नहेम्याह 8: 1-18
1 जब सातवाँ महीना निकट आया, उस समय सब इस्राएली अपने-अपने नगर में थे। तब उन सब लोगों ने एक मन होकर, जलफाटक के सामने के चौक में इकट्ठे होकर, एज्रा शास्त्री* से कहा, कि मूसा की जो व्यवस्था यहोवा ने इस्राएल को दी थी, उसकी पुस्तक ले आ।
2 तब एज्रा याजक सातवें महीने के पहले दिन को क्या स्त्री, क्या पुरुष, जितने सुनकर समझ सकते थे, उन सभी के सामने व्यवस्था को ले आया।
3 वह उसकी बातें भोर से दोपहर तक उस चौक के सामने जो जलफाटक के सामने था, क्या स्त्री, क्या पुरुष और सब समझने वालों को पढ़कर सुनाता रहा; और लोग व्यवस्था की पुस्तक पर कान लगाए रहे।
4 एज्रा शास्त्री, काठ के एक मचान पर जो इसी काम के लिये बना था, खड़ा हो गया; और उसकी दाहिनी ओर मत्तित्याह, शेमा, अनायाह, ऊरिय्याह, हिल्किय्याह और मासेयाह; और बाईं ओर, पदायाह, मीशाएल, मल्किय्याह, हाशूम, हश्बद्दाना, जकर्याह और मशुल्लाम खड़े हुए।
5 तब एज्रा ने जो सब लोगों से ऊँचे पर था, सभी के देखते उस पुस्तक को खोल दिया; और जब उसने उसको खोला, तब सब लोग* उठ खड़े हुए।
6 तब एज्रा ने महान परमेश्वर यहोवा को धन्य कहा; और सब लोगों ने अपने-अपने हाथ उठाकर आमीन, आमीन, कहा; और सिर झुकाकर अपना-अपना माथा भूमि पर टेककर यहोवा को दण्डवत् किया।
7 येशू, बानी, शेरेब्याह, यामीन, अक्कूब, शब्बतै, होदिय्याह, मासेयाह, कलीता, अजर्याह, योजाबाद, हानान और पलायाह नामक लेवीय, लोगों को व्यवस्था समझाते गए, और लोग अपने-अपने स्थान पर खड़े रहे।
8 उन्होंने परमेश्वर की व्यवस्था की पुस्तक से पढ़कर अर्थ समझा दिया; और लोगों ने पाठ को समझ लिया।
9 तब नहेम्याह जो अधिपति था, और एज्रा जो याजक और शास्त्री था, और जो लेवीय लोगों को समझा रहे थे, उन्होंने सब लोगों से कहा, “आज का दिन तुम्हारे परमेश्वर यहोवा के लिये पवित्र है; इसलिए विलाप न करो और न रोओ।” क्योंकि सब लोग व्यवस्था के वचन सुनकर रोते रहे।
10 फिर उसने उनसे कहा, “जाकर चिकना-चिकना भोजन करो और मीठा-मीठा रस पियो, और जिनके लिये कुछ तैयार नहीं हुआ उनके पास भोजन सामग्री भेजो; क्योंकि आज का दिन हमारे प्रभु के लिये पवित्र है; और उदास मत रहो, क्योंकि यहोवा का आनन्द तुम्हारा दृढ़ गढ़ है।”
11 अतः लेवियों ने सब लोगों को यह कहकर चुप करा दिया, “चुप रहो क्योंकि आज का दिन पवित्र है; और उदास मत रहो।”
12 तब सब लोग खाने, पीने, भोजन सामग्री भेजने और बड़ा आनन्द मनाने को चले गए, क्योंकि जो वचन उनको समझाए गए थे, उन्हें वे समझ गए थे। (झोपड़ियों का पर्व)
