2 शमूएल 12 : 1 – 10
1 तब यहोवा ने दाऊद के पास नातान को भेजा, और वह उसके पास जाकर कहने लगा, “एक नगर में दो मनुष्य रहते थे, जिनमें से एक धनी और एक निर्धन था।
2 धनी के पास तो बहुत सी भेड़-बकरियां और गाय बैल थे;
3 परन्तु निर्धन के पास भेड़ की एक छोटी बच्ची को छोड़ और कुछ भी न था, और उसको उसने मोल लेकर जिलाया था। वह उसके यहाँ उसके बाल-बच्चों के साथ ही बढ़ी थी; वह उसके टुकड़े में से खाती, और उसके कटोरे में से पीती, और उसकी गोद में सोती थी, और वह उसकी बेटी के समान थी।
4 और धनी के पास एक यात्री आया, और उसने उस यात्री के लिये, जो उसके पास आया था, भोजन बनवाने को अपनी भेड़-बकरियों या गाय बैलों में से कुछ न लिया, परन्तु उस निर्धन मनुष्य की भेड़ की बच्ची लेकर उस जन के लिये, जो उसके पास आया था, भोजन बनवाया।”
5 तब दाऊद का कोप उस मनुष्य पर बहुत भड़का; और उसने नातान से कहा, “यहोवा के जीवन की शपथ, जिस मनुष्य ने ऐसा काम किया वह प्राण दण्ड के योग्य है;
6 और उसको वह भेड़ की बच्ची का चौगुना भर देना होगा, क्योंकि उसने ऐसा काम किया, और कुछ दया नहीं की।”
7 तब नातान ने दाऊद से कहा, “तू ही वह मनुष्य है। इस्राएल का परमेश्वर यहोवा यह कहता है, ‘मैंने तेरा अभिषेक करके तुझे इस्राएल का राजा ठहराया, और मैंने तुझे शाऊल के हाथ से बचाया;
8 फिर मैंने तेरे स्वामी का भवन तुझे दिया, और तेरे स्वामी की पत्नियाँ तेरे भोग के लिये दीं; और मैंने इस्राएल और यहूदा का घराना तुझे दिया था; और यदि यह थोड़ा था, तो मैं तुझे और भी बहुत कुछ देनेवाला था।
9 तूने यहोवा की आज्ञा तुच्छ जानकर क्यों वह काम किया, जो उसकी दृष्टि में बुरा है? हित्ती ऊरिय्याह को तूने तलवार से घात किया, और उसकी पत्नी को अपनी कर लिया है, और ऊरिय्याह को अम्मोनियों की तलवार से मरवा डाला है।
10 इसलिए अब तलवार तेरे घर से कभी दूर न होगी, क्योंकि तूने मुझे तुच्छ जानकर हित्ती ऊरिय्याह की पत्नी को अपनी पत्नी कर लिया है।’
जब परमेश्वर ने सीनै पर्वत पर दस आज्ञाएँ दीं, तब मूसा भी भय से काँप रहा था। लोगों ने मूसा से कहा, तू ही हम से बातें कर, तब तो हम सुन सकेंगे; परन्तु परमेश्वर हम से बातें न करे, ऐसा न हो कि हम मर जाएँ” (निर्गमन 20:19 )। तब परमेश्वर ने मूसा से बातें की, और मूसा ने परमेश्वर की बातें लोगों से कही। यह पुराने नियम के भविष्यवक्ताओं की सेवकाई थी।
जिन लोगों को सत्ता के पद दिए जाते हैं, वे अक्सर यह महसूस करने लगते हैं कि वे किसी तरह से उन नियमों से परे हैं। जो दूसरों पर लागू होते हैं। दाऊद के लिए ऐसा ही था। एक दिन राजा ने बतशेबा नाम की एक विवाहित स्त्री को देखा। दाऊद के पास वह शक्ति थी कि वह जो चाहे उसे पा सकता था, इसलिए उसने परमेश्वर की व्यवस्था को अनदेखा कर दिया और स्त्री को ले गया।
