गए, तो एक मित्र उन्हें बेसबॉल का खेल दिखाने के लिए ले गया। उनके मित्र ने स्लाइडर्स, स्प्लिटर्स, कर्वबॉल और चेंजअप के बारे में बात करना शुरू कर दिया। उन्हें इस बात का ज़रा भी अंदाज़ा नहीं था कि वह किस बारे में बात कर रहा था।
खेलों की अपनी विशिष्ट शब्दावली होती है। जो लोग बेसबॉल खेल से प्यार करते हैं वे बेसबॉल खेल के शब्द सीखते हैं। जो लोग यीशु से प्रेम करते हैं वे बाइबल के शब्द सीखते हैं, और उसमें छिपे अर्थों में आनंद पाते हैं। इस सत्र में हम बाइबल के चार शब्द सीखेंगे जिनसे हमें बहुत आनंद मिलेगा।
इसलिये कि सब ने पाप किया है और परमेश्वर की महिमा से रहित हैं, परन्तु उसके अनुग्रह से उस छुटकारे के द्वारा जो मसीह यीशु में है, सेंतमेंत धर्मी ठहराए जाते हैं। उसे परमेश्वर ने उसके लहू के कारण एक ऐसा प्रायश्चित ठहराया, जो विश्वास करने से कार्यकारी होता है। (रोमियों 3:23-25)
पादरी हमें नील और सीमा से परिचय करवाते हैं। नील अपने शुरुआती बीसवें वर्ष में था जब उसने सीमा के साथ प्रेम भरी मुलाकातें शुरू करी, जो एक आकर्षक लड़की थी जिससे उसकी मुलाकात कार्यालय में हुई थी। नील की छवि “थोड़ा बेतहाशा” थी और कई बार सीमा उसके साथ असहज हो जाती थी।
एक रात नील, सीमा को एक दावत में ले गया जहाँ चीजें थोड़ी नियंत्रण से बाहर हो गईं। नील ने शराब पीना शुरू कर दिया, और सुबह जब वे घर के लिए निकले, तब तक वह मुश्किल से गाड़ी को नियंत्रित कर पा रहा था। नील एक धुंध में गाड़ी चलाता रहा, जब तक कि अकल्पनीय घटना घटित नहीं हो गई। गाड़ी एक किनारे से टकराई, नियंत्रण से बाहर हो गई और कई बार पलटी। जब गाड़ी रुकी, तो नील और सीमा दोनों बेहोश थे।
कई घंटों बाद, नील को अस्पताल में होश आया। उसका सिर धड़क रहा था और जो कुछ हुआ उसे याद करने की कोशिश करते समय उसके शरीर में दर्द होने लगा।
“सीमा कैसी है?” उसने पूछा।
“यह बुरी खबर है,” डॉक्टर ने कहा। “वह लकवाग्रस्त है। वह फिर कभी नहीं चल पाएगी।”
“क्या मैं उसे देख सकता हूं?”
“नहीं, वह तुमसे बात नहीं करेगी।”
अचानक नील एक बुरे सपने में फंस गया, और उसे सीमा के वकील से एक पत्र प्राप्त होने में ज्यादा देर नहीं लगी। अपनी स्थायी विकलांगता के आलोक में, सीमा कानूनी कार्रवाई कर रही थी।
नील अस्पताल में लेटा हुआ सोच रहा था कि वह इतना मूर्ख कैसे हो सकता है, और कैसे एक साधारण कार्य ने उसे ऐसी स्थिति में पहुँचा दिया जिसके दीर्घकालिक परिणाम इतने निराशाजनक होंगे। यह सिर्फ एक रात थी, परन्तु इसने सब कुछ बदल दिया। नील को आश्चर्य होता है कि वह अपने साथ कैसे रह सकता है, और उसे पता नहीं है कि सीमा के बारे में क्या करना है।
इस स्थिति में तीन कारक हैं: पहला, एक अपराध है। नील ने लापरवाही और गैरजिम्मेदारी से काम किया जब उसने शराब पीकर घर जाने का फैसला किया। दूसरा, एक नाराज व्यक्ति है। सीमा गुस्से में है, और यह सही भी है। तीसरा, एक अपराधी है। नील जानता है कि वह दोषी है। उसने जो किया उसके लिए उसे गहरा खेद है, परन्तु इससे यह तथ्य नहीं बदलेगा कि सीमा लकवाग्रस्त है और उसके वकील उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की तैयारी कर रहे हैं।
नील एक वकील को नियुक्त करता है, और उसका वकील सीमा के वकील से बात करता है कि मामले को निपटाने के लिए क्या करना होगा। उनकी चर्चा एक ही मुद्दे पर केंद्रित है: सीमा को संतुष्ट करने के लिए क्या करना होगा? मुद्दा यह नहीं है कि नील को क्या उचित लगता है। यह सब सीमा के बारे में है, क्योंकि वह नाराज पक्ष है।
मान लीजिए कि वकील एक ऐसी धनराशि निर्धारित करते हैं जो सीमा को स्वीकार्य होगी। उस पैसे का भुगतान “प्रायश्चित” होगा। प्रायश्चित एक भुगतान है जो नाराज पक्ष के गुस्से को शांत करने और न्याय की आवश्यकता को पूरा करने के लिए दिया जाता है ताकि मामला सुलझ जाए और उसे दोबारा अदालत में ना उठाया जा सके।
चूँकि हमारा पाप परमेश्वर के विरुद्ध अपराध है, इसलिए इसका अर्थ यह है कि परमेश्वर ही वे हैं जो यह निर्धारित करते हैं कि प्रायश्चित क्या होना चाहिए। सवाल यह है कि “परमेश्वर को क्या संतुष्ट करेगा?”