13 दूसरे दिन भी समस्त प्रजा के पितरों के घराने के मुख्य-मुख्य पुरुष और याजक और लेवीय लोग, एज्रा शास्त्री के पास व्यवस्था के वचन ध्यान से सुनने के लिये इकट्ठे हुए।
14 उन्हें व्यवस्था में यह लिखा हुआ मिला, कि यहोवा ने मूसा को यह आज्ञा दी थी, कि इस्राएली सातवें महीने के पर्व के समय झोपड़ियों में रहा करें,
15 और अपने सब नगरों और यरूशलेम में यह सुनाया और प्रचार किया जाए, “पहाड़ पर जाकर जैतून, तैलवृक्ष, मेंहदी, खजूर और घने-घने वृक्षों की डालियाँ ले आकर झोपड़ियाँ बनाओे, जैसे कि लिखा है।”
16 अतः सब लोग बाहर जाकर डालियाँ ले आए, और अपने-अपने घर की छत पर, और अपने आँगनों में, और परमेश्वर के भवन के आँगनों में, और जलफाटक के चौक में, और एप्रैम के फाटक के चौक में, झोपड़ियाँ बना लीं।
17 वरन् सब मण्डली के लोग जितने बँधुआई से छूटकर लौट आए थे, झोपड़ियाँ बनाकर उनमें रहे। नून के पुत्र यहोशू के दिनों से लेकर उस दिन तक* इस्राएलियों ने ऐसा नहीं किया था। उस समय बहुत बड़ा आनन्द हुआ।
18 फिर पहले दिन से अन्तिम दिन तक एज्रा ने प्रतिदिन परमेश्वर की व्यवस्था की पुस्तक में से पढ़ पढ़कर सुनाया। वे सात दिन तक पर्व को मानते रहे, और आठवें दिन नियम के अनुसार महासभा हुई।
योशिय्याह द्वारा लोगों को बाइबल की ओर वापस बुलाने के असफल प्रयास के कुछ वर्षों बाद, परमेश्वर ने शत्रुओं द्वारा अपने ही देश को मलबे के ढेर में बदलने की अनुमति दी । बाबुल की सेना ने यरूशलेम को घेर लिया। बहुत सारे लोग मारे गए, और जो बच गए वे या तो अपनी जान बचाने के लिए भाग गए या उन्हें बंदी बना लिया गया और बाबुल में पुनर्वास शिविरों में भेज दिया गया। परन्तु परमेश्वर ने अपने लोगों को नहीं छोड़ा, और सत्तर वर्षों के बाद, एक छोटा समुदाय शहर के पुनर्निर्माण के लिए वापस आया।
जिस शहर में परमेश्वर ने अपना नाम रखा था, वह सुलगता हुआ एक खंडहर बन गया, और जहाँ विश्वासियों के एक समुदाय ने आराधना में अपनी आवाज उठाई थी, वहां सन्नाटा छा गया। वह मंदिर जो कभी परमेश्वर की उपस्थिति के बादल से भरा हुआ था, पूरी तरह से नष्ट हो गया था।
परन्तु बाबुल साम्राज्य ने मादियों और फारसियों के बढ़ते साम्राज्य को रास्ता दिया, और एक नए राजा, साइरस ने यह फरमान दिया कि जो भी निर्वासित यहूदी यरूशलेम लौटने और मंदिर के पुनर्निर्माण की इच्छा रखते हैं, वे ऐसा करने के लिए स्वतंत्र हैं। लगभग पचास हजार लोगों ने चुनौती का जवाब दिया (एज्रा 2:64-67)।