दाऊद यहोवा से प्रेम करता था, परन्तु परमेश्वर से प्रेम करने वाले ह्रदय भी कुछ अजीबोगरीब चीज़ों से मोहित हो सकते है। बतशेबा के लिए दाऊद की भावनाएँ परमेश्वर के लिए पूरी तरह से अपमानजनक थी, परन्तु दाऊद की भावनाएं उसके लिये इतनी गहरी थी की उसने उन्हें प्रभु से ऊपर रखा।
जब दाऊद को पता चला कि बतशेबा गर्भवती है, तो उसने अपनी गलतियों को ढाकने के लिए हर तरीके का प्रयास किया। दाऊद ने आदेश दिया कि उस स्त्री के पति ऊरिय्याह को सेना से समाचार लाने की आड़ में युद्ध के मैदान से घर भेज दिया जाए। यदि ऊरिय्याह अपनी पत्नी के साथ घर पर कुछ रातें बिताता, तो वह उस बच्चे के पिता के रूप में पहचाना जाता।
परन्तु यह काम नहीं किया। ऊरिय्याह एक कर्तव्यनिष्ठ सैनिक था, और उसे यह ठीक नहीं लगा कि उसे अपनी पत्नी के साथ घर पर होना चाहिए जबकि अन्य लोग युद्ध के मैदान में अपनी जान जोखिम में डाल रहे थे। इसलिए दाऊद को और अधिक भयंकर उपायों का सहारा लेना पड़ा। उसने आदेश दिया कि ऊरिय्याह को सबसे घोर युद्ध की सीमा के सामने रखा जाए, जिससे उसकी मृत्यु निश्चित हो जाये ( 2 शमूएल 11:5-17)।
कुछ समय बाद, हाल ही में विधवा हुई बतशेबा को दाऊद ने अपनी पत्नी बना लिया। यह सब कुछ बिना किसी सार्वजनिक ज्ञान के हुआ। इस चीज़ को बहुत चतुराई से छुपाया गया। एक बात को छोड़करः “परन्तु उस काम से जो दाऊद ने किया था यहोवा क्रोधित हुआ” (11:27)। परमेश्वर ने देखा कि क्या किया गया था, और वह चुप नहीं रहे।
परमेश्वर का वचन बोलना
दाऊद यह सोच रहा था कि उसके इस शर्मनाक कार्य को छुपाना सफल हो गया, जब तक कि नातान भविष्यवक्ता महल में नहीं आया। एक चतुर दृष्टान्त का उपयोग करते हुए, नातान ने दाऊद को एक धनी व्यक्ति के बारे में बताया जिसने एक गरीब व्यक्ति का मेमना चुरा लिया था। जब दाऊद ने कहानी सुनी तो वह उस आदमी पर क्रोध से भर गया जिसने वह कार्य किया था। वह जानना चाहता था कि वह आदमी कौन था ताकि वह उसे न्याय के कटघरे में खड़ा देख सके।
ध्यान दें कि जिस बात ने दाऊद को क्रोधित किया वह उसके अपने पाप का प्रतिबिम्ब था । अमीर आदमी ने वह ले लिया जो दूसरे व्यक्ति का था, और वह उससे बहुत अधिक प्रेम करता था। यह पाप दाऊद ने किया था। और जब उस ने किसी और अपना पाप देखा, तो उसे उससे घृणा हुई और उसने उसको दोषी ठहराया।
जब किसी और का पाप आपको क्रोधित करता है, तो आप वहाँ यह कर सकते हैं: इसे प्रतिरूपित करें और लिखें कि यह क्या है। यह लालच है। यह अभिमान है। यह वासना है। यह धोखा है। यह मूर्ति पूजा है। फिर परमेश्वर से आपको यह दिखाने के लिए कहें कि आप अपने जीवन में इन चीजों के लिए कहाँ दोषी हो सकते हैं। जो बात आपको दूसरों में सबसे ज्यादा गुस्सा दिलाती है, वह आपके अपने दिल में छुपी हो सकती है।