और बाइबल हमें उत्तर देती है: “उसके अनुग्रह से उस छुटकारे के द्वारा जो मसीह यीशु में है, सेंतमेंत धर्मी ठहराए जाते हैं। उसे परमेश्वर ने उसके लहू के कारण एक ऐसा प्रायश्चित ठहराया, जो विश्वास करने से कार्यकारी होता है,” (रोमियों 3:24-25)। परमेश्वर अपने पुत्र, यीशु मसीह को प्रायश्चित्त के रूप में प्रस्तुत करते हैं। क्रूस पर उनकी मृत्यु परमेश्वर को संतुष्ट करती है और हमारे पापों के प्रति उनके क्रोध को शांत करती है।
जिस परमेश्वर की पवित्रता को हमने ठेस पहुँचाई है, जिसकी दुनिया को हमने बिगाड़ा है, और जिसका क्रोध हमने भड़काया है, उसने अपने इकलौता पुत्र को भेजा। परमेश्वर यीशु मसीह में मनुष्य बन गया और उसने अपना क्रोध स्वयं सहा।
“वह छुटकारा जो मसीह यीशु में है”
छुड़ाना का अर्थ है कीमत देकर खरीदना। पादरी कहते हैं कि उन्होंने बचपन में बाइबल का यह शब्द एक साधारण कहानी से सीखा था जो आज भी उनके साथ है। यह एक ऐसे लड़के की कहानी है जिसे चीज़ें बनाना पसंद था।
एक दिन लड़के के पिता ने उससे कहा, “तुम नाव क्यों नहीं बनाते?” लड़के को यह विचार बहुत पसंद आया, और उसने अपने पिता के साथ मिलकर एक सुंदर नाव बनायी। उसने इसे नीले और लाल रंग से रंगा और इसमें एक लंबा सफ़ेद पाल लगाया। जब यह बनकर तैयार हो गया, तो लड़के ने नाव पर एक खास निशान लगाया ताकि उसे हमेशा पता रहे कि यह उसकी है।
लड़का अपनी नाव से बहुत प्यार करता था और जब वह उसे झील पर ले जाता था तो उसे बहुत खुशी होती थी। परन्तु एक दिन नाव तेज़ हवा में फँस गई और वह बह गई। लड़के का दिल टूट गया था।
कुछ समय बाद, लड़का शहर में एक खिलौने की दुकान के पास से गुज़र रहा था, जब उसने खिड़की में एक सुंदर नाव देखी। यह नीले और लाल रंग की थी, और इसमें एक लंबा सफ़ेद पाल लगा हुआ था। और जब लड़के ने करीब से देखा, तो उसे वह खास निशान दिखाई दिया जो उसने उस पर लगाया था ताकि उसे हमेशा पता रहे कि यह उसकी है।
लड़का घर गया, अपनी सारी जमा पूंजी इकट्ठी की और दुकान पर वापस जाकर नाव खरीद ली। घर लौटते समय उसने नाव को गले लगाया और कहा, “तुम दोगुनी मेरी हो! तुम मेरी हो क्योंकि मैंने तुम्हें बनाया है, और तुम मेरे हो क्योंकि मैंने तुम्हें खरीदा है!”
