रोमियों 6:1-14
1 तो हम क्या कहें? क्या हम पाप करते रहें कि अनुग्रह बहुत हो?
2 कदापि नहीं! हम जब पाप के लिये मर गए* तो फिर आगे को उसमें कैसे जीवन बिताएँ?
3 क्या तुम नहीं जानते कि हम सब जितनों ने मसीह यीशु का बपतिस्मा लिया तो उसकी मृत्यु का बपतिस्मा लिया?
4 इसलिए उस मृत्यु का बपतिस्मा पाने से हम उसके साथ गाड़े गए, ताकि जैसे मसीह पिता की महिमा के द्वारा मरे हुओं में से जिलाया गया, वैसे ही हम भी नये जीवन के अनुसार चाल चलें।
5 क्योंकि यदि हम उसकी मृत्यु की समानता में उसके साथ जुट गए हैं, तो निश्चय उसके जी उठने की समानता में भी जुट जाएँगे।
6 क्योंकि हम जानते हैं कि हमारा पुराना मनुष्यत्व उसके साथ क्रूस पर चढ़ाया गया, ताकि पाप का शरीर नाश हो जाए, ताकि हम आगे को पाप के दासत्व में न रहें।
7 क्योंकि जो मर गया, वह पाप से मुक्त हो गया है।
8 इसलिए यदि हम मसीह के साथ मर गए, तो हमारा विश्वास यह है कि उसके साथ जीएँगे भी,
9 क्योंकि हम जानते है कि मसीह मरे हुओं में से जी उठा और फिर कभी नहीं मरेगा। मृत्यु उस पर प्रभुता नहीं करती।
10 क्योंकि वह जो मर गया तो पाप के लिये एक ही बार मर गया; परन्तु जो जीवित है, तो परमेश्वर के लिये जीवित है।
11 ऐसे ही तुम भी अपने आप को पाप के लिये तो मरा, परन्तु परमेश्वर के लिये मसीह यीशु में जीवित समझो।
12 इसलिए पाप तुम्हारे नाशवान शरीर में राज्य न करे, कि तुम उसकी लालसाओं के अधीन रहो।
13 और न अपने अंगों को अधर्म के हथियार होने के लिये पाप को सौंपो, पर अपने आपको मरे हुओं में से जी उठा हुआ जानकर परमेश्वर को सौंपो, और अपने अंगों को धार्मिकता के हथियार होने के लिये परमेश्वर को सौंपो।
14 तब तुम पर पाप की प्रभुता न होगी, क्योंकि तुम व्यवस्था के अधीन नहीं वरन् अनुग्रह के अधीन हो।
रोमियों 5 में हमने सीखा कि जब हम विश्वास से धर्मी ठहराए जाते हैं तो हमें परमेश्वर के साथ शान्ति मिलती है और परमेश्वर का अनुग्रह हमारे सभी पापों को ढक देता है। यदि ऐसा है, तो क्यों न आगे बढ़ते हुए और अधिक पाप किया जाए? पौलुस रोमियों 6 में इस प्रश्न का उत्तर देता है: “तो हम क्या कहें? क्या हम पाप करते रहें कि अनुग्रह बहुत हो?” (6:1)। इस प्रश्न का उत्तर है “कदापि नहीं!” (6:2)। और इसका कारण है मसीह के साथ एक जुट होना।
पादरी कहते हैं, कुछ समय पहले, उन पर एक यातायात चालान जारी किया गया था। अधिकारी ने बताया कि यह अपराध उनके ड्राइविंग रिकॉर्ड में दर्ज हो जाएगा, परन्तु फिर उन्हें बताया कि इलिनोइ(स) प्रदेश ने एक तरीका प्रदान किया है जिससे अपराध को हटाया जा सकता है। “आप कक्षा ले सकते हैं,” उन्होंने कहा। “और यह ऐसा होगा जैसे कि यह कभी हुआ ही नहीं था।”
अब इस प्रणाली के काम करने के तरीके के बारे में सोचें। हम यह उचित रूप से मान सकते हैं कि एक दिन एक थका हुआ प्रशासक इलिनोइ(स) प्रदेश में पादरी के नाम के सभी गाड़ी चलाने वाले लोगों की लंबी सूची को देखता हुआ जम्हाई ले रहा होगा, ताकि वह सही व्यक्ति को ढूंढ सके जिसके खिलाफ अपराध दर्ज किया जाना चाहिए।
फिर, कुछ सप्ताह बाद, किसी अन्य प्रशासक को उसी सूची को देखने का श्रमसाध्य कार्य सौंपा जाएगा, ताकि डिलीट बटन दबाकर अपराध के सभी रिकॉर्ड मिटाए जा सकें। यह प्रक्रिया कानूनी है, परन्तु यह पूरी तरह से अवैयक्तिक है। इसमें कोई रिश्ता शामिल नहीं है।