परमेश्वर ने दाऊद की आंखें उसके हृदय में छिपे पाप के लिए खोली जब नातान ने कहा, “तू ही वह मनुष्य है!” ( 12:7)। दाऊद के बचाव का पर्दाफाश हो गया था। परन्तु इस कार्य में परमेश्वर की कृपा थी । दाऊद अंधकार में चला गया था, और परमेश्वर ने उसे वापस लाने के लिए एक भविष्यद्वक्ता को भेजा।
सदियों से, परमेश्वर ने भविष्यवक्ताओं के माध्यम से अपना वचन सुनाया। परन्तु समय की परिपूर्णता में, परमेश्वर ने अपने पुत्र को भेजा (इब्रानियों 1:1-2 देखें): “वचन देहधारी हुआ और हमारे बीच में डेरा किया” (यूहन्ना 1:14)।
भविष्यवक्ताओं ने परमेश्वर का वचन सुना, परन्तु यीशु परमेश्वर का वचन है। जो वचन उन्होंने कहे थे वह पिता के द्वारा दिए गए थे: “क्योंकि मैं ने अपनी ओर से बातें नहीं कीं; परन्तु पिता जिसने मुझे भेजा है उसी ने मुझे आज्ञा दी है कि क्या क्या कहूँ और क्या क्या बोलूँ?… इसलिए मैं जो कुछ बोलता हूं, वह जैसा पिता ने मुझ से कहा है वैसा ही बोलता हूँ” (यूहन्ना 12:49-50) ।
परन्तु यीशु एक भविष्यवक्ता से बढ़कर है। उन्होंने वह दावा किया जो कोई अन्य भविष्यद्वक्ता कहने की हिम्मत नहीं करेगा: “मैं और पिता एक हैं” और “जिसने मुझे देखा है उसने पिता को देखा है” (यूहन्ना 10:30; 14:9)।
वह सब कुछ जो परमेश्वर को आपसे कहना है, यीशु मसीह में व्यक्त किया गया है। इसलिए आज हमें किसी और भविष्यवक्ता की जरूरत नहीं है। परमेश्वर ने अतीत में भविष्यद्वक्ताओं द्वारा बात की थी, परन्तु वे सभी यीशु की ओर इशारा कर रहे थे जो परमेश्वर का वचन है।
भविष्यवक्ता के जूते में खड़ा होना
एक भविष्यवक्ता के लिए परमेश्वर के वचन को प्राप्त करना कैसा था? प्रेरित पतरस हमें इस बारे में नए नियम में बताता है: “पर पहले यह जान लो कि पवित्रशास्त्र की कोई भी भविष्यद्ववाणी किसी के अपने ही विचारधारा के आधार पर पूर्ण नहीं होती, क्योंकि कोई भी भविष्यद्ववाणी मनुष्य की इच्छा से कभी नहीं हुई, पर भक्तजन पवित्र आत्मा के द्वारा उभारे जाकर परमेश्वर की ओर से बोलते थे” (2 पतरस 1:20-21)
पतरस यहाँ जो कह रहा है उसे समझने का सबसे अच्छा तरीका प्रेरितों के काम की पुस्तक की कहानी द्वारा है। पौलुस गिरफ़्तार था, और उसे जहाज से रोम ले जाया जा रहा था। लूका ने ये दर्ज किय है: “परन्तु थोड़ी देर में जमीन की ओर से एक बड़ी आँधी उठी, जो ‘यूरकुलीन’ कहलाती है। जब आँधी जहाज पर लगी तो वह उसके सामने ठहर न सका, अतः हम ने उसे बहने दिया और इसी तरह बहते हुए चले गए” (प्रेरितों के काम 27:14-15)।
जो शब्द लूका ने जहाज को हवा के द्वारा “चलाए जाने” के लिए इस्तेमाल किया था, वही शब्द पतरस ने पवित्र आत्मा द्वारा भविष्यवक्ताओं को “साथ ले जाने के लिए इस्तेमाल किया। जब आप एक तूफान में साथ ले जा रहे जहाज में होते हैं तो आपका कितना नियंत्रण होता है? बहुत ज्यादा नहीं । नाव की दिशा हवा द्वारा नियंत्रित होती है। भविष्यद्वक्ताओं का संदेश पवित्र आत्मा द्वारा नियंत्रित किया गया था।