यही बात यीशु मसीह आपसे और मुझसे कह सकते हैं! “तुम दोगुने मेरे हो! । तुम मेरे हो क्योंकि मैंने तुम्हें बनाया है, और तुम मेरे हो क्योंकि मैंने तुम्हें खरीदा है।” यही छुड़ाए जाने का अर्थ है। आपको यीशु मसीह ने अपने लहू को बहा के खरीदा है। (1 पतरस 1:18-19)।
“उसके अनुग्रह के द्वारा धर्मी ठहराया गया”
धर्मी ठहराया जाना एक कानूनी शब्द है। इसका अर्थ है कि एक व्यक्ति को धर्मी घोषित किया गया है। धर्मी घोषित किया जाना एक न्यायाधीश द्वारा पारित निर्णय है। प्रत्येक व्यक्ति को एक दिन सर्वशक्तिमान परमेश्वर के समक्ष परीक्षण के लिए खड़ा होना पड़ेगा, और प्रत्येक मामले में वे दो परिणामों में से एक का ऐलान करेंगे: धर्मी ठहराए गए या दण्डित।
धर्मी ठहराया जाना एक ऐसा शब्द है जो अंतिम दिन से संबंधित है, परन्तु बाइबल यहाँ वर्तमान काल में धर्मी ठहराए जाने के बारे में बात करती है: “इसलिये कि सब ने पाप किया है और परमेश्वर की महिमा से रहित हैं, उसके अनुग्रह से धर्मी ठहराए जाते हैं” (रोमियों 3:23-24)। परमेश्वर हमसे कह रहे हैं, “तुम्हारा मामला अब निपटाया जा सकता है! आपको अपना पूरा जीवन यह सोचते हुए बिताने की जरूरत नहीं है कि आपके बारे में परमेश्वर का अंतिम निर्णय क्या होगा। आपको आज ही निर्दोष करार दिया जा सकता है!”
जिस आधार पर आप धर्मी ठहराए जा सकते हैं वह वही है जो यीशु ने आपके लिए किया जब वे क्रूस पर मरे। उन्होंने क्रोध को सहन किया (प्रायश्चित), और उन्होंने कीमत चुकाई (मुक्ति)।
जब परमेश्वर हमें धर्मी ठहराते हैं, तो वे दो काम करते हैं: पहला, परमेश्वर हमारे पापों को यीशु के ऊपर डालते हैं, और उन्हें उनके विरुद्ध गिनते हैं। और दूसरा, परमेश्वर यीशु की धार्मिकता का श्रेय हमें देते हैं।
पादरी कहते है कि जब उनकी पत्नी करेन और उनकी शादी हुई, तो उनके माता-पिता ने लंदन के झील जिले के एक उत्तम होटल में एक सप्ताह उनके रहने के लिए भुगतान किया। उनके लिए कोई शुल्क नहीं था क्योंकि कीमत किसी और से वसूल की जा चुकी थी। परमेश्वर हमारे पापों को यीशु पर थोपकर हमें स्वतंत्र रूप से धर्मी ठहराते हैं। यह उपहार हमारा है क्योंकि हम पर जो शुल्क लगाया था वह यीशु द्वारा लिया गया है और चुकाया गया है।
तब परमेश्वर हमें यीशु की धार्मिकता का श्रेय देते हैं।
पादरी कहते हैं कि कुछ समय पहले, उन्होंने एक क्रेडिट कार्ड का खाता बंद करने का निर्णय लिया था जिसका उपयोग उन्होंने लंदन में कई वर्षों से किया था। जब उन्होंने फोन किया तो प्रतिनिधि आश्चर्यचकित लग रहा था। “क्या आपको एहसास है कि इस कार्ड पर आपके 2,000 अंक हैं?” उसने पूछा।
“क्या मैं ये अंक किसी और को दे सकता हूँ,” पादरी ने पूछा। “ओह, हाँ,” उसने कहा, “कोई और जिसके पास वही कार्ड हो।” पादरी ने उन्हें अपने पिता को दे दिया, और उन्होंने 2,000 अंकों का लाभ उठाया जो उन्होंने कभी अर्जित नहीं किए थे।
जब आप यीशु मसीह पर विश्वास करते हैं, तो परमेश्वर उनकी धार्मिकता का श्रेय आपको देते हैं। वे आपको मसीही जीवन में आपके प्रदर्शन के कारण धर्मी नहीं ठहराते, बल्कि इसलिए कि मसीह की धार्मिकता आपकी हो जाती है।
“विश्वास द्वारा प्राप्त”