यह एक अद्भुत सत्य है कि यीशु हमारे पापों के अभिलेख को मिटाने के लिए मरे। परन्तु यदि हम केवल इतना ही समझते हैं, तो परमेश्वर के प्रति हमारा प्रेम उतना ही कमजोर हो जाएगा जितना उस कंप्यूटर ऑपरेटर के प्रति उनका स्नेह है जिसने उनके अपराध को मिटाया था।
मसीह न केवल आपके पापों को मिटाने के लिए मरे, बल्कि आपको परमेश्वर के साथ एक प्रेमपूर्ण सम्बन्ध में लाने के लिए भी मरे। उद्धार किसी अज्ञात स्वर्गीय प्रशासक द्वारा किया गया कोई आसान लेन-देन नहीं है। यह परमेश्वर का आपके साथ घनिष्ठ मिलन स्थापित करने का प्रयास है।
मसीह के साथ जुट जाना
जब आप यीशु में विश्वास करने लगते हैं, तो पवित्र आत्मा यीशु की मृत्यु और पुनरूत्थान तथा आपके आज के जीवन के बीच संबंध स्थापित कर देता है। “यदि हम उसकी मृत्यु की समानता में उसके साथ जुट गए हैं, तो निश्चय उसके जी उठने की समानता में भी जुट जाएँगे” (रोमियों 6:5)।
यीशु मसीह की मृत्यु और पुनरुत्थान में उनके साथ “एकजुट” होने का क्या अर्थ है?
मुझे इसके बारे में इस तरह सोचना उपयोगी लगता है: कुछ चीजें एक समय आपके बारे में सच थीं – आप पाप के शासन के अधीन थे, आप परमेश्वर से अलग हो गए थे, और आप इसके बारे में कुछ भी करने में असमर्थ थे (रोमियों 5:21; इफिसियों 2) :12; 2:1)। यदि आप उसी स्थिति में रहते तो अंततः आपको निंदा का सामना करना पड़ता। परन्तु जब आप यीशु पर विश्वास करने लगे तो उस व्यक्ति का अस्तित्व समाप्त हो गया (रोमियों 8:1)। वह क्रूस पर यीशु के साथ मर गया। पौलुस का यही मतलब है जब वे कहते हैं, “हम मसीह के साथ मर गए” (रोमियों 6:8)।
परन्तु यह यहीं खत्म नहीं होता। पौलुस ने हमारे बारे में यह भी लिखा है कि हम “उसके जी उठने की समानता में भी जुट जाएँगे” (रोमियों 6:5)। जब पवित्र आत्मा ने आपको मसीह में डुबोया, तो उसने एक नए व्यक्ति को अस्तित्व में लाया। अब आप अनुग्रह के शासन के अधीन हैं, आप परमेश्वर की संतान हैं, और आपका भाग्य अनन्त जीवन है (रोमियों 5:21; गलातियों 4:4-7; रोमियों 6:22-23)। आप अभी भी कई मायनों में असफल होते हैं, परन्तु चाहे आप कितनी भी बार असफल हों, आप कभी भी उस व्यक्ति के रूप में वापस नहीं आ सकते जो आप कभी थे। वह व्यक्ति मर चुका है और हमेशा के लिए चला गया है। उसका अस्तित्व समाप्त हो चुका है।
मसीह के साथ एकजुट होना एक नया पृष्ठ खोलने या निर्णय लेने से कहीं अधिक है; यह पवित्र आत्मा की शक्ति द्वारा मसीह का जीवन आपके भीतर प्रवाहित होना है।
यीशु ने इस एक जुट होने के बारे में बात की जब उन्होंने कहा, “मैं दाखलता हूँ : तुम डालियाँ हो” (यूहन्ना 15:5)। जिस प्रकार रस बेल से निकलकर शाखाओं में बहता है, उसी प्रकार मसीह का जीवन भी उनसे निकल कर उनके लोगों में बहेगा। यह एक कानूनी लेन-देन से कहीं अधिक है जिसमें आपके पापों को क्षमा कर दिया जाता है और आपके पासपोर्ट पर स्वर्ग जाने के लिए मुहर लगा दी जाती है। यह आपके अंदर प्रवेश करने वाले परमेश्वर का जीवन है। इससे अधिक अंतरंग चित्र की कल्पना करना कठिन है।