परमेश्वर के नगर का पुनर्निर्माण
इतने बड़े कार्य के लिए यह एक छोटा समूह था, परन्तु वे मंदिर के पुनर्निर्माण और परमेश्वर के नगर में एक नया समुदाय बनाने के दर्शन से उत्साहित थे।
उनका नेता जरुब्बाबेल नाम का एक निर्माणकर्ता था, और उसकी पहली चुनौती घरों के निर्माण की देखरेख करना थी। जब उनके पूर्वज प्रतिज्ञात देश में आए, तब परमेश्वर ने उन्हें वे घर दिए जिन्हें उन्होंने नहीं बनाया था और दाख की बारियां दी जिसे उन्होंने नहीं लगाईं थी । परन्तु जब निर्वासित लोग वापस लौटे, तो उन्हें खुद हर लकड़ी को काटना और हर कील को ठोकना पड़ा। अपने घरों के निर्माण के बाद, परमेश्वर के लोगों ने मंदिर के पुनर्निर्माण का कार्य आरंभ किया (एज्रा 3) |
तब परमेश्वर ने एज्रा नाम के एक बाइबल के शिक्षक को खड़ा किया। वह “मूसा की व्यवस्था के विषय, जिसे इस्राएल के परमेश्वर यहोवा ने दी थी, निपुण शास्त्री था। उसके परमेश्वर यहोवा की कृपादृष्टि जो उस पर रही” (एज्रा 7:6) | जब एज्रा यरूशलेम में आया, तो वह घबरा कर बैठ गया और दिन के अंत तक स्तब्ध मौन होकर वहीं पर रहा (एज्रा 9:24)। उसे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि परमेश्वर के नगर में परमेश्वर के लोग परमेश्वर के वचन के बारे में इतना कम जानते हैं।
कुछ समय बाद परमेश्वर ने एक प्रतिभाशाली योजनाकार और आयोजक को खड़ा किया जिसका नाम नहेम्याह था। जब वह यरूशलेम में आया, तो उसने देखा कि उस नगर में कोई सुरक्षा नहीं थी और परमेश्वर ने उसके मन में डाला की वो फिर से शहरपनाह को बनवाये।
यरूशलेम के पुनर्निर्माण की कहानी इस बात का एक अद्भुत उदाहरण है कि कैसे परमेश्वर अपना कार्य पूरा करने के लिए लोगों के विभिन्न वरदानों को एक साथ लातें हैं। परमेश्वर ने एक ईमारत बनाने वाले, एक बाइबल शिक्षक, और एक रणनीतिक योजनाकार का उपयोग किया, और साथ में, परमेश्वर के लोगों ने महान चीजें हासिल कीं।
बाइबल को बाहर लाओ!!
एज्रा के सामने ऐसे लोगों के समुदाय को बाइबल सिखाने की चुनौती थी जो सोचते थे कि वे प्रभु को जानते हैं, परन्तु वे परमेश्वर के वचन के बारे में बहुत कम जानते थे। वे लोग जिन्होंने एक धर्मनिरपेक्ष संस्कृति में अपना जीवन व्यतीत किया था, उन्हें एक ऐसे उपासक समुदाय में कैसे ढाला जा सकता था जो प्रभु से प्रेम करें और उसकी आज्ञा माने?
