लूका 1: 26 – 38
26 छठवें महीने में परमेश्वर की ओर से गब्रिएल स्वर्गदूत गलील के नासरत नगर में,
27 एक कुँवारी के पास भेजा गया। जिसकी मंगनी यूसुफ नाम दाऊद के घराने के एक पुरुष से हुई थी: उस कुँवारी का नाम मरियम था।
28 और स्वर्गदूत ने उसके पास भीतर आकर कहा, “आनन्द और जय तेरी हो, जिस पर परमेश्वर का अनुग्रह हुआ है! प्रभु तेरे साथ है!”
29 वह उस वचन से बहुत घबरा गई, और सोचने लगी कि यह किस प्रकार का अभिवादन है?
30 स्वर्गदूत ने उससे कहा, “हे मरियम; भयभीत न हो, क्योंकि परमेश्वर का अनुग्रह तुझ पर हुआ है।
31 और देख, तू गर्भवती होगी, और तेरे एक पुत्र उत्पन्न होगा; तू उसका नाम यीशु रखना। (यशा. 7:14)
32 वह महान होगा; और परमप्रधान का पुत्र कहलाएगा; और प्रभु परमेश्वर उसके पिता दाऊद का सिंहासन उसको देगा। (भज. 132:11, यशा. 9:6-7)
33 और वह याकूब के घराने पर सदा राज्य करेगा; और उसके राज्य का अन्त न होगा।” (2 शमू. 7:12,16, इब्रा. 1:8, दानि. 2:44)
34 मरियम ने स्वर्गदूत से कहा, “यह कैसे होगा? मैं तो पुरुष को जानती ही नहीं।”
35 स्वर्गदूत ने उसको उत्तर दिया, “पवित्र आत्मा तुझ पर उतरेगा, और परमप्रधान की सामर्थ्य तुझ पर छाया करेगी; इसलिए वह पवित्र* जो उत्पन्न होनेवाला है, परमेश्वर का पुत्र कहलाएगा।
36 और देख, और तेरी कुटुम्बिनी एलीशिबा के भी बुढ़ापे में पुत्र होनेवाला है, यह उसका, जो बाँझ कहलाती थी छठवाँ महीना है।
37 परमेश्वर के लिए कुछ भी असम्भव नहीं है।” (मत्ती 19:26, यिर्म. 32:27)
38 मरियम ने कहा, “देख, मैं प्रभु की दासी हूँ, तेरे वचन के अनुसार मेरे साथ ऐसा हो।” तब स्वर्गदूत उसके पास से चला गया।
पुराने नियम की कहानी ने मानव इतिहास में परमेश्वर के सबसे बड़े हस्तक्षेप के लिए मंच तैयार किया। परमेश्वर ने वादा किए गए व्यक्ति की पहचान के बारे में कई संकेत दिए थे, जिन्हें अक्सर मसीहा या क्रिस्त के रूप में जाना गया है। यह व्यक्ति जो भी होगा, दुनिया में उसका प्रवेश मानव जाति के पूरे इतिहास की सबसे बड़ी घटना होगा। परमेश्वर ने जो कुछ करने का वादा किया था वह सब उनके द्वारा पूरा किया जाएगा।
कल्पना कीजिए कि आप मनमोहक दृश्यों वाले एक खूबसूरत द्वीप पर रह रहे हैं। 1समुद्र तट सैकड़ों मील तक फैले हुए हैं, और यह द्वीप एक विशाल आबादी का घर है।
इन वर्षों के दौरान, द्वीप वासी अक्सर सोचते रहे हैं कि क्षितिज के पार क्या हो सकता है। परन्तु किसी ने भी द्वीप नहीं छोड़ा है, और इसलिए कोई भी वास्तव में नहीं जानता है।
द्वीप वासियों ने वन्य जीवन, पौधों, मौसम और चट्टान संरचनाओं का अध्ययन करने में कई घंटे बिताए हैं। उन्होंने पारिवारिक जीवन को विकसित करने पर भी बहुत ध्यान दिया है । स्वस्थ द्वीप विवाह कैसे करें और द्वीप के बच्चों का पालन-पोषण कैसे करें, इस पर सम्मेलन आयोजित किये गए है।