भविष्यद्वक्ताओं के शब्द परमेश्वर की ओर से आए थे। ये लोग “परमेश्वर की ओर से बोले (2 पतरस 1:21 ) । उन्होंने संदेश को नियंत्रित नहीं किया; संदेश ने उन्हें नियंत्रित किया। यह उनके पास परमेश्वर की ओर से एक तेज हवा की तरह आया, और उन्हें साथ ले गया ताकि उन्होंने जो लिखा वह ठीक वैसा ही हो जैसा परमेश्वर उनसे कहना चाहते थे।
हम कैसे जानते हैं कि परमेश्वर कौन है? हम कैसे जानते हैं कि सत्य क्या है? इसका उत्तर है कि परमेश्वर बोलते हैं। भविष्यवक्ताओं को परमेश्वर की उपस्थिति में खड़े होने और परमेश्वर की आवाज सुनने का अनूठा विशेषाधिकार दिया गया था, ताकि वे लोगों को परमेश्वर के वचन बता सकें। यदि ईश्वर ने स्वयं को प्रकट नहीं किया होता, तो हमारे पास केवल मानवीय अनुभव का योग होता, जिनमें से अधिकांश अत्यंत पीड़ादायक होते । राय की दुनिया में, परमेश्वर ने सत्य प्रकाशित किया है।
इस प्रकार भविष्यद्वक्ता उन चीजों के बारे में बात कर सकते थे जिन्हें अन्यथा नहीं जाना जा सकता था । यशायाह ने एक कुंवारी के बारे में बात की जो गर्भवती होगी और एक पुत्र को जन्म देगी (यशायाह 7:14)। जकर्याह ने एक ऐसे राजा के बारे में बताया जो गधे पर सवार होकर यरूशलेम आएगा ( जकर्याह 9:9)। इन बातों को भविष्यद्वक्ता केवल तभी जान सकते थे जब परमेश्वर उन्हें बताते ।
नातान को दाऊद के व्यभिचार के बारे में कैसे पता चला? परमेश्वर ने उससे कहा ! परमेश्वर ने नातान से बात की और दाऊद के राज़ का पर्दा फाश कर दिया।
परमेश्वर के वचन का जवाब
जब परमेश्वर ने नातान के द्वारा दाऊद का सामना किया, तब राजा ने कहा, “मैं ने यहोवा के विरुद्ध पाप किया है” (2 शमूएल 12:13)। दाऊद कह सकता था, “नातान, तुम नहीं समझते। मेरी शादी को ख़तम हुए कई साल हो चुके हैं।” हो सकता है कि यह सच हो। या दाऊद यह कह सकता था, “नातान, मुझे पता है कि मैंने गलत किया है, परन्तु अन्य नेताओं ने भी वही काम किये है या इससे भी बदतर।” यह भी सच हो सकता था। परन्तु दाऊद ने कोई बहाना नहीं बनाया। उसने कहा, “मैंने यहोवा के विरुद्ध पाप किया है।” क्या आप ऐसा कह सकते थे ? जब आपका पाप सामने आता है तो आप परमेश्वर के वचन के प्रति कैसी प्रतिक्रिया दिखाते हैं, यह आपके बारे में बहुत कुछ कहेगा।
दाऊद ने जाना कि ईमानदार अंगीकार करने से परमेश्वर की ओर से क्षमा प्राप्त होती है। उसकी दबी हुयी अंतरात्मा का दर्द दूर हो गया, और उसके उद्धार का आनंद फिर से बहाल हो गया।
हज़ार साल बाद, परमेश्वर ने हेरोदेस नाम के एक और राजा का सामना एक भविष्यवक्ता के माध्यम से किया जिसका नाम यूहन्ना बपतिस्मा देने वाला था । हेरोदेस को आध्यात्मिक बातों में बहुत दिलचस्पी थी, और उसे यूहन्ना का उपदेश सुनना अच्छा लगता था।