एज्रा की रणनीति पूरे समुदाय को, लगभग पचास हजार लोग, सार्वजनिक चौराहे पर इकट्ठा करने की थी। जब वे इकट्ठे हुए, “उन्होंने एज्रा शास्त्री से कहा कि मूसा की जो व्यवस्था यहोवा ने इस्राएल को दी थी, उसकी पुस्तक ले आ” (नहेम्याह 8:1)।
पचास हजार लोग एक अनुरोध कैसे कर सकते हैं? वे जप करते हैं! यह भीड़ परमेश्वर के वचन के लिए एक बड़ी भूख के साथ इकट्ठी हुई, और घटनाओं के घटित होने के लिए अधीर होते हुए, वे चिल्लाने लगे: “हमें बाइबल चाहिए; बाइबल निकालो!” एज्रा के लिए शास्त्रों को बाहर लाना और इस विशाल भीड़ को परमेश्वर का वचन सिखाना बहुत खुशी की बात रही होगी।
“तब एज्रा याजक सातवें महीने के पहले दिन को क्या स्त्री, क्या पुरुष, जितने सुनकर समझ सकते थे, उन सभों के सामने व्यवस्था को ले आया” (8:2) | यानी उनमे बच्चे भी शामिल थे। बच्चों को ऐसे माहौल में लाना एक शक्तिशाली बात है जहां वे बड़ों को आराधना करते हुए और परमेश्वर के वचन को गंभीरता से लेते हुए देखते हैं।
बड़ी उम्मीदें
भीड़ उम्मीद से देख रही थी, और जब एज्रा ने पवित्रशास्त्र खोला, तो लोग खड़े हो गए ( 8:5)। तब “एज्रा ने महान् परमेश्वर यहोवा को धन्य कहा; और सब लोगों ने अपने अपने हाथ उठाकर आमीन, आमीन, कहा; और सिर झुकाकर अपना अपना माथा भूमि पर टेक कर यहोवा को दण्डवत् किया” (8:6)।
हजार वर्ष बीत चुके थे जब परमेश्वर ने मूसा को अपना वचन दिया था, परन्तु जब पवित्र शास्त्र खोला गया और समझाया गया, तब लोगों ने समझा कि परमेश्वर उनसे बात कर रहे हैं। जब उन्होंने इस पुस्तक को सुना, तो वे जान गए कि वे किसी मनुष्य की बातें नहीं सुन रहे थे, वे परमेश्वर का वचन सुन रहे थे।
ध्यान दें, एज्रा ने परमेश्वर का नया वचन सुनने के लिए सीनै पर्वत की यात्रा नहीं की। उसने व्यवस्था की पुस्तक खोली, जो कि हजार वर्ष पुरानी थी, यह विश्वास करते हुए कि जब परमेश्वर का वचन खोला जाता है, तो परमेश्वर की आवाज सुनाई देती है।
अर्थ स्पष्ट करना
एज्रा का प्रचार बाइबिल के पाठ से शुरू हुआ। उन्होंने उस संदेश को समझाया जो पहले ही दिया जा चुका था। परमेश्वर ने अपने वचन को आशीषित करने की प्रतिज्ञा की है (यशायाह 55:11)। इसलिए प्रचारक का कार्य अपने शब्दों को परमेश्वर के वचनों से भरना है ताकि परमेश्वर के लोग आशीषित हों।
एज्रा को अपने कार्य में लेवियों द्वारा समर्थन मिला : “उन्होंने परमेश्वर की व्यवस्था की पुस्तक से पढ़कर अर्थ समझा दिया; और लोगों ने पाठ को समझ लिया” ( नहेमायाह 8:8 )। ऐसा प्रतीत होता है कि लेवी भीड़ में बिखर गए थे। एज्रा व्यवस्था का एक भाग पढ़ता और उसका मतलब समझाता । तब लेवी अपने आस-पास के लोगों को छोटे-छोटे पारिवारिक समूहों में इकट्ठा करते थे और पूछते थे कि क्या उन्हें समझ में आया कि क्या पढ़ा गया था। जब हर कोई समझ कर तैयार हो जाता, तब एज्रा आगे पढ़ना जारी करता ( 8:7-8)|