सभी द्वीप वासी उन निर्वासित लोगों के वंशज हैं जो कई साल पहले हुई एक बड़ी आपदा के कारण बह गए थे – इतने लंबे समय पहले कि अधिकांश निवासियों को इसके बारे में बहुत कम या कुछ भी नहीं पता है।
द्वीप के केंद्र में एक ज्वालामुखी है। कुछ द्वीप वासियों को डर है कि एक दिन यह फूट सकता है, परन्तु अधिकांश इस निष्कर्ष पर पहुँच चुके हैं कि ऐसा कभी नहीं होगा।
एक बोतल में संदेश
एक सुबह, जब आप समुद्र तट पर टहल रहे होते है, आपको रेत में एक प्रतिबिंब दिखाई देता है। जैसे-जैसे आप करीब से देखते हैं, आपको एक हरे रंग की बोतल किनारे पर बहकर आती हुई दिखती है। बोतल के अंदर आपको एक संदेश मिलता है : ” मदद आ रही है।”
अजीब बात है। आपने पहले कभी ऐसा कुछ नहीं देखा होगा । “मदद” ? इतने खूबसूरत द्वीप पर संभवतः किस प्रकार की सहायता की आवश्यकता हो सकती है?
कुछ सप्ताह बाद, आपको एक और बोतल दिखाई देती है, जिस पर एक और संदेश लिखा होता है: “मदद जल्द ही पहुंचेगी!” एक ही संदेश वाली दो बोतलें । ये कहाँ से आ सकती थी?
ये खोज अजीब तरह से बेचैन करने वाली हैं। आख़िरकार, आप एक सुखद द्वीप पर रह रहे हैं और बहुत पूर्ण और संतुष्ट जीवन का आनंद ले रहे हैं। परन्तु बोतलों में लिखे संदेशों से पता चलता है कि किसी तरह की समस्या है।
शायद क्षितिज के उस पार कोई है। और शायद ये कोई पुरुष या महिला या कोई और है जो आपको बता रहा है कि आप खतरे में हैं और इससे बचने के लिए एक योजना है।
परन्तु फिर, ये संदेश द्वीप के दूसरी ओर के बच्चों द्वारा लिखा गया हो सकता है। और अगर उन्होंने बोतलें समुद्र में फेंक दीं, तो ज्वार आसानी से उन्हें वापस बहा के इस ओर ला सकता था।
चाहे कुछ भी हो, आप बोतलों और उनके संदेश को अपने दिमाग से नहीं निकाल सकते: “मदद आ रही है।”
द्वीप वासियों की समस्या
द्वीप वासियों की कहानी हमें बाइबल की बड़ी तस्वीर को समझने में मदद कर सकती है। परमेश्वर ने आपको इसलिए बनाया है ताकि आप उन्हें जान सके, उनका आनंद ले सके और उनकी उपस्थिति में रह सके। परन्तु एक बड़ी विपदा हुई। पाप ने मनुष्य और परमेश्वर के बीच के रिश्ते को तोड़ दिया है, और अब हम एक पतित दुनिया में रहते हैं, जिसकी सारी सुंदरता के बावजूद, उस पर एक अभिशाप लटका हुआ है। हम सभी को द्वीप पर रहते हुए कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है, परन्तु हमारी सबसे बड़ी समस्या यह है कि द्वीप एक दन नट हो जाएगा।
शुरू से ही, परमेश्वर ने वादा किया था कि मदद आएगी। सैकड़ों वर्षों के दौरान उन्होंने पुराने नियम के भविष्यवक्ताओं के माध्यम से एक ही संदेश दोहराया: “निराश मत हो। मैं मदद भेज रहा हूँ। कोई तुम्हें उस ख़तरे से बचाने आएगा जिसे तुम अभी तक पूरी तरह समझ नहीं पाए हो।”