एक दिन परमेश्वर ने यूहन्ना को हेरोदेस से उसके भाई की पत्नी के साथ उसके अवैध संबंधों के बारे में बात करने के लिए वचन दिए । राजा इसे सुनना नहीं चाहता था, और अंत में, उसने आदेश दिया कि यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले के सिर को एक थाली पर उसके पास लाया जाए।
इस अत्याचार के बावजूद, हेरोदेस यीशु से मिलने में रुचि रखता था। और जब उसे अवसर मिला, तो उसने उनसे बहुत से प्रश्न पूछे, परन्तु यीशु ने उत्तर देने से इन्कार कर दिया (लूका 23:9)। हेरोदेस ने यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले के द्वारा परमेश्वर के वचन को अस्वीकार कर दिया था। उसने अपने हृदय को कठोर कर लिया था, और अब उद्धारकर्ता के पास उससे कहने के लिए और कुछ नहीं था।
जहाँ तक हम बता सकते हैं, अगली बार जब परमेश्वर ने हेरोदेस से बात की तो वह बिना किसी भविष्यवक्ता और बिना उद्धारकर्ता के था। अगली बार जब उसने परमेश्वर का वचन सुना, तो वह परमेश्वर की उपस्थिति में था ।
दाऊद ने हेरोदेस से बेहतर चुनाव किया। उसने परमेश्वर के वचन को तब भी सुना जब उसका पाप सामने आया, और उसने विश्वास और पश्चाताप के साथ प्रतिक्रिया व्यक्त की। परमेश्वर ने दाऊद को पुनर्स्थापित किया, और उन्होंने इसे अपने वचन के द्वारा किया।
यदि आपने कभी चाहा है कि परमेश्वर आपसे बात करे, तो आपको यह जानने की आवश्यकता है कि वे आपसे बात करते हैं। परमेश्वर अपने वचन के द्वारा अपनी आत्मा से बोलते हैं। जब उनका वचन खोला जाता है, तो उनकी आवाज सुनाई देती है।
जब आप बाइबल का अध्ययन करते हैं और इसकी घोषणा सुनते हैं, तो आप पाएंगे कि परमेश्वर कुछ ऐसी बातें कहते है जिसे अपनाना कठिन हो सकता है। अपने पापों के बारे में सच्चाई सुनकर आप असहज हो सकते हैं। परन्तु जब भी परमेश्वर बात करते हैं, तो यह उनकी कृपा का प्रतीक है। उनका उद्देश्य हमेशा बहाली लाना और आशीषित करना है। जब आप बाइबल खोलते हैं, तो आप परमेश्वर के वचन को पढ़ रहे होते हैं और आप परमेश्वर की कही हुई हर बात पर विश्वास कर सकते हैं।
परमेश्वर के वचन के साथ आगे जुड़ने के लिए इन प्रश्नों का प्रयोग करें। किसी अन्य व्यक्ति के साथ उनकी चर्चा करें या व्यक्तिगत प्रतिबिंब प्रश्नों के रूप में उनका उपयोग करें।
1- क्या आपने कभी अपने किसी काम को छुपाने की कोशिश की है, और फिर बाद में परमेश्वर ने उसे प्रकट किया? क्या हुआ?
2- अपने शब्दों में, आप कैसे वर्णन करेंगे कि एक भविष्यद्वक्ता के लिए परमेश्वर से एक वचन प्राप्त करना कैसा था?
3- आज हमें भविष्यद्वक्ताओं की अब और आवश्यकता क्यों नहीं है?
4- क्या आपने कभी यह चाहा है कि परमेश्वर आप से बात करें?
5- आपने बाइबल में अब तक की सबसे असहज बात क्या पढ़ी है? आप परमेश्वर के वचन के प्रति कैसी प्रतिक्रिया दिखा रहे हैं? इससे आपके जीवन में क्या फर्क पड़ा है?