जब पवित्र आत्मा हमें मसीह के साथ जोड़ता है, तो वह अपने प्रेम से हमारे जीवन में प्रवेश करता है। एक अच्छा विवाह कानूनी और संबंधपरक दोनों होता है। यह एक बाध्यकारी समझौता और एक अंतरंग मिलन दोनों है। यह गहरी सुरक्षा और गहरे स्नेह को बढ़ावा देता है। परमेश्वर हमें प्रेम के ऐसे रिश्ते में लाना चाहते हैं जो सुरक्षित और घनिष्ठ हो। यह सुरक्षित है क्योंकि परमेश्वर हमारे साथ वाचा बांधते हैं, और यह घनिष्ठ है क्योंकि इसमें यीशु मसीह के साथ एक जुट होना शामिल है।
मसीह में धन्य
एक जोड़ी मोजे और एक जोड़ी पतलून के बीच के अंतर पर विचार करें। क्या आप जानते हैं कि जब आप मोजे धोने के लिए डालते हैं तो क्या होता है? उनमें से एक खो जाता है। समस्या यह है कि ऐसा कुछ भी नहीं है जो दोनों को एक साथ जोड़ता हो। पतलून अलग है। पादरी कहते हैं कि उन्होंने कभी भी ऐसी पतलून नहीं देखी जिसका एक पैर गायब हो।
परमेश्वर मोज़ों की तरह स्वर्ग से आशीषें नहीं फेंकते: “क्या कोई क्षमा चाहेगा? क्या कोई अनन्त जीवन चाहता है?” परमेश्वर हमें एक आशीर्वाद देते हैं, यीशु मसीह। “उसने हमें मसीह में स्वर्गीय स्थानों में सब प्रकार की आत्मिक आशीष दी है” (इफिसियों 1:3)। परमेश्वर की सारी आशीषें हमें यीशु में मिलती हैं, और उनमें से कोई भी आशीष उनके बिना हमें नहीं मिलती।
क्षमा यीशु में पाई जाती है, अनन्त जीवन यीशु में पाया जाता है, पवित्रता यीशु में पाई जाती है, और सामर्थ्य यीशु में पाया जाता है। परमेश्वर ने उन्हें हमारे लिए “ज्ञान, अर्थात् धर्म, और पवित्रता, और छुटकारा” ठहराया है (1 कुरिन्थियों 1:30)। ये सभी उपहार उनमे कभी अलग न होने वाले रूप से जुड़े हुए हैं, और यदि आप मसीह में हैं, तो ये सभी आशीर्वाद आपके हैं।
मसीह द्वारा मुक्त किया गया
मसीह में बने रहना आपको पाप के विरुद्ध लड़ाई के लिए तैयार करता है। एक समय था जब युद्ध में आपकी हार निश्चित थी, परन्तु अब मसीह में आप विजय के लिए तैयार हैं। “तब तुम पर पाप की प्रभुता न होगी, क्योंकि तुम व्यवस्था के अधीन नहीं वरन् अनुग्रह के अधीन हो।” (रोमियों 6:14)।
कल्पना कीजिए कि आप युद्ध के मैदान में हैं। आपकी टुकड़ी पर भारी गोलीबारी हो रही है और आपको बंदी बना लिया गया है। आप अपने हथियार सौंप देते हैं, और आपको एक विशाल पिंजरे जैसी जगह पर ले जाया जाता है। पिंजरे का प्रभारी व्यक्ति काफी डरावना दिखता है। जब वह चिल्लाकर आदेश देता है, तो अंदर मौजूद लोग वही करते हैं जो वह कहता है। आप अपनी जान की कद्र करते हैं, और इसलिए आप वैसा ही करने का निर्णय लेते हैं।
अगले वर्ष के लिए, आपका पूरा जीवन पिंजरे में ही रहेगा। आप सोते हैं, आपको खाना खिलाया जाता है, और आप व्यायाम करते हैं, परन्तु हर समय आप अपने शत्रु की शक्ति के अधीन होते हैं। और जब तक आप पिंजरे में हैं, तब तक आप इसके बारे में कुछ भी नहीं कर सकते।
फिर एक रात, आपको इंजन की गड़गड़ाहट और गोलियों की आवाज़ सुनाई देती है। आपका कप्तान आपको मुक्त कराने के लिए अपनी पूरी सेना के साथ आया है। जैसे ही आप उसकी जीप में चढ़ते हैं, वह आपको एक बंदूक थमा देता है: “यह लो,” वह कहता है, “अब तुम युद्ध में वापस आ गए हो।”
अगले दिन पिंजरा चलाने वाला आदमी तुम्हारी तलाश में आता है। वह चिल्लाकर आदेश देता है, परन्तु अब आपको वह नहीं करना है जो वह कहता है। आप पिंजरे में नहीं हैं। आप स्वतंत्र हैं। जब आप मसीह में होते हैं, तो आप पूरी तरह से एक नई स्थिति में होते हैं। आप स्वतंत्र हैं, और इसका मतलब है कि आप लड़ने की स्थिति में हैं। पाप हमेशा आपका दुश्मन रहेगा, परन्तु अब वह आपका स्वामी नहीं है।