आप एक ऐसी भूमि के लिए पैदा हुए हैं जिसे आपने कभी नहीं देखा है, परन्तु आप वहाँ केवल तभी पहुँच सकते हैं जब कोई आपको बचाने के लिए आएगा। इसी कारण यीशु मसीह संसार में आये । वें ही वह सहायता है जिसका वादा परमेश्वर ने बाइबल कहानी की शुरुआत से किया था।
परमेश्वर पहल करते हैं
यीशु का जन्म पूर्ण रूप से परमेश्वर की पहल पर हुआ था । मरियम एक युवा महिला थी, जो युसूफ नाम के एक व्यक्ति से शादी की तैयारी कर रही थी। वह कुंवारी थी, और परमेश्वर ने उसे यीशु मसीह को दुनिया में लाने वाले के रूप में चुना था। इसलिए उन्होंने स्वर्गदूत जिब्राईल को उससे यह कहने के लिए भेजा: “हे मरियम, भयभीत न हो, क्योंकि परमेश्वर का अनुग्रह तुझ पर हुआ है। देख, तू गर्भवती होगी, और तेरे एक पुत्र उत्पन्न होगा; तू उसका नाम यीशु रखना” (लूका 1:30-31)।
मरियम ने स्वर्गदूत से कहा, “यह कैसे होगा…” (1:34)।
स्वर्गदूत का उत्तर हमें बाइबल के सबसे महान रहस्य की ओर ले जाता है: “स्वर्गदूत ने उसको उत्तर दिया, “पवित्र आत्मा तुझ पर उतरेगा, और परमप्रधान की सामर्थ्य तुझ पर छाया करेगी; इसलिये वह पवित्र जो उत्पन्न होनेवाला है, परमेश्वर का पुत्र कहलाएगा” (1:35)।
मरियम के पुत्र का जन्म परमेश्वर की प्रत्यक्ष पहल के परिणामस्वरूप हुआ। यूसुफ का इससे कोई लेना-देना नहीं था। वह एक बाहरी व्यक्ति था, पूरी चमत्कारी घटना का एक निष्क्रिय साक्षी था । यदि परमेश्वर ने उसे न बताया होता कि क्या हो रहा है, तो उसे ज़रा भी अंदाज़ा नहीं होता । परमेश्वर ने उसे पूरी तरह से दरकिनार कर दिया; यूसुफ का इसमें कोई योगदान नहीं था।
बाइबल में चमत्कारी जन्मों की अन्य कहानियाँ भी हैं। अब्राहम और सारा संतान के लिए तरस रहे थे, और इसहा का जन्म एक चमत्कार था क्योंकि वे दोनों बच्चे पैदा करने की उम्र से काफी आगे निकल चुके थे। जब यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले का जन्म हुआ तो जकर्याह और एलिजाबेथ के लिए भी यही चमत्कार हुआ था।
ये बच्चे परमेश्वर के एक विशेष हस्तक्षेप के परिणामस्वरूप पैदा हुए थे, जो एक पिता और एक माँ के मिलन के माध्यम से कार्य कर रहा था। परन्तु मरियम कुँवारी थी। बच्चे के गर्भधारण करने से पहले यूसुफ का उसके साथ कोई संबंध नहीं था, और बच्चे के जन्म तक उसका उसके साथ कोई संबंध नहीं था (मैथ्यू 1:25)।
मरियम के गर्भ में जीवन परमेश्वर के एक रचनात्मक चमत्कार के माध्यम से आया, जिसे स्वर्गदूत के शब्दों में खूबसूरती से वर्णित किया गया है: “पवित्र आत्मा तुझ पर उतरेगा, और परमप्रधान की सामर्थ्य तुझ पर छाया करेगी” (लूका 1:35)।
नया नियम हमें यीशु की पहचान के बारे में तीन मूलभूत सत्य सिखाता है: वह परमेश्वर है। वह मनुष्य है। और वह पवित्र है।
परमेश्वर की अद्भुत यात्रा