एज्रा के प्रचार और इस छोटे समूह की स्थापना के बीच सीधा संबंध था जिसमें लोगों को प्रश्न पूछने और परमेश्वर के वचन को लागू करने का अवसर मिला। बाइबिल को पढ़ना, समझाना और उसे लागू करना एज्रा की परमेश्वर के लोगों के निर्माण के लिए केंद्रीय रणनीति थी।
परमेश्वर की प्रसन्नता
एज्रा ने जैसे ही परमेश्वर की व्यवस्था पढ़ी, लोग विलाप करने लगे और रोने लगे क्योंकि उन्हें एहसास हुआ कि वे उस चीज़ से कितनी दूर थे जिसे बनने लिए परमेश्वर उन्हें बुला रहे थे। तब एज्रा, नहेम्याह और लेवीय ने सब लोगों से कहा, “आज का दिन तुम्हारे परमेश्वर यहोवा के लिये पवित्र है; इसलिये विलाप न करो और न रोओ।” क्योंकि सब लोग व्यवस्था के वचन सुनकर रोते रहे” ( 8:9)।
जब आप परमेश्वर का वचन खोलेंगे, तो आप अपने जीवन में ऐसे पापों की खोज करेंगे जो आपने पहले नहीं देखे थे। और जो बात परमेश्वर के हृदय को दुःखी करती है वह आपके हृदय को भी दुःखी करेगी। परमेश्वर का वचन दोधारी तलवार से भी अधिक तेज़ है। यह छेदता और काटता और घाव करता है (इब्रानियों 4:12)|
परमेश्वर का वचन आपको पाप का बोध कराएगा, परन्तु परमेश्वर का उद्देश्य आपको वहां छोड़ना कभी नहीं है। पाप का बोध हमेशा अंत का एक साधन होता है, और अंत यह है कि हम परमेश्वर के अनुग्रह की गहरी सराहना करने लगते हैं। इसलिए नहेम्याह ने कहा, “आज का दिन हमारे प्रभु के लिये पवित्र है, और उदास मत रहो, क्योंकि यहोवा का आनन्द तुम्हारा दृढ़ गढ़ है” (नहेमायाह 8:10)।
ध्यान दीजिए कि हमारी शक्ति परमेश्वर के आनन्द में निहित है, न कि हमारी। परमेश्वर अपने आप में परम प्रसन्न हैं। “जो परमधन्य और एकमात्र अधिपति और राजाओं का राजा और प्रभुओं का प्रभु है” (1 तीमुथियुस 6:15)|
एक अप्रसन्न परमेश्वर के साथ संगति में कोई आनंद नहीं हो सकता। यदि आप सोचते हैं कि परमेश्वर आपकी ओर सदा के लिए चिड़े रहेंगे, तो आप उनके साथ संगति करने के लिए आकर्षित नहीं होंगे। दुखित व्यक्ति के साथ कौन चलना चाहता है?
यदि आप सोचते हैं कि परमेश्वर आपकी ओर सदा के लिए चिड़े रहतें हैं, तो जब भी परमेश्वर आपके निकट आएंगे, आप छिप जायेंगे। परन्तु जब आप जानते हैं कि परमेश्वर धन्य है, कि वें अपने आप में परम आनंदित है, तो आप उनके साथ चलने के लिए आकर्षित होंगे। जब आप यह करते हैं, तो वह आनंद जो परमेश्वर में है वह आप में और अधिक बढ़ता जाएगा।
आज्ञाकारिता का आनंद
दूसरे दिन, प्रत्येक परिवार के मुखिया एकत्रित हुए। बाइबल को फिर से पढ़ा गया, और “उन्हें व्यवस्था में यह लिखा हुआ मिला कि यहोवा ने मूसा के द्वारा यह आज्ञा दी थी कि इस्राएली सातवें महीने के पर्व के समय झोपड़ियों में रहा करें” (नहेमायाह 8:14 )।
इस त्योहार में प्रत्येक परिवार शाखाओं से झोपड़े बना कर उसमे सात दिनों तक रहा करते थे। यह त्योहार लोगों को याद दिलाता था कि कैसे परमेश्वर ने उनके पूर्वजों को रेगिस्तान में रखा था। यह इस बात को भी याद दिलाता था कि इस दुनिया में सब कुछ अस्थायी है और अब्राहम की तरह, वे एक स्वर्गीय शहर की तलाश कर रहे थे।