“इसलिये पाप तुम्हारे नश्वर शरीर में राज्य न करे, कि तुम उसकी लालसाओं के अधीन रहो… पर अपने आपको मरे हुओं में से जी उठा हुआ जानकर परमेश्वर को सौंपो, और अपने अंगों को धार्मिकता के हथियार होने के लिये परमेश्वर को सौंपो” (रोमियों 6:12- 13)।
मसीह में सुरक्षित
विश्वास आपको मसीह में रखता है, जहाँ आप पूरी तरह सुरक्षित हैं – तब भी जब आप भय से भरे हों।
पादरी कहते हैं कि, उनका एक मित्र पहली बार हवाई जहाज से उड़ान भरने की कहानी सुनाता है।
जब वह विमान में चढ़ा तो वह तीन लोगों की बीच वाली सीट पर बैठा था। खिड़की के पास एक बूढ़ी औरत बैठी थी जो बहुत घबराई हुई लग रही थी। कोने वाली सीट पर एक व्यापारी बैठा था, जो ऐसा लग रहा था जैसे उसने पहले भी ऐसी हज़ारों बार यात्रा करी हो। उनका मित्र, जो बीच में था, यात्रा के लिए तैयार था, परन्तु पहले कभी हवाई यात्रा न करने के कारण वह थोड़ा आशंकित था।
जब विमान ने उड़ान भरी, तो व्यापारी ने अखबार खोला। उनके मित्र ने अपनी सीट के हैंडल को पकड़ लिया। बूढ़ी औरत ने उल्टी करने वाले बैग को पकड़ा।
जब दोपहर का भोजन परोसा गया, तो व्यापारी ने सारा खाना खा लिया, उनके मित्र ने भी अपना आधा खाना खाया, वृद्ध महिला बस उसे देखती रही और उसने उसे छुआ तक नहीं।
कहानी का निष्कर्ष यह है: तीनों यात्री एक ही समय पर एक ही स्थान पर पहुँचे! यात्रा का उनका अनुभव बिलकुल अलग था, परन्तु वे सभी समान रूप से सुरक्षित थे।
आपकी शाश्वत सुरक्षा इस बात पर निर्भर नहीं है कि आप मसीही जीवन में कितना अच्छा करते हैं; यह इस बात पर निर्भर है कि आप मसीह में हैं।
एक ईसाई वह व्यक्ति है जो मसीह की मृत्यु और पुनरुत्थान में उनके साथ एकजुट हो गया हो। जब आप विश्वास के द्वारा मसीह के साथ एकजुट हो गए, तो आप पहले जो व्यक्ति थे उसका अस्तित्व समाप्त हो गया, और एक नया व्यक्ति अस्तित्व में आया। आपके सामने अभी भी कई संघर्ष हैं, आप कई मायनों में असफल होंगे, परन्तु चूंकि मसीह ने आपको स्वतंत्र कर दिया है, आप पूरी तरह से नई स्थिति में हैं।
मसीह में अपनी नई स्थिति की खोज करना मसीही जीवन जीने की सबसे महत्वपूर्ण कुंजियों में से एक है। पाप हमेशा आपका शत्रु रहेगा, परन्तु अब वह आपका स्वामी नहीं है। अब आप इसका मुकाबला करने की स्थिति में हैं।
परमेश्वर के वचन के साथ आगे जुड़ने के लिए इन प्रश्नों का उपयोग करें। उन पर किसी अन्य व्यक्ति के साथ चर्चा करें या उन्हें व्यक्तिगत प्रतिबिंब प्रश्नों के रूप में उपयोग करें।
1. आप कैसे वर्णन करेंगे कि परमेश्वर आपके साथ किस प्रकार का सम्बन्ध रखना चाहते हैं?
2. आप उस व्यक्ति को क्या उत्तर देंगे जो कहता है, “अब जब मैं बच गया हूँ, तो मैं जैसे चाहूँगा वैसे जीऊँगा”?
3. अपने शब्दों में, मोज़े और पतलून का दृष्टांत हमें इस बारे में क्या बताता है कि परमेश्वर की आशीषें हमें कैसे मिलती हैं?
4. आप इस कथन पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं: “पाप हमेशा आपका शत्रु रहेगा, लेकिन यह अब आपका स्वामी नहीं है।”
5. यह जानना कि आप मसीह में सुरक्षित हैं, आपके मसीही जीवन के अनुभव को किस प्रकार प्रभावित करेगा?