स्वर्गदूत ने मरियम को घोषणा करी कि उसका पुत्र “परमप्रधान का पुत्र कहलाएगा” (लूका 1:32)। वह “परमेश्वर का पुत्र कहलाएगा” (1:35) । वह “परमेश्वर हमारे साथ ” होगा (मत्ती 1:23)।
अपने जन्म से पहले ही, पुत्र परमेश्वर ने सबसे अद्भुत जीवन का आनंद लिया था। आपका जीवन तब शुरू हुआ जब आप अपनी माँ के गर्भ में आए। उस क्षण से पहले, आपका कोई अस्तित्व नहीं था। परमेश्वर ने आपको अस्तित्व में लाने के लिए आपके पिता और आपकी माता के मिलन का उपयोग किया।
परन्तु यीशु के साथ, यह अलग है। उनका जीवन कुंवारी के गर्भ में शुरू नहीं हुआ। अस्तबल में जन्म लेने से पहले उन्होंने परमेश्वर के शाश्वत जीवन को साझा किया: “आदि में वचन था, और वचन परमेश्वर के साथ था, और वचन परमेश्वर था” (यूहन्ना 1: 1)। जिसने पिता का जीवन साझा किया वह हमारे पास आया। वह मानव जाति से उत्पन्न नहीं हुआ, बल्कि वह मानव जाति में आया।
यह अद्भुत सत्य कि यीशु परमेश्वर हैं, सुसमाचार है, क्योंकि केवल परमेश्वर ही हमें अपने साथ मिला सकते हैं। वह रहस्य जो बाकी सभी चीज़ों का बोध कराता है
वह रहस्य जो बाकी सभी चीज़ों का बोध कराता है
एक बार जब हमने यह समझ लिया कि यीशु ही परमेश्वर है, तो हमारे लिए यह समझना भी उतना ही महत्वपूर्ण है कि परमेश्वर मनुष्य बना। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था, और उसके बाद भी ऐसा कभी नहीं हुआ
पुराने नियम में, ऐसे कई अवसर आए जब परमेश्वर दृश्य रूप में प्रकट हुए। इन रूपों को थियोफ़नीज़ कहा जाता है, और उनकी तुलना किसी अभिनेता के कपड़े पहनने या भेष बदलने से की जा सकती है। जब यह प्रदर्शन ख़त्म हो जाता है, तो अभिनेता अपनी पोशाक उतार देता है और नाटकशाला छोड़ देता है । परन्तु यीशु का जन्म बिल्कुल अलग था। परमेश्वर के पुत्र ने मानव शरीर को धारण किया। वे परमेश्वर नहीं रहे, बल्कि वे वास्तव में मनुष्य बन गए।
आप कभी भी यह समझ नहीं पाएंगे कि परमेश्वर मनुष्य कैसे बन सकते हैं, परन्तु यह समझने पर कि उन्होंने ऐसा किया है आपको हर एक चीज़ का अर्थ समझ में आने लगेगा। जब आप देखते हैं कि परमेश्वर यीशु के रूप में मनुष्य बन गए, तो उनके दावे, उनके चमत्कार और उनके पुनरुत्थान सभी सही लगने लगेंगे।
चूँकि यीशु “हमारे साथ परमेश्वर” हैं, इसलिए किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए जब वह हमें बताते हैं कि वे परमेश्वर तक पहुँचने का मार्ग हैं और कोई अन्य मार्ग नहीं है । और जब आप जानते हैं कि परमेश्वर यीशु में हमारे पास आए हैं, तो आप आश्चर्यचकित हो सकते हैं कि परमेश्वर अपने दुश्मनों को उन्हें सूली पर चढ़ाने की अनुमति देंगे, परन्तु जब वें मृतकों में से जी उठे तो आपको आश्चर्य नहीं होगा। आप इसके अलावा और किस नतीजे की उम्मीद करेंगे?