चूँकि धर्मी ठहराए जाने का एकमात्र आधार वही है जो यीशु ने अपनी मृत्यु और पुनरुत्थान में पूरा किया, इसलिए यह निष्कर्ष निकलता है कि परमेश्वर उन लोगों को धर्मी ठहराएंगे जो यीशु के हैं।
इसलिये कि सब ने पाप किया है और परमेश्वर की महिमा से रहित हैं, परन्तु उसके अनुग्रह से उस छुटकारे के द्वारा जो मसीह यीशु में है, सेंतमेंत धर्मी ठहराए जाते हैं। उसे परमेश्वर ने उसके लहू के कारण एक ऐसा प्रायश्चित ठहराया, जो विश्वास करने से कार्यकारी होता है। (रोमियों 3:23-25)
ध्यान दें कि विश्वास ही वह साधन है जिसके द्वारा यीशु आपके हो जाते हैं।
एक युवा जोड़े की कल्पना करें; हम उन्हें समीर और माया कहेंगे। वे एक दावत पर किसी के द्वारा मिलवाये जाते है हैं और हालांकि विनम्र बातचीत करते समय वे अजीब महसूस करते हैं। परन्तु समय के साथ, वे एक-दूसरे को बेहतर तरीके से जानने लगते हैं और उनका रिश्ता गहरा हो जाता है।
एक शाम, समीर ने शादी का प्रस्ताव रखा और कुछ महीने बाद, माया शादी के जोड़े में चल के आरही थी। पादरी समीर की ओर मुड़े और पूछा: “समीर, क्या तुम माया को अपनी वैधानिक, विवाहित पत्नी बनाना चाहोगे?” समीर ने कहा कि वह ऐसा करेगा।
विश्वास एक विवाह की तरह है जिसमें आप यीशु मसीह के साथ एकजुट होते हैं। सोचिए कि यीशु के लिए आपके साथ जुड़ने का क्या मतलब है: परमेश्वर के पवित्र पुत्र को आपके पाप को अपने ऊपर लेना पड़ा, मानो वह उनका अपना पाप हो। परन्तु अब सोचिए कि यीशु के साथ जुड़ने का आपके लिए क्या मतलब है: आपके पास मसीह की धार्मिकता है, मानो वह आपकी अपनी हो!
जब आप प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास करने लगते हैं, तो क्रूस पर उन्होंने जो कुछ भी किया, वह आपके अपने अनुभव में सक्रिय हो जाता है। और उस क्षण परमेश्वर आपको “धर्मी” घोषित करते हैं।
परमेश्वर पापियों को यीशु द्वारा क्रूस पर चढ़ाए गए प्रायश्चित के आधार पर धर्मी ठहराते है। वे ऐसा उन सभी के लिए करते हैं जो विश्वास में यीशु के पास आते हैं। विश्वास एक व्यक्ति को मसीह के साथ जोड़ता है जो हमारे ऋण का भुगतान करके और हमें अपनी धार्मिकता का श्रेय देकर हमें छुड़ाता है। धार्मिकता मसीही जीवन में आपके प्रदर्शन पर निर्भर नहीं करती है, बल्कि यीशु पर और जो कुछ उन्होंने पूरा किया, वह आपका हो जाता है।
परमेश्वर के वचन के साथ आगे जुड़ने के लिए इन प्रश्नों का उपयोग करें। उन पर किसी अन्य व्यक्ति के साथ चर्चा करें या उन्हें व्यक्तिगत प्रतिबिंब प्रश्नों के रूप में उपयोग करें।
1. इस सत्र में आपको सबसे अधिक उपयोगी क्या लगा? आपको सबसे कठिन क्या लगा?
2. आपके अपने शब्दों में, “प्रायश्चित” क्या है?
3. क्या आप ऐसे किसी समय के बारे में सोच सकते हैं जब किसी ने आपकी मदद करने के लिए कोई त्याग किया हो? “छुटकारे” से आपको यीशु के आपके प्रति प्रेम के बारे में क्या पता चलता है?
4. अगर आप जानते कि परमेश्वर आपके बारे में आखिरी फैसला क्या करेंगे, तो इससे आपकी ज़िंदगी में क्या फर्क पड़ेगा?
5. विश्वास में यीशु मसीह के प्रति प्रतिबद्धता शामिल है। आप इस प्रतिबद्धता की ओर क्यों आकर्षित होंगे? आपको ऐसा करने से क्या रोक सकता है?