मुझे उनकी प्रतिक्रिया की सहजता पसंद आयी। उन्होंने परमेश्वर का वचन सुना और उसका पालन किया: “अतः: सब लोग…… अपने अपने घर की छत पर, और अपने आँगनों में, और परमेश्वर के भवन के आँगनों में, और जलफाटक के चौक में, और एप्रेम के फाटक के चौक में, झोपड़ियाँ बना लीं ” ( 8:16 )।
परमेश्वर के वचन के प्रति इन लोगों की आज्ञाकारिता संक्रामक थी ! सारी मण्डली झोपडिय़ों का निर्माण करके उनमें रहने लगी, “उस समय बहुत बड़ा आनन्द हुआ” ( 8:17)। यह बड़ा आनन्द आपका होगा जब आप परमेश्वर के प्रति आज्ञाकारी होंगे।
परमेश्वर का वचन हमें हमेशा हमारे पापों के लिए दीन करेगा, परमेश्वर के अनुग्रह और दया को देखने के लिए हमें ऊपर उठाएगा, और हमें आज्ञाकारिता के जीवन में ले जाएगा जिसमें हम महान आनन्द पाएंगे।
नहेमायाह के समय से लगभग पाँच सौ वर्ष बाद, येशु झोपड़ियों का पर्व मनाने के लिए यरूशलेम आए (यूहन्ना 7:2)। और “पर्व के अंतिम दिन, जो मुख्य दिन है, यीशु खड़ा हुआ और पुकार कर कहा, “यदि कोई प्यासा हो तो मेरे पास आए और पीए” (यूहन्ना 7:37)।
यदि आप प्यासे हैं तो इसका मतलब है कि आपको अभी तक वह शांति, संतुष्टि और आनंद नहीं मिला है जिसकी आपको तलाश है। यीशु का निमत्रंण आपके लिए है। वह अपने आप को फव्वारे के समान बताते हैं, और कहते हैं, मेरे पास आकर पीओ। विश्वास एक अटूट फव्वारे से पीने जैसा है। यह वह माध्यम है जिसके द्वारा आप मसीह और वह सब कुछ प्राप्त करते हैं जो वह प्रदान करते हैं।
पवित्रशास्त्र में मानव जीवन को बदलने और पूरे समुदाय को नया रूप देने की शक्ति है। जब परमेश्वर का वचन सिखाया जाता है, तो परमेश्वर की वाणी सुनाई देती है। पढ़ी और लागू की गई बाइबल हमारे पापों को उजागर करेगी और परमेश्वर के अनुग्रह को प्रकट करेगी। जब यह पश्चाताप और आज्ञाकारिता की ओर ले जायेगा, तो आप बड़े आनन्द अनुभव करेंगे।
परमेश्वर के वचन के साथ और जुड़ने के लिए इन प्रश्नों का उपयोग करें। उन पर किसी अन्य व्यक्ति के साथ चर्चा करें या उन्हें व्यक्तिगत प्रतिबिंब प्रश्नों के रूप में उपयोग करें।
1- आपने कब और कहाँ देखा है कि परमेश्वर अपना कार्य पूरा करने के लिए विभिन्न वरदानों वाले लोगों के एक समूह को एक साथ लातें हैं?
2- एक बच्चे के रूप में, आपके परिवार में बड़े होते हुए, आपके माता-पिता (या अन्य बड़ो) का आराधना करने और परमेश्वर के वचन के साथ बातचीत करने का आपका क्या अनुभव था?
3- इस कथन का उत्तर दें: “जब परमेश्वर का वचन खोला जाता है, तो परमेश्वर की वाणी सुनी जाती है।”
4- आपने कब परमेश्वर के वचन को अपने पाप के लिए खुद को दोषी ठहराने का अनुभव किया है? क्या इस अनुभव ने आपको आपके पाप में छोड़ दिया? या यह आपको आनंद की ओर ले गया? आपको ऐसा क्यों लगता है कि यह परिणाम था?
5- यीशु का प्रस्ताव “मेरे पास आकर पीओ” आज आपको कैसा लगता है?