एक नई प्रकार की मानवता
यीशु मसीह एक चीज़ को छोड़कर हर मामले में हमारे जैसे हैं कि – “वह पवित्र है” (लूका 1:35)। इसका मतलब यह है कि यीशु ने कभी भी एक भी पाप नहीं किया। परन्तु इसका मतलब उससे कहीं ज़्यादा है। वह अपने विचारों, अपने इरादों और अपने चरित्र में पवित्र थे । उनका स्वभाव पवित्र था। वह पाप की ओर आकर्षित नहीं थे, और उनकी पाप करने की कोई आंतरिक प्रवृत्ति नहीं थी। पूरे मानव इतिहास में कभी कोई दूसरा नहीं हुआ जिसके बारे में ऐसा कहा जा सके।
प्रेरित पौलुस एक अच्छे इंसान थे जो पवित्र जीवन जीना चाहते थे। उनका जन्म एक विशेषाधिकार प्राप्त परिवार में हुआ था और उन्होंने बेहतरीन विद्यालय में शिक्षा प्राप्त की थी। उनके माता-पिता ने उन्हें वह सब कुछ दिया जो वह चाहते थे, केवल एक चीज़ को छोड़कर : वे उन्हें पवित्रता नहीं दे सके। उन्हें अपने माता-पिता से जो स्वभाव विरासत में मिला था वह पवित्रता से कोसों दूर था।
माता-पिता अपने बच्चों को कई अच्छी चीजें देते हैं, परन्तु पवित्रता उनमें से एक नहीं है। यह हमारे अंदर नहीं है। जो पैदा हुआ है वह पवित्र नहीं है, और जो पवित्र है वह तब तक पैदा नहीं हुआ जब तक यीशु मसीह दुनिया में नहीं आए ।
यीशु न एक नई मानवता का मार्ग प्रशस्त किया जो पवित्र होगी, पाप से मुक्त होगी, और इस प्रकार अब मृत्यु के अधीन नहीं होगी। परमेश्वर का उद्देश्य हमेशा यह रहा है कि यीशु उन अनेक लोगों में से प्रथम होंगे जो उनके माध्यम से मृत्यु पर विजय प्राप्त करेंगे और परमेश्वर की पवित्र उपस्थिति के आनंद में सदैव जीवित रहेंगे।
पूरे पुराने नियम में, परमेश्वर ने वादा किया था कि सहायता आ रही है। यीशु मसीह में, वह सहायता आ गयी है। पुत्र परमेश्वर एक अद्भुत यात्रा पर आए । उन्होंने मानव शरीर को धारण किया और एक कुंवारी से पैदा हुए। वह नीचे आये, हमारे बीच रहे, और हमारे पापों को उठाने के लिए क्रूस पर चले गये । परमेश्वर के रूप में, उन्होंने हमें अपने साथ वापस मिला लिया। मनुष्य के रूप में, उन्होंने हमें परमेश्वर के क्रोध से बचाया। पवित्र व्यक्ति के रूप में, वह हमें पवित्र जीवन के लिए सशक्त बनाते हैं, और एक दिन वह अपनी पवित्र उपस्थिति के आनंद में हमारा स्वागत करेंगे।
टिप्पणियाँ:
1. मूल विचार को युगेनी पेटर्सन के एक अंश से रूपांतरित किया गया, वर्किंग द एंगल्स (ग्रैंड रैपिड्स: एर्डमैन्स, 1987), 139 एफ एफ पीटरसन ने इसे वॉकर पर्सी के निबंध / दृष्टान्त, द मेसेज इन ए बॉटल (न्यूयॉर्क: फर्रार स्ट्रॉस और गिरौक्स, 1975) से रूपांतरित किया।
परमेश्वर के वचन के साथ और जुड़ने के लिए इन प्रश्नों का उपयोग करें। उन पर किसी अन्य व्यक्ति के साथ चर्चा करें या उन्हें व्यक्तिगत प्रतिबिंब प्रश्नों के रूप में उपयोग करें।
1. बाइबल का संदेश कि “मदद आ रही है” पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है? क्या आप इससे बेचैन हैं ? जिज्ञासु हैं? चिंतामुक्त हैं? संशयवादी हैं? अन्य हैं? क्यों?
2. विश्व के इतिहास में यीशु के जन्म को कौन सी चीज़ पूरी तरह से अद्वितीय बनाती है ?
3. नया नियम यीशु की पहचान के बारे में तीन मूलभूत सत्य सिखाता है: वह परमेश्वर है । वह मनुष्य है। वह पवित्र है। आपको किस पर विश्वास करना सबसे आसान लगता है? सबसे कठिन कौन सा है ? क्यों?
4. आपको क्या लगता है यीशु आपके जीवन के अनुभव को कितनी अच्छी तरह समझते हैं?
5. परमेश्वर के पुत्र की अद्भुत यात्रा के बारे में सोचें। आपके लिए सबसे आश्चर्यजनक क्या है? क